छत्तीसगढ़ Switch to English
बीजापुर में सात माओवादी मारे गए
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के नारायणपुर और बीजापुर ज़िलों के सीमावर्ती क्षेत्र में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में सात माओवादी मारे गए।
मुख्य बिंदु:
- यह मुठभेड़ दंतेवाड़ा के बारसूर पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र में अबूझमाड़ वन क्षेत्र से सिर्फ 10 किलोमीटर अंदर हुई।
- सुरक्षा बलों में विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की टीमों के साथ बस्तर फाइटर्स और ज़िला रिज़र्व गार्ड (डीआरजी) शामिल थे।
- इस ऑपरेशन में लगभग 1,000 कर्मियों की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) के साथ नारायणपुर और बस्तर ज़िलों के ज़िला रिज़र्व गार्ड, बस्तर फाइटर्स और छत्तीसगढ़ पुलिस की सभी इकाइयाँ शामिल थीं
भारत में नक्सलवाद:
- भारत में नक्सली हिंसा की शुरुआत वर्ष 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी नामक गाँव से हुई और इस उग्रपंथी आंदोलन को ‘नक्सलवाद’ के नाम से जाना जाता है।
- इसकी शुरुआत स्थानीय ज़मींदारों, जिन्होंने भूमि विवाद के चलते एक किसान की पिटाई कर दी थी, के खिलाफ विद्रोह के रूप में हुई। विद्रोह की शुरुआत वर्ष 1967 में कानू सान्याल और जगन संथाल के नेतृत्व में मेहनतकश किसानों को भूमि के उचित पुनर्वितरण के उद्देश्य से की गई थी।
- पश्चिम बंगाल में शुरू हुआ यह आंदोलन पूरे पूर्वी भारत: छत्तीसगढ़, ओडिशा के अतिरिक्त आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के कम विकसित क्षेत्रों में भी फैल गया।
- यह माना जाता है कि नक्सली माओवादी राजनीतिक भावनाओं और विचारधारा का समर्थन करते हैं।
- माओवाद, साम्यवाद का एक रूप है जो माओ त्से तुंग द्वारा विकसित किया गया है। इस सिद्धांत के समर्थक सशस्त्र विद्रोह, जनसमूह और रणनीतिक गठजोड़ के संयोजन से राज्य की सत्ता पर कब्ज़ा करने में विश्वास रखते हैं।
हरियाणा Switch to English
स्टार्टअप शहरों की शीर्ष 50 की सूची में गुरुग्राम शामिल
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पिचबुक ने वर्ष 2024 के लिये अपनी ग्लोबल वेंचर कैपिटल इकोसिस्टम रैंकिंग का अनावरण किया, जिसमें संपूर्ण विश्व के शीर्ष 50 स्टार्टअप शहरों को प्रदर्शित किया गया और इन इकोसिस्टम के विकास में अंतर्दृष्टि प्रदान की गई।
मुख्य बिंदु:
- वैश्विक स्तर पर शीर्ष 50 स्टार्टअप शहरों में तीन भारतीय शहर शामिल हैं, जिनमें मुंबई 32वें स्थान पर, बंगलूरू 34वें स्थान पर और गुरुग्राम 48वें स्थान पर है
- वैश्विक स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में हाल के वर्षों में नवाचार और विकास में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
- परिणामस्वरूप वैश्विक निवेशक नए देशों में अवसर तलाश कर रहे हैं, जहाँ स्टार्टअप पर्याप्त फंडिंग हासिल करने के साथ ही मल्टी-बिलियन-डॉलर के स्तर तक पहुँच रहे हैं तथा पूरे विश्व के शहर सक्रिय रूप से प्रसिद्ध स्टार्टअप केंद्र बनने के लिये प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हैं।
- पिचबुक वैश्विक पूंजी बाज़ारों में फैले व्यापक डेटा, अनुसंधान और अंतर्दृष्टि के लिये अग्रणी संसाधन है।
- यह एक वित्तीय डेटा और सॉफ्टवेयर कंपनी है जिसके कार्यालय लंदन, न्यूयॉर्क, सैन फ्राँसिस्को व सिएटल में हैं।
मध्य प्रदेश Switch to English
यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में भीषण आग
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने में भीषण आग लग गई। इस कारखाने में वर्ष 1984 में मिथाइल आइसोसाइनेट (Methyl Isocyanate- MIC) गैस के रिसाव के कारण हज़ारों लोगों की मृत्यु हो गई थी और लाखों लोग दिव्यांग हो गए थे।
मुख्य बिंदु:
- यहाँ लगी आग पर करीब एक घंटे बाद काबू पाया जा सका। आग लगने के कारणों का अब तक पता नहीं चल पाया है।
- आग की इस घटना के बाद एक बार फिर लोगों में इस बात को लेकर भय व्याप्त है कि इससे निकलने वाला धुआँ उनके शरीर पर क्या प्रभाव डालेगा।
- वर्ष 1984 की गैस त्रासदी के बाद इस कारखाने को बंद कर दिया गया था।
भोपाल गैस त्रासदी
- परिचय:
- भोपाल गैस त्रासदी इतिहास में सबसे गंभीर औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक थी जो 2-3 दिसंबर, 1984 की रात भोपाल, मध्य प्रदेश में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) कीटनाशक संयंत्र में घटित हुई थी।
- इस दुर्घटना में लोगों और पशुओं के अत्यधिक ज़हरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) के संपर्क में आने के कारण तत्काल मौतें तथा दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव देखे गए।
- गैस रिसाव का कारण:
- गैस रिसाव का सटीक कारण अभी भी कॉर्पोरेट लापरवाही या कर्मचारियों की अनदेखी के बीच विवादित है। हालाँकि इस आपदा के कुछ कारक निम्नलिखित हैं:
- UCIL संयंत्र में खराब रखरखाव वाले टैंकों में बड़ी मात्रा में MIC का भंडारण किया जा रहा था जो अत्यधिक प्रतिक्रियाशील और वाष्पशील रसायन है।
- वित्तीय घाटे और बाज़ार प्रतिस्पर्द्धा के कारण संयंत्र का संचालन कम कर्मचारियों और सुरक्षा मानकों के साथ किया जा रहा था।
- संयंत्र घनी आबादी वाले क्षेत्र में स्थित था, जहाँ आस-पास के निवासियों हेतु कोई उचित आपातकालीन योजना या चेतावनी प्रणाली नहीं थी।
- आपदा की रात जल की बड़ी मात्रा MIC भंडारण टैंकों (E610) (संभवतः दोषपूर्ण वाल्व या असंतुष्ट कार्यकर्त्ता द्वारा जान-बूझकर की गई तोड़फोड़ की वजह से) में से एक में प्रवेश कर गई।
- इसने ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया को उत्प्रेरित किया और टैंक के अंदर तापमान एवं दबाव को बढ़ा दिया, जिससे वह फट गया और बड़ी मात्रा MIC गैस वातावरण में उत्सर्जित हो गई।
- गैस रिसाव का सटीक कारण अभी भी कॉर्पोरेट लापरवाही या कर्मचारियों की अनदेखी के बीच विवादित है। हालाँकि इस आपदा के कुछ कारक निम्नलिखित हैं:
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश में लू से सैकड़ों चमगादड़ों की मौत
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के मुताबिक, मध्य प्रदेश के झाबुआ ज़िले में हीटस्ट्रोक से सैकड़ों चमगादड़ों की मौत हो गई।
मुख्य बिंदु:
- उप-निदेशक (पशु चिकित्सा) के अनुसार, लू लगने से लगभग 250 चमगादड़ों की मौत हुई है
- चमगादड़ रात्रिचर जीव हैं, जो आमतौर पर सुबह-सुबह अपने निर्दिष्ट पेड़ों पर शरण लेते हैं।
चमगादड़:
- भारत में चमगादड़ों की 135 प्रजातियों पाई जाती हैं। चमगादड़ एक रात्रिचर जीव है।
- चमगादड़ आमतौर पर फलों का सेवन करते हैं तथा बीज के स्थानांतरण द्वारा परागण में मदद करते हैं, लेकिन कृषि को नुकसान भी पहुँचाते हैं जिसके कारण ये ‘कीड़े’ के रूप में भी जाने जाते हैं।
- अवैध शिकार, मांस की खपत, पारंपरिक दवाओं में उपयोग, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण प्रदूषण और जैविक आक्रमण के कारण दुनिया भर में चमगादड़ों की आबादी में गिरावट आई है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
प्रदूषण फैलाने पर PMC ने जारी किया नोटिस
चर्चा में क्यों?
प्रयागराज नगर निगम (PMC) ने स्मार्ट सिटी प्रयागराज में वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने के लिये प्रयागराज विकास प्राधिकरण (PDA), लोक निर्माण विभाग (PWD), उत्तर-मध्य रेलवे (NCR) और जल निगम सहित नौ विभागों को नोटिस जारी किया है
मुख्य बिंदु:
- नोटिस में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग का रिट नंबर शामिल है। निर्माण स्थलों को कवर करने के लिये हरे पर्दों का उपयोग करने, स्प्रिंकलर मशीनों के साथ नियमित रूप से पानी का छिड़काव करने, सड़क की मशीनीकृत सफाई करने और धूल को कम करने जैसे उपायों को लागू करने की सलाह दी गई है
- PMC के एक अधिकारी के अनुसार, शहर में वायु प्रदूषण में वृद्धि का कारण चल रही निर्माण गतिविधियाँ हैं। जनता की चिंताओं को दूर करने के लिये संबंधित विभागों को नोटिस भेज दिये गए हैं।
- निर्देशों का पालन नहीं करने पर नियमानुसार आगे की प्रवर्तन कार्रवाई की जा सकती है।
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