बिहार Switch to English
बिहार में हीटवेव के दौरान मतदान
चर्चा में क्यों?
भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार के चार संसदीय क्षेत्रों के कुछ भाग में मतदान की अवधि दो घंटे बढ़ाने का निर्णय लिया है।
मुख्य बिंदु:
- मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिये राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने हीटवेव के कारण मतदान का समय बढ़ाने का फैसला किया है।
- यह निर्णय 19 अप्रैल को शुरुआती दौर के मतदान के दौरान तुलनात्मक रूप से कम मतदान के बाद लिया गया है।
हीटवेव:
- इस भीषण ग्रीष्म अवधि में मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
- भारत, एक उष्णकटिबंधीय देश होने के कारण, विशेष रूप से हीटवेव के प्रति संवेदनशील है, जो हाल के वर्षों में अधिक और तीव्र हो गई है।
- भारत में हीटवेव घोषित करने के लिये भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) मानदंड:
- जब तक किसी क्षेत्र का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी इलाकों के लिये कम-से-कम 30 डिग्री सेल्सियस तक नहीं पहुँच जाता, तब तक हीटवेव पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है।
- यदि किसी क्षेत्र का सामान्य अधिकतम तापमान 40°C से कम या उसके बराबर है, तो सामान्य तापमान से 5°C से 6°C की वृद्धि को हीट वेव की स्थिति माना जाता है।
- इसके अलावा, सामान्य तापमान से 7 डिग्री या उससे अधिक की वृद्धि को हीटवेव माना जाता है।
- यदि किसी क्षेत्र का सामान्य अधिकतम तापमान 40°C से अधिक है, तो सामान्य तापमान 4°C से 5°C की वृद्धि को गर्मी की स्थिति माना जाता है। इसके अलावा, 6°C या इससे अधिक की वृद्धि को गंभीर हीटवेव माना जाता है।
- इसके अतिरिक्त, यदि सामान्य अधिकतम तापमान के बावजूद वास्तविक अधिकतम तापमान 45°C या इससे अधिक रहता है, तो हीट वेव घोषित की जाती है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ में भूकंप
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के जगदलपुर बस्तर ज़िले से 1.3 किमी. दूर 2.6 तीव्रता का हल्का भूकंप आया। इसकी गहराई 5 किमी. थी और इसका प्रभाव क्षेत्र में व्यापक रूप से महसूस किया गया।
मुख्य बिंदु:
- राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत) देश में भूकंप गतिविधि की निगरानी के लिये भारत सरकार की नोडल एजेंसी है।
- वर्तमान में, भारत में केवल 115 भूकंप वेधशालाएँ हैं।
- भूकंप वेधशाला का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू भूकंप के समय की सटीक भविष्यवाणी करने में सक्षम होना है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के कार्यान्वयन में अपेक्षित नियम बनाने में कुछ राज्यों की विफलता पर नाराज़गी व्यक्त की।
मुख्य बिंदु:
- अधिनियम के अनुसार, राज्य की नियम-निर्माण शक्तियों में दिव्यांगता पर अनुसंधान के लिये एक समिति का गठन, ज़िला स्तरीय समितियों का गठन और राज्य आयुक्त की सेवाओं के वेतन, भत्तों एवं अन्य शर्तों को निर्धारित करना तथा दिव्यांगजनों के लिये धन का सृजन शामिल है।
- शीर्ष न्यायालय ने पाया कि उसने अधिनियम के उचित कार्यान्वयन के लिये कई आदेश पारित किये हैं लेकिन कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने अभी तक अपने दायित्वों को पूरा नहीं किया है।
- आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों ने राज्य आयुक्तों की नियुक्ति नहीं की है।
- जबकि गुजरात, हिमाचल प्रदेश, केरल, मिज़ोरम, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, दमन एवं दीव, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख ने अभी तक निर्धारित धनराशि का गठन नहीं किया है।
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016
- यह अधिनियम दिव्यांगजनों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCRPD) को प्रभावी बनाने के लिये भारत की संसद द्वारा पारित किया गया था, जिसे भारत ने वर्ष 2007 में अनुमोदित किया था।
- यह अधिनियम पहले के नि:शक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 का स्थान लेता है, जिसे भारत में दिव्यांगजनों की ज़रूरतों और चुनौतियों को संबोधित करने में अपर्याप्त तथा पुराना माना जाता था।
- अधिनियम द्वारा शुरू किये गए प्रमुख परिवर्तनों में से एक दिव्यांगता की परिभाषा और वर्गीकरण का विस्तार है।
- अधिनियम 21 प्रकार की दिव्यांगताओं को मान्यता देता है, जबकि पिछले कानून के तहत यह 7 प्रकार की थी। ये हैं:
- अंध और दृष्टि-बाधित, कुष्ठ रोग से मुक्त व्यक्ति,
- श्रवणविकार/दोष, चलन-संबंधी दिव्यांगता, बौनापन
- बौद्धिक दिव्यांगता, मानसिक रुग्णता, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार,
- सेरेब्रल पाल्सी, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल स्थितियाँ,
- स्पेसिफिक लर्निंग डिसेबिलिटी, मल्टीपल स्केलेरोसिस, वाक् एवं भाषा दिव्यांगता,
- थैलेसीमिया, हीमोफीलिया, सिकल सेल रोग,
- श्रवण विकार/दोष, तेजाब हमले से प्रभावित और पार्किन्संस रोग सहित कई दिव्यांगताएँ।
- यह केंद्र सरकार को निर्दिष्ट दिव्यांगता की किसी अन्य श्रेणी को अधिसूचित करने का अधिकार देता है।
- यह दिव्यांग व्यक्ति को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है जिसके पास दीर्घकालिक शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक या संवेदी हानि है, जो बाधाओं के कारण, उन्हें दूसरों के साथ समान समाज में पूरी तरह और प्रभावी ढंग से भाग लेने से रोकती है।
- यह बेंचमार्क दिव्यांगता वाले व्यक्ति को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है, जिसमें निर्दिष्ट दिव्यांगता 40% से कम नहीं है, जहाँ निर्दिष्ट दिव्यांगता को मापने योग्य शर्तों में परिभाषित नहीं किया गया है और इसमें दिव्यांगता वाला व्यक्ति भी शामिल है, जहाँ निर्दिष्ट दिव्यांगता को मापने योग्य शर्तों में परिभाषित किया गया है, जैसे- प्रमाणन प्राधिकारी द्वारा प्रामाणित।
- इसके अनुसार दिव्यांग व्यक्तियों को सहायता की उच्च आवश्यकता होती है और उन्हें अपनी दैनिक गतिविधियों के लिये दूसरों से सहायता की आवश्यकता होती है।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा में मिलीं 400 वर्ष पुरानी मूर्तियाँ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मानेसर के पास बाघनकी गाँव में एक प्लाॅट की नींव खुदाई के दौरान लगभग 400 वर्ष पुरानी तीन धातु की मूर्तियाँ निकलीं।
मुख्य बिंदु:
- पुलिस ने प्राचीन मूर्तियों को ज़ब्त कर लिया है और मालिक को निर्माण गतिविधियाँ रोकने का निर्देश दिया है।
- पुरातत्त्व विभाग साइट पर किसी अतिरिक्त मूर्ति की खोज के लिये अतिरिक्त खुदाई करेगा।
- बरामद मूर्तियों में भगवान विष्णु की एक खड़ी मूर्ति, देवी लक्ष्मी की एक मूर्ति और देवी लक्ष्मी एवं भगवान विष्णु की एक संयुक्त मूर्ति शामिल है।
हरियाणा के महत्त्वपूर्ण पुरातत्त्व स्थल
- भिर्राना: फतेहाबाद ज़िले का एक छोटा-सा गाँव नई दिल्ली से लगभग 220 किमी. उत्तर पश्चिम में स्थित है। यह स्थल प्राचीन सरस्वती नदी प्रणालियों के किनारे स्थित है जो अब आधुनिक हरियाणा में मौसमी घग्गर प्रवाह द्वारा दर्शाया जाता है। 8वीं-7वीं सहस्राब्दी ईसा पूर्व के हकरा बर्तन भिर्राना में पाए गए हैं जो इसे प्रारंभिक हड़प्पा रावी चरण की संस्कृति के समकालीन बनाते हैं। भिर्राना की अनुमानित प्राचीनता चारकोल के नमूनों पर आधारित है जो 7570-7180 ईसा पूर्व और 6689-6201 ईसा पूर्व की तारीखें बताती हैं।
- बनावली: यह हरियाणा के फतेहाबाद ज़िले में सिंधु घाटी सभ्यता का एक पुरातात्त्विक स्थल है। यह कालीबंगन से 120 किमी. उत्तर पूर्व और फतेहाबाद से 16 किमी. दूर सूखी हुई सरस्वती नदी के बाएँ किनारे पर स्थित है। खुदाई में 4.5 मीटर ऊँची और 6 मीटर मोटी एक सुरक्षा दीवार के साथ-साथ कमरे, शौचालय तथा सड़कों वाले सुनियोजित घर भी मिले। किलेबंदी के पास की सीढ़ियों को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा एक महत्त्वपूर्ण गठन माना जाता है।
- राखीगढ़ी: यह भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा हड़प्पा स्थल है जो हरियाणा के हिसार ज़िले में स्थित है। यह स्थल मौसमी घग्गर नदी से लगभग 27 किमी. दूर सरस्वती नदी के मैदानी इलाके में स्थित है। 6000 ईसा पूर्व (पूर्व-हड़प्पा चरण) से 2500 ईसा पूर्व तक इसके विकास का अध्ययन करने के लिये, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) के पुरातत्त्वविद अमरेंद्र नाथ के नेतृत्व में राखीगढ़ी में खुदाई की गई थी
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