छत्तीसगढ़ में जाली भारतीय मुद्रा ज़ब्त | छत्तीसगढ़ | 24 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सुरक्षा बलों को छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में नक्सलियों के पास से जाली भारतीय मुद्रा का एक बड़ा जखीरा और उसे छापने के उपकरण बरामद हुए।
मुख्य बिंदु:
- पुलिस का दावा है कि नक्सली कुछ समय से बस्तर क्षेत्र के दूर-दराज़ के इलाकों के साप्ताहिक बाज़ारों में जाली नोटों का इस्तेमाल कर रहे हैं और भोले-भाले आदिवासियों को धोखा दे रहे हैं।
- घटनास्थल की तलाशी के दौरान सुरक्षाकर्मियों को 50 रुपए, 100 रुपए, 200 रुपए और 500 रुपए के जाली नोट, एक रंगीन प्रिंटिंग मशीन, एक ब्लैक एंड व्हाइट प्रिंटर, एक इन्वर्टर मशीन, 200 बोतल स्याही, चार प्रिंटर कार्ट्रिज, नौ प्रिंटर रोलर्स और चार्जर व बैटरी के साथ छह वायरलेस सेट मिले।
- इस अभियान में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल की 50वीं बटालियन, ज़िला रिज़र्व गार्ड (DRG), बस्तर फाइटर्स और ज़िला बल के जवान शामिल थे।
जाली मुद्रा (Counterfeit Money)
- जालसाजी, लाभ के लिये नकली धन का निर्माण, एक प्रकार की जालसाजी जिसमें किसी चीज़ की नकल की जाती है ताकि उसे मूल या वास्तविक वस्तु बताकर धोखा दिया जा सके।
- धन को दिये गए मूल्य और इसकी नकल करने के लिये आवश्यक उच्च स्तर के तकनीकी कौशल के कारण, जालसाजी को धोखेबाज़ी के अन्य कृत्यों से अलग रखा जाता है तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 489 A के तहत इसे एक अलग अपराध माना जाता है।
- जालसाजी धोखेबाज़ों द्वारा भोले-भाले व्यक्तियों से उनका पैसा ठगने के लिये इस्तेमाल की जाने वाली सबसे पुरानी तकनीक है।
केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल
ज़िला रिज़र्व गार्ड (DRG)
- ज़िला रिज़र्व गार्ड (District Reserve Guard- DRG) छत्तीसगढ़ में एक विशेष पुलिस इकाई है, जिसे वर्ष 2008 में माओवादी हिंसा से निपटने के लिये स्थापित किया गया था।
- इसमें विशेष रूप से प्रशिक्षित कार्मिक शामिल होते हैं जो प्रभावित ज़िलों में माओवाद-विरोधी अभियान चलाते हैं, तलाशी और ज़ब्ती करते हैं तथा खुफिया जानकारी एकत्र करते हैं।
- माओवादी विद्रोह का मुकाबला करने के लिये DRG केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) जैसे अन्य सुरक्षा बलों के साथ सहयोग करता है।