उत्तर प्रदेश Switch to English
बलिया में संभावित पेट्रोलियम भंडार
चर्चा में क्यों?
भूवैज्ञानिक सर्वेक्षणों से क्षेत्र में पेट्रोलियम भंडार की संभावना का संकेत मिलने के बाद तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) ने उत्तर प्रदेश के बलिया में ड्रिलिंग कार्य शुरू कर दिया है।
मुख्य बिंदु
- सर्वेक्षण और अन्वेषण: ONGC ने पिछले तीन वर्षों में उपग्रह, भू-रासायनिक, गुरुत्वाकर्षण-चुंबकीय और मैग्नेटो-टेल्यूरिक (MT) सर्वेक्षण किये, जिनसे तेल और प्राकृतिक गैस भंडार की संभावना की पुष्टि हुई।
- मैग्नेटो-टेल्यूरिक (MT) एक भूभौतिकीय विधि है जो भूमिगत विद्युत प्रतिरोधकता का अध्ययन करने के लिये पृथ्वी के चुंबकीय और विद्युत क्षेत्र में प्राकृतिक परिवर्तनों का उपयोग करती है।
- ड्रिलिंग कार्य: ₹100 करोड़ की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना में ग्राम सभा वैना (रत्तुचक) में सागर पाली गाँव के निकट एक स्थल पर 3,001 मीटर तक ड्रिलिंग शामिल है।
- भूमि एवं बुनियादी ढाँचा: ONGC ने तीन वर्ष के लिये आठ एकड़ भूमि पट्टे पर ली है।
- संभावित प्रभाव: यदि पेट्रोलियम भंडार की पुष्टि हो जाती है, तो यह परियोजना ऊर्जा क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकती है, स्थानीय रोज़गार को बढ़ावा दे सकती है और पूर्वी उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में परिवर्तन ला सकती है।
तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ONGC)
- तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ONGC), पूर्व में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग, की स्थापना वर्ष 1956 में हुई थी ।
- वर्ष 1994 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग को निगम में परिवर्तित कर दिया गया तथा वर्ष 1997 में इसे भारत सरकार द्वारा नवरत्नों में से एक के रूप में मान्यता दी गई।
- इसके बाद वर्ष 2010 में इसे महारत्न का दर्जा प्रदान किया गया।
- यह भारत की सबसे बड़ी कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस कंपनी है, जो भारतीय घरेलू उत्पादन में लगभग 70% का योगदान देती है।
गंगा बेसिन
- गंगा की मुख्य धारा जिसे 'भागीरथी' कहा जाता है, गंगोत्री ग्लेशियर से मिलती है और उत्तराखंड के देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलती है।
- हरिद्वार में गंगा पहाड़ों से निकलकर मैदानों में आती है।
- गंगा में हिमालय से कई सहायक नदियाँ मिलती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख नदियाँ हैं जैसे यमुना, घाघरा, गंडक और कोसी।