राजस्थान बनेगा चिकित्सा पर्यटन का केंद्र | राजस्थान | 27 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये शीघ्र ही 'हील इन राजस्थान' नीति शुरू करके चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है।
- यह नीति तैयार करने के लिये एक मेडिकल वैल्यू ट्रैवल समिति नियुक्त की गई है, जिसमें विभिन्न विभागों और संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
मुख्य बिंदु
- राज्य सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने नीति के लिये सुझाव एकत्र करने के लिये निजी अस्पतालों, टूर ऑपरेटरों और अन्य हितधारकों के साथ सहयोग किया है।
- इसका मुख्य ध्यान स्वास्थ्य, कायाकल्प और पारंपरिक चिकित्सा आधारित उपचारों पर है, जिसका उद्देश्य जयपुर तथा अन्य शहरों को प्रमुख चिकित्सा पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करना है।
- राज्य सरकार ने वर्ष 2024 में बजट का 8.26% स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये आवंटित किया है।
- इसका उद्देश्य नीतिगत निर्णयों, निवेश और रोज़गार के अवसरों के सृजन तथा फार्मास्यूटिकल्स एवं आतिथ्य जैसे संबंधित उद्योगों में विकास के माध्यम से राजस्थान को स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक मॉडल के रूप में स्थापित करना था।
- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग निवेश संवर्द्धन ब्यूरो (BIP) और भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के साथ मिलकर उच्च स्तरीय सुविधाएँ स्थापित करेगा, जिसका उद्देश्य चिकित्सा उपचार के लिये अन्य राज्यों तथा विदेशों से आने वाले रोगियों को आकर्षित करना है।
नोट: निवेश संवर्द्धन ब्यूरो (BIP) राजस्थान की एक सरकारी एजेंसी है जो राज्य में निवेश और एकल खिड़की मंज़ूरी को बढ़ावा देती है। BIP का मुख्य लक्ष्य निवेशकों का समर्थन करना तथा राजस्थान में निवेश को बढ़ावा देना है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII)
- CII एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी, उद्योग-नेतृत्व वाला और उद्योग-प्रबंधित संगठन है।
- यह सलाहकार और परामर्श प्रक्रियाओं के माध्यम से उद्योग, सरकार तथा नागरिक समाज के साथ साझेदारी करके भारत के विकास के लिये अनुकूल वातावरण बनाने एवं बनाए रखने का कार्य करता है।
- वर्ष 1895 में स्थापित, इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
राजस्थान ने सरकारी कर्मचारियों पर लगा प्रतिबंध हटाया | राजस्थान | 27 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों में भाग लेने पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है।
मुख्य बिंदु
- राज्य में RSS में शामिल होने पर प्रतिबंध वर्ष 1972 से लागू है। परिपत्र के माध्यम से सरकारी अधिकारियों पर 52 वर्ष पुराना प्रतिबंध हटा दिया गया है।
- पिछले आदेशों में 17 संगठनों को सूचीबद्ध किया गया था, जिसमें उनसे जुड़े या उनकी गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान था
- अब, कर्मचारियों को शाखाओं (सुबह की सभाओं) में शामिल होने और RSS की अन्य सभी गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति है।
- जुलाई 2024 में केंद्र सरकार ने सरकारी अधिकारियों के RSS गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध हटा लिया, जिसके बाद हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों ने भी प्रतिबंध हटा लिया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)
- परिचय
- यह एक हिंदू राष्ट्रवादी स्वयंसेवी संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1925 में नागपुर में डॉ. के.बी. हेडगेवार द्वारा हिंदू संस्कृति और समाज के लिये कथित खतरों के जवाब में की गई थी, विशेष रूप से ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान।
- इसका उद्देश्य हिंदुत्व के विचार को बढ़ावा देना है, जो हिंदू सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान पर ज़ोर देता है।
- विचारधारा:
- विनायक दामोदर सावरकर द्वारा व्यक्त की गई RSS की केंद्रीय विचारधारा इस विचार को बढ़ावा देती है कि भारत मूलतः एक हिंदू राष्ट्र है।
- RSS भारतीय संस्कृति और विरासत के महत्त्व पर ज़ोर देता है, जिसका उद्देश्य लोगों को एक समान राष्ट्रीय पहचान के तहत एकजुट करना है।
- यह संगठन शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आपदा राहत सहित विभिन्न सामाजिक सेवा गतिविधियों में संलग्न है तथा अपने सदस्यों के बीच "सेवा" के विचार को बढ़ावा देता है।
स्वदेशी कदन्न खेती की पहल | राजस्थान | 27 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उदयपुर ज़िले के झाड़ोल ब्लॉक में कदन्न (मिलेट्स) की खेती की पहल ने किसानों की नई पीढ़ी के बीच स्वदेशी बाजरा किस्मों की खेती को पुनर्जीवित किया है, जिससे आजीविका प्रोत्साहन के साथ-साथ प्राकृतिक खेती (नेचुरल फार्मिंग) पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
मुख्य बिंदु
- पायलट परियोजना का उद्देश्य स्थानीय आजीविका को बढ़ाने और सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रागी (Finger Millet), प्रोसो बाजरा, कंगनी (Foxtail) बाजरा तथा कोदो बाजरा जैसी बाजरा किस्मों को पुनर्जीवित करना है।
- झाड़ोल के किसानों को रासायनिक रूप से गहन कृषि पद्धतियों को अपनाने और बहु-फसल जैसे पारंपरिक फसल विविधीकरण के स्थान पर तेज़ी से लाभ देने वाली वाणिज्यिक एकल-फसल को अपनाने के कारण फसल हानि का सामना करना पड़ा है।
- पहचानी गई कदन्न किस्मों को मूल रूप से लघु बाजरा कहा जाता था और स्थानीय रूप से कुरी, बत्ती, कोदरा, चीना, समलाई एवं माल के रूप में जाना जाता था।
- उदयपुर ज़िले में कार्यरत आंगनवाड़ी केंद्रों ने बच्चों के लिये पोषण पूरक के रूप में कदन्न आधारित व्यंजन शामिल करना शुरू कर दिया है।
- उदयपुर स्थित स्वैच्छिक समूह सेवा मंदिर ने एक कार्यक्रम सहयोगी के माध्यम से लघु बाजरा की ज़मीनी स्तर पर खेती को सुविधाजनक बनाने के लिये परियोजना शुरू की।
- कदन्न हस्तक्षेप के परिणाम से उत्साहित होकर, सेवा मंदिर ने हाल ही में 1,000 किसानों के साथ बाज़ार तक पहुँच के लिये एक रूपरेखा तैयार की है।