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अरावली की वनाग्नि
चर्चा में क्यों?
तापमान बढ़ने के साथ ही फरीदाबाद में सूरजकुंड के पास अरावली के वन में आग लग गई।
- हालाँकि अग्निशमन विभाग ने आधे घंटे के भीतर आग पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया, लेकिन स्थानीय लोगों ने दावा किया कि कई एकड़ भूमि और पेड़ पहले ही जल चुके थे।
मुख्य बिंदु:
- अरावली वलित पर्वत हैं, जिनकी चट्टानें मुख्य रूप से वलित पर्पटी (जब दो अभिसारी प्लेटें तीक्ष्ण वलयन नामक पर्वतनी प्रक्रिया द्वारा एक दूसरे की ओर गति करती हैं) से बनी हैं।
- उत्तर-पश्चिमी भारत की अरावली, विश्व के सबसे पुराने वलित पर्वतों में से एक है, जो अब 300 मीटर से 900 मीटर की ऊँचाई वाले अपक्षयी पर्वतों का रूप ले चुकी है। गुजरात के हिम्मतनगर से दिल्ली तक 800 किलोमीटर की दूरी तक इनका विस्तार है, जो गुजरात के हिम्मतनगर से दिल्ली तक 800 किलोमीटर की दूरी तक हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली को कवर करती है।
- दिल्ली से हरिद्वार तक विस्तृत अरावली की छिपी हुई शाखा गंगा और सिंधु नदियों के जल निकासी के बीच विभाजन करती है।
- अरावली की उत्पत्ति लाखों वर्ष पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप की मुख्य भूमि का यूरेशियन प्लेट से टकराने के बाद हुई थी। कार्बन डेटिंग से पता चला है कि पर्वतमाला में खनन किये गए ताँबे और अन्य धातुएँ कम-से-कम 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व की हैं।
- पर्वतों को दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया गया है- सांभर सिरोही श्रेणी और राजस्थान में सांभर खेतड़ी श्रेणी, जहाँ इनका विस्तार लगभग 560 किलोमीटर है।
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