यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में भीषण आग | मध्य प्रदेश | 25 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने में भीषण आग लग गई। इस कारखाने में वर्ष 1984 में मिथाइल आइसोसाइनेट (Methyl Isocyanate- MIC) गैस के रिसाव के कारण हज़ारों लोगों की मृत्यु हो गई थी और लाखों लोग दिव्यांग हो गए थे।
मुख्य बिंदु:
- यहाँ लगी आग पर करीब एक घंटे बाद काबू पाया जा सका। आग लगने के कारणों का अब तक पता नहीं चल पाया है।
- आग की इस घटना के बाद एक बार फिर लोगों में इस बात को लेकर भय व्याप्त है कि इससे निकलने वाला धुआँ उनके शरीर पर क्या प्रभाव डालेगा।
- वर्ष 1984 की गैस त्रासदी के बाद इस कारखाने को बंद कर दिया गया था।
भोपाल गैस त्रासदी
- परिचय:
- भोपाल गैस त्रासदी इतिहास में सबसे गंभीर औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक थी जो 2-3 दिसंबर, 1984 की रात भोपाल, मध्य प्रदेश में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) कीटनाशक संयंत्र में घटित हुई थी।
- इस दुर्घटना में लोगों और पशुओं के अत्यधिक ज़हरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) के संपर्क में आने के कारण तत्काल मौतें तथा दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव देखे गए।
- गैस रिसाव का कारण:
- गैस रिसाव का सटीक कारण अभी भी कॉर्पोरेट लापरवाही या कर्मचारियों की अनदेखी के बीच विवादित है। हालाँकि इस आपदा के कुछ कारक निम्नलिखित हैं:
- UCIL संयंत्र में खराब रखरखाव वाले टैंकों में बड़ी मात्रा में MIC का भंडारण किया जा रहा था जो अत्यधिक प्रतिक्रियाशील और वाष्पशील रसायन है।
- वित्तीय घाटे और बाज़ार प्रतिस्पर्द्धा के कारण संयंत्र का संचालन कम कर्मचारियों और सुरक्षा मानकों के साथ किया जा रहा था।
- संयंत्र घनी आबादी वाले क्षेत्र में स्थित था, जहाँ आस-पास के निवासियों हेतु कोई उचित आपातकालीन योजना या चेतावनी प्रणाली नहीं थी।
- आपदा की रात जल की बड़ी मात्रा MIC भंडारण टैंकों (E610) (संभवतः दोषपूर्ण वाल्व या असंतुष्ट कार्यकर्त्ता द्वारा जान-बूझकर की गई तोड़फोड़ की वजह से) में से एक में प्रवेश कर गई।
- इसने ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया को उत्प्रेरित किया और टैंक के अंदर तापमान एवं दबाव को बढ़ा दिया, जिससे वह फट गया और बड़ी मात्रा MIC गैस वातावरण में उत्सर्जित हो गई।
मध्य प्रदेश में लू से सैकड़ों चमगादड़ों की मौत | मध्य प्रदेश | 25 May 2024
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के मुताबिक, मध्य प्रदेश के झाबुआ ज़िले में हीटस्ट्रोक से सैकड़ों चमगादड़ों की मौत हो गई।
मुख्य बिंदु:
- उप-निदेशक (पशु चिकित्सा) के अनुसार, लू लगने से लगभग 250 चमगादड़ों की मौत हुई है
- चमगादड़ रात्रिचर जीव हैं, जो आमतौर पर सुबह-सुबह अपने निर्दिष्ट पेड़ों पर शरण लेते हैं।
चमगादड़:
- भारत में चमगादड़ों की 135 प्रजातियों पाई जाती हैं। चमगादड़ एक रात्रिचर जीव है।
- चमगादड़ आमतौर पर फलों का सेवन करते हैं तथा बीज के स्थानांतरण द्वारा परागण में मदद करते हैं, लेकिन कृषि को नुकसान भी पहुँचाते हैं जिसके कारण ये ‘कीड़े’ के रूप में भी जाने जाते हैं।
- अवैध शिकार, मांस की खपत, पारंपरिक दवाओं में उपयोग, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण प्रदूषण और जैविक आक्रमण के कारण दुनिया भर में चमगादड़ों की आबादी में गिरावट आई है।