उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश का 2028 तक अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने का लक्ष्य
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश भारत में एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनने के लिये तैयार है, जिसका वर्ष 2028 तक 80 करोड़ पर्यटकों को आकर्षित करने का लक्ष्य है।
मुख्य बिंदु
- उत्तर प्रदेश में पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई, जो वर्ष 2016-17 में 23 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 48 करोड़ हो गई, जो 51% की वृद्धि है।
- राज्य सरकार प्रमुख स्थानों को बढ़ावा देने के लिये राज्य भर में 12 नए पर्यटन सर्किट विकसित कर रही है।
- 12 नए पर्यटन सर्किट हैं: रामायण सर्किट, सूफी-कबीर सर्किट, बुंदेलखंड सर्किट, जैन सर्किट, कृष्ण-ब्रज सर्किट, शक्ति-पीठ सर्किट, महाभारत सर्किट, वन्यजीव और ECO पर्यटन सर्किट, स्वतंत्र संग्राम सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, बौद्ध सर्किट एवं शिल्प सर्किट।
- पर्यटकों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए स्थानीय अवसंरचना और आवास विकल्पों में सुधार के प्रयास किये जा रहे हैं।
- राज्य आध्यात्मिक पर्यटन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिसके तहत बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या, काशी, मथुरा, नैमिषारण्य और प्रयागराज जैसे धार्मिक स्थलों पर जाते हैं।
- मुख्यमंत्री ने औद्योगिक विकास के साथ-साथ पर्यटन को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया है तथा पर्यटन क्षेत्र के योगदान को बढ़ाने के लिये ताजमहल और राम मंदिर जैसी राज्य की सांस्कृतिक व आध्यात्मिक संपत्तियों का लाभ उठाया है।
उत्तर प्रदेश के महत्त्वपूर्ण मेले
- ताज महोत्सव:
- यह आगरा के शिल्पग्राम में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला एक जीवंत 10 दिवसीय उत्सव है। यह उत्सव 18वीं और 19वीं शताब्दी के दौरान उत्तर प्रदेश में पनपी समृद्ध मुगल एवं नवाबी संस्कृति से प्रेरित होता है।
- कुंभ मेला:
- यह विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है, जिसे हिंदुओं द्वारा हर 12 वर्ष में भारत में चार स्थानों :प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में मनाया जाता है।
- तीर्थयात्री आध्यात्मिक शुद्धि की तलाश में पवित्र नदियों (गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी और शिप्रा) में स्नान करने के लिये एकत्र होते हैं।
- गंगा महोत्सव:
- गंगा नदी भारत के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है और इसने अपने तटों पर कई सभ्यताओं को सहारा दिया है। कार्तिक महीने के दौरान वाराणसी में नदी देवी को उनके आशीर्वाद के लिये अपना आभार व्यक्त करने तथा उनसे और अधिक मांगने के लिये यह महोत्सव मनाया जाता है।
- घाटों को रोशनी और फूलों से सजाया जाता है तथा कार्तिक पूर्णिमा पर लोग नदी के किनारे मिट्टी के दीये जलाने एवं प्रवाहित करने के लिये एकत्रित होते हैं।
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