प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 29 जुलाई से शुरू
  संपर्क करें
ध्यान दें:

उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 26 Feb 2024
  • 0 min read
  • Switch Date:  
उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक

चर्चा में क्यों ?

उत्तर प्रदेश और हरियाणा द्वारा लाए गए संपत्ति के नुकसान की वसूली की तर्ज़ पर उत्तराखंड एक विधेयक लाने की तैयारी में है।

मुख्य बिंदु:

  • इस कानून के तहत विरोध प्रदर्शनों और हड़तालों के दौरान हुए सार्वजनिक एवं सरकारी संपत्तियों के नुकसान की भरपाई उपद्रव में शामिल आरोपियों से की जाएगी।
  • एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाला एक न्यायाधिकरण राज्य की शिकायत के बाद पहचाने गए आरोपियों के खिलाफ आरोपों की जाँच करेगा।
    • नुकसान की वसूली के लिये आकलन और आदेश सरकार तथा अन्यथा प्रभावित पक्षों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद ट्रिब्यूनल द्वारा जारी किये जाएंगे।
  • सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई के लिये विधेयक लाने का फैसला उत्तराखंड के हलद्वानी में हुई हिंसा के बाद आया।
  • ज़िला प्रशासन और नागरिक निकाय द्वारा अतिक्रमण विरोधी अभियान में नज़ूल (सरकारी) भूमि पर बनी एक मस्जिद तथा मदरसे को ध्वस्त करने के बाद हिंसा भड़क उठी।

अतिक्रमण

  • यह किसी और की संपत्ति का अनधिकृत उपयोग अथवा कब्ज़ा करने से है।
  • यह परित्यक्त या अप्रयुक्त स्थानों पर हो सकता है यदि कानूनी मालिक इसके रखरखाव में सक्रिय रूप से शामिल नहीं है।
  • संपत्ति के स्वामियों को ऐसे मामलों से संबंधित विधिक प्रक्रिया और अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना अत्यावश्यक है।
  • इसमें उचित अनुमति अथवा कानूनी अधिकारों के बिना संपत्ति पर अवैध निर्माण, कब्ज़ा अथवा किसी अन्य प्रकार का कब्ज़ा शामिल हो सकता है।
  • भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 441 में भूमि अतिक्रमण को परिभाषित किया गया है जिसके अनुसार किसी अन्य के कब्ज़े की संपत्ति पर अपराध करने अथवा व्यक्ति को, जिसके कब्ज़े में ऐसी संपत्ति है, भयभीत करने अथवा विधिपूर्वक रूप से संपत्ति में प्रवेश करने की अनुमति के बिना किसी और की संपत्ति में अवैध रूप से प्रवेश करने का कार्य अतिक्रमण है।

नज़ूल भूमि

  • नज़ूल भूमि का स्वामित्व सरकार के पास है लेकिन अक्सर इसे सीधे राज्य संपत्ति के रूप में प्रशासित नहीं किया जाता है।
    • राज्य सामान्यतः ऐसी भूमि को किसी भी इकाई को 15 से 99 वर्ष के बीच एक निश्चित अवधि के लिये पट्टे पर आवंटित करता है।
  • यदि पट्टे की अवधि समाप्त हो रही है, तो कोई व्यक्ति स्थानीय विकास प्राधिकरण के राजस्व विभाग को एक लिखित आवेदन जमा करके पट्टे को नवीनीकृत करने के लिये प्राधिकरण से संपर्क कर सकता है।
  • सरकार पट्टे को नवीनीकृत करने या इसे रद्द करने- नज़ूल भूमि वापस लेने के लिये स्वतंत्र है।
    • सरकार सामान्यतः नज़ूल भूमि का उपयोग सार्वजनिक उद्देश्यों जैसे- स्कूल, अस्पताल, ग्राम पंचायत भवन आदि के निर्माण के लिये करती है।


 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2