उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश में आर्थिक नेतृत्व की राह
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, मुख्यमंत्री ने भारत की शीर्ष अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में उत्तर प्रदेश की तीव्र वृद्धि पर प्रकाश डाला, जो बुनियादी ढाँचे, औद्योगिक और कृषि प्रगति से प्रेरित है।
प्रमुख बिंदु
- GSDP वृद्धि : UP का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) वित्त वर्ष 2025 तक 32 ट्रिलियन रुपए से अधिक होने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2024 में 26 ट्रिलियन रुपए था।
- अपराध और भू-माफियाओं पर सरकार की कार्यवाही से 64,000 हेक्टेयर भूमि को पुनः प्राप्त कर व्यवसाय के लिये स्थान बनाने में मदद मिली है।
- सरकार ने 40 ट्रिलियन रुपए के FDI प्रस्तावों और 15 मिलियन रोज़गार के अवसरों पर प्रकाश डाला।
- पारंपरिक क्षेत्रों पर ध्यान : मुरादाबाद के पीतल, फिरोज़ाबाद के काँच और भदोही के कालीन जैसे उद्योगों को समर्थन।
- कारोबार में आसानी : EODB में UP दूसरे स्थान पर, वर्ष 2017 में 14 वें स्थान से सुधार।
- वर्ष 2017 से UP का वार्षिक बजट 2 ट्रिलियन रुपए से बढ़कर 7.5 ट्रिलियन रुपए हो गया।
- 1.5 ट्रिलियन रुपए मूल्य की बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ चल रही हैं।
- पर्यटन को बढ़ावा : अयोध्या, वाराणसी और मथुरा जैसे सांस्कृतिक स्थल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
- बुनियादी ढाँचा विकास : भारत के आधे एक्सप्रेसवे और 21 वायुई अड्डे उत्तर प्रदेश में हैं।
- स्टार्टअप इकोसिस्टम : 'निवेश मित्र' प्लेटफॉर्म निवेश को सुव्यवस्थित करता है, MSME और स्टार्टअप को समर्थन देता है।
- कृषि और ग्रामीण विकास : नाबार्ड ने 1 ट्रिलियन रुपए का वित्त पोषण उपलब्ध कराया है और लगभग 10,000 किसान उत्पादक संगठन (FPO) कार्यरत हैं।
किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organizations- FPO)
- FPO स्वैच्छिक संगठन हैं जो अपने किसान-सदस्यों द्वारा नियंत्रित होते हैं और अपनी नीतियों को निर्धारित करने और निर्णय लेने में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
- वे उन सभी व्यक्तियों के लिये खुले हैं जो उनकी सेवाओं का उपयोग करने में सक्षम हैं और लैंगिक, सामाजिक, नस्लीय, राजनीतिक या धार्मिक भेदभाव के बिना सदस्यता की ज़िम्मेदारियों को स्वीकार करने के इच्छुक हैं।
- FPO संचालक अपने किसान-सदस्यों, निर्वाचित प्रतिनिधियों, प्रबंधकों और कर्मचारियों को शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करते हैं ताकि वे अपने FPO के विकास में प्रभावी योगदान दे सकें।
- गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और कुछ अन्य राज्यों में FPO ने उत्साहजनक परिणाम दिखाए हैं और वे अपनी उपज पर अधिक लाभ प्राप्त करने में सफल रहे हैं।
- उदाहरण के लिये, राजस्थान के पाली ज़िले में आदिवासी महिलाओं ने एक उत्पादक कंपनी बनाई और उन्हें शरीफा के लिये अधिक कीमत मिल रही है।
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