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रायपुर में पहला स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट
चर्चा में क्यों?
एम्स रायपुर ने सफलतापूर्वक अपना पहला स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट या किडनी पेयर्ड डोनेशन (KPD) पूरा किया है, जिससे वह न केवल नए एम्स संस्थानों में यह प्रक्रिया करने वाला पहला, बल्कि छत्तीसगढ़ का पहला सरकारी अस्पताल भी बन गया है जिसने यह उन्नत और जीवन रक्षक प्रक्रिया की है।
मुख्य बिंदु
- गुर्दा चिकित्सा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि:
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मार्गदर्शन में एम्स रायपुर ने अपना पहला स्वैप किडनी प्रत्यारोपण किया।
- मंत्रालय ने इसे अंतिम चरण के किडनी की बीमारी (ESRD) के रोगियों के लिये उन्नत उपचार तक पहुँच का विस्तार करने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
- स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट (किडनी पेयर डोनेशन) में, दो मरीज-दाता जोड़े किडनी का आदान-प्रदान करते हैं, जब रक्त समूह की असंगति के कारण प्रत्यक्ष दान संभव नहीं होता है।
- एम्स रायपुर: उभरता हुआ क्षेत्रीय स्वास्थ्य केंद्र
- एम्स रायपुर मध्य भारत में अंग प्रत्यारोपण में अग्रणी बनकर उभरा है।
- यह नए एम्स में मृतक दाता अंग दान और बाल चिकित्सा किडनी प्रत्यारोपण शुरू करने वाला पहला एम्स था।
- अब तक अस्पताल में किये गये 54 किडनी प्रत्यारोपणों में 95% ट्रांसप्लांट सफल रहे हैं और 97% मरीज उपचार के बाद स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।
- राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण क्षमता को बढ़ावा देना:
- राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) के अनुसार, स्वैप प्रत्यारोपण से कुल किडनी प्रत्यारोपण में 15% तक की वृद्धि हो सकती है।
- NOTTO ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को स्वैप ट्रांसप्लांट कार्यक्रम लागू करने की सलाह दी है।
- इसने भारत भर में इन जीवनरक्षक सर्जरी को सुव्यवस्थित और विस्तारित करने के लिये "एक राष्ट्र, एक स्वैप प्रत्यारोपण" नीति शुरू करने की भी योजना बनाई है।