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हरियाणा स्टेट पी.सी.एस.

  • 26 Mar 2025
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हरियाणा बजट 2025-26

चर्चा में क्यों?

हरियाणा के मुख्यमंत्री ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिये राज्य का बजट पेश किया, जिसमें सतत विकास और आर्थिक विस्तार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक व्यापक योजना का प्रस्ताव किया गया।

मुख्य बिंदु 

  • कुल बजट परिव्यय : बजट में 2025-26 के लिये ₹2,05,017.29 करोड़ के व्यय का प्रस्ताव है, जो पिछले वित्तीय वर्ष (2024-25) के संशोधित अनुमानों से 13.7% की वृद्धि दर्शाता है। 
  • भविष्य विभाग : हरियाणा को आगामी आर्थिक, तकनीकी और पर्यावरणीय चुनौतियों के लिये तैयार करने के लिये एक नया "भविष्य विभाग" स्थापित किया जाएगा। 
    • यह विभाग एक रणनीतिक थिंक टैंक के रूप में काम करेगा, जो जलवायु परिवर्तन की तैयारी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), स्वचालन और आर्थिक लचीलेपन जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • हरियाणा AI मिशन : सरकार ने हरियाणा AI मिशन शुरू करने की योजना बनाई है, जिसके लिये विश्व बैंक ने 474 करोड़ रुपए से अधिक की सहायता का आश्वासन दिया है। 
    • इस मिशन के अंतर्गत, शासन और उद्योग के भीतर AI को अपनाने और उभरती प्रौद्योगिकियों के एकीकरण को बढ़ावा देने के लिये गुरुग्राम और पंचकूला में केंद्र स्थापित लिये जाएंगे।
  • लाडो लक्ष्मी योजना : लाडो लक्ष्मी योजना के लिये ₹5,000 करोड़ का आवंटन किया गया है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को प्रति माह ₹2,100 प्रदान करना है, जो महिला सशक्तीकरण और वित्तीय सहायता के लिये सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • रोज़गार सृजन : बजट में रोज़गार सृजन पर ज़ोर दिया गया है, जिसमें मिशन हरियाणा-2047 के तहत 50 लाख युवाओं को रोज़गार प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है, जो कार्यबल विकास के लिये दीर्घकालिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
  • मादक द्रव्यों के सेवन की रोकथाम : ₹10 करोड़ की प्रारंभिक निधि के साथ संकल्प (मादक द्रव्यों के सेवन और मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में जानकारी और जागरूकता तथा मुक्ति कार्यक्रम प्राधिकरण) नामक एक नया प्राधिकरण स्थापित किया जाएगा। 
    • यह निकाय जागरूकता और पुनर्वास पहल के माध्यम से नशीली दवाओं की लत से निपटने के प्रयासों का समन्वय करेगा।
  • राजकोषीय विवेकशीलता: हरियाणा की वित्तीय सेहत को मज़बूत बनाना पिछले दशक में, हरियाणा ने उल्लेखनीय राजकोषीय अनुशासन का प्रदर्शन किया है। 
    • राजस्व घाटा 2014-15 में सकल घरेलू उत्पाद के 1.90% से घटकर 2024-25 में अनुमानित 1.47 % हो गया है और कुल बजट के प्रतिशत के रूप में। 
    • यह 13.4% से घटकर 9.9% हो गया है। 
    • इसी प्रकार, राजकोषीय घाटे को भी लगातार प्रबंधित किया गया है, जो 2014-15 में 2.88% से घटकर 2024-25 में 2.68% हो गया है।
  • एथलीटों के लिये सहायता : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एथलीटों को 20 लाख रुपए तक का मुफ्त बीमा कवरेज मिलेगा, जिसका प्रीमियम सरकार वहन करेगी।
    • ओलंपिक पदक विजेताओं को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिये ₹10 लाख प्रदान लिये जाएंगे और वे अपनी खेल अकादमी स्थापित करने के लिये 2% सब्सिडी के साथ ₹5 करोड़ के ऋण के लिये पात्र होंगे।
  • बुनियादी ढाँचे का विकास : बुनियादी ढाँचे के लिये महत्त्वपूर्ण निवेश की योजना बनाई गई है, जिसमें कई शहरों में बहु-स्तरीय पार्किंग सुविधाओं का विकास और गुरुग्राम में एक नई मेट्रो लाइन शामिल है।
    • हिसार हवाई अड्डे से अयोध्या, जयपुर, चंडीगढ़, अहमदाबाद और जम्मू जैसे स्थानों के लिये उड़ान सेवाएँ भी एजेंडे में हैं।
  • कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करना: हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य है, इसलिये बजट में कृषि विकास को प्राथमिकता दी गई है। 
    • महिला डेयरी किसानों के लिये 1 लाख रुपए तक का ब्याज मुक्त ऋण, नई बागवानी नीति और हिसार हवाई अड्डे पर बागवानी उत्पादों के लिये एयर कार्गो सुविधा जैसी पहल से कृषि मूल्य श्रृंखला में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
    • इसके अतिरिक्त, पशु कल्याण और स्थायी पशुपालन को बढ़ावा देने के लिये प्रत्येक ज़िले में गौ अभयारण्य स्थापित लिये जा रहे हैं।
  • शिक्षा संबंधी पहल : विज्ञान और इंजीनियरिंग में स्नातक या स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही महिला छात्राओं को कल्पना चावला छात्रवृत्ति योजना के तहत 1 लाख रुपए की वार्षिक छात्रवृत्ति मिलेगी, जिससे तकनीकी क्षेत्रों में महिलाओं के बीच उच्च शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
  • स्टार्टअप्स को सशक्त बनाना: राज्य सरकार निजी निवेशकों को 2,000 करोड़ रुपए का 'फंड ऑफ फंड्स ' बनाने के लिये सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रही है।
    • यह पहल उद्यमियों को समर्थन प्रदान करेगी, स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देगी तथा हरियाणा में निवेश आकर्षित करेगी।
  • मिशन हरियाणा-2047: इस बजट के तहत एक दूरदर्शी पहल है 'मिशन हरियाणा-2047। इसका लक्ष्य हरियाणा के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) को 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाना है।
    • राज्य के GSDP में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो 2014-15 में 4,37,145 करोड़ रुपए से बढ़कर 2024-25 में 12,13,951 करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जो 10.8 प्रतिशत की वार्षिक औसत दर से बढ़ रहा है।
    • इसी प्रकार, प्रति व्यक्ति आय 2014-15 में 1,47,382 रुपए से बढ़कर 2024-25 में अनुमानित 3,53,182 रुपए हो गयी है।


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हरियाणा में रबी फसल की खरीद

चर्चा में क्यों?

हरियाणा सरकार ने रबी विपणन सीजन 2025-26 के लिये 75 लाख मीट्रिक टन गेहूँ खरीद का लक्ष्य रखा है। 

  • खरीद को सुविधाजनक बनाने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा 6,653 करोड़ रुपए से अधिक की नकद ऋण सीमा पहले ही स्वीकृत की जा चुकी है।

मुख्य बिंदु:

  • हरियाणा को इस रबी सीजन में गेहूँ  की उल्लेखनीय पैदावार की उम्मीद है, जिससे राज्य सरकार द्वारा खरीद व्यवस्था को बढ़ाने की तैयारी गई है।
  • मुख्यमंत्री ने विपणन बोर्ड के अधिकारियों को भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिये मंडियों के खाली क्षेत्रों में बड़े शेड बनाने के निर्देश दिये हैं।
  • खरीद की ज़िम्मेदारियाँ विभिन्न एजेंसियों के बीच विभाजित की गई हैं:
    • 30% खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा
    • 40% HAFED (हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति एवं विपणन संघ लिमिटेड) द्वारा
    • 20% हरियाणा राज्य भंडारण निगम द्वारा
    • 10% भारतीय खाद्य निगम द्वारा
  • हरियाणा केंद्रीय पूल में लगभग 25% गेहूँ  का योगदान देता है तथा भारत में गेहूँ  उत्पादन में दूसरे स्थान पर है।
  • गेहूँ  की खरीद के लिये कुल 415 मंडियाँ संचालित होंगी, जौ के लिये 25, चना के लिये 11, मसूर के लिये 7, सरसों के लिये 116 और सूरजमुखी के लिये 17 मंडियाँ संचालित होंगी।
  • विभिन्न रबी फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निम्नानुसार तय किये गए हैं:
    • गेहूँ: ₹2,425 प्रति क्विंटल
    • जौ: ₹1,980 प्रति क्विंटल
    • चना: ₹5,650 प्रति क्विंटल
    • मसूर: ₹6,700 प्रति क्विंटल
    • सरसों: ₹5,950 प्रति क्विंटल
    • सूरजमुखी: ₹7,280 प्रति क्विंटल
  • मुख्यमंत्री ने सभी उपायुक्तों को खरीद प्रक्रिया की निगरानी के लिये टीमें गठित करने के निर्देश दिये हैं ताकि सुचारू एवं कुशल संचालन सुनिश्चित किया जा सके।

न्यूनतम समर्थन मूल्य:

परिचय:

  • MSP वह गारंटीकृत राशि है जो किसानों को तब दी जाती है जब सरकार उनकी फसल खरीदती है।
  • MSP कृषि लागत और मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices- CACP) की सिफारिशों पर आधारित है, जो उत्पादन लागत, मांग तथा आपूर्ति, बाज़ार मूल्य रुझान, अंतर-फसल मूल्य समानता आदि जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करता है।
    • CACP कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है। यह जनवरी 1965 में अस्तित्व में आया।
  • भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) MSP के स्तर पर अंतिम निर्णय (अनुमोदन) लेती है।
  • MSP का उद्देश्य उत्पादकों को उनकी फसल के लिये लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करना है।


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