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स्टेट पी.सी.एस.

  • 24 Feb 2024
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छत्तीसगढ़ Switch to English

छत्तीसगढ़ कोरबा में एल्युमीनियम पार्क परियोजना को पुनर्जीवित करेगा

चर्चा में क्यों?

छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरबा में लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये मूल रूप से वर्ष 2021 में प्रस्तावित एल्यूमीनियम पार्क प्रस्ताव को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया है।

मुख्य बिंदु:

  • राज्य सरकार ने लघु उद्योगों को रियायती दर पर कच्चे एल्युमीनियम की आपूर्ति करने के लिये वेदांता लिमिटेड की सहायक कंपनी भारत एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (BALCO) के साथ एक समझौता किया था।
  • ज़िला प्रशासन ने परियोजना के लिये बाल्को टाउनशिप के पास रुखबहारी गाँव की ज़मीन की पहचान की और यहाँ तक कि परियोजना के लिये ग्रामीणों की सहमति लेने हेतु एक ग्राम सभा भी आयोजित की।
  • कोरबा ज़िले में एल्यूमिनियम पार्क की मांग को पूरा करने हेतु वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिये उद्योग विभाग के बजट प्रस्ताव में 5 करोड़ रुपए का प्रारंभिक प्रावधान किया गया है।

भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (BALCO)

  • BALCO को वर्ष 1965 में भारत में पहले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) के रूप में शामिल किया गया था और तब से यह प्रमुख रूप से भारतीय औद्योगिक विकास के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है।
  • वर्ष 2001 में भारत सरकार ने वेदांता लिमिटेड की सहायक कंपनी स्टरलाइट इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भारत एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (BALCO) के 51% शेयरों का विनिवेश किया।
  • BALCO निर्माण में स्टील और विद्युत् पारेषण उद्योग में कॉपर जैसी अन्य धातुओं के संभावित विकल्प के रूप में एल्युमीनियम महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
  • BALCO का प्रमुख परिचालन कोरबा (छत्तीसगढ़) शहर में है, जबकि उच्च ग्रेड बॉक्साइट की आपूर्ति करने वाली इसकी खदानें कवर्धा और मैनपाट में स्थित हैं।

उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश में किसानों की मांगों पर विचार करने हेतु समिति का गठन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने राज्य के किसानों की शिकायतों पर विचार करने के लिये तीन सदस्यीय समिति का गठन किया, जिनकी भूमि विकास उद्देश्यों के लिये नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे क्षेत्रों में अधिग्रहित की गई थी।

मुख्य बिंदु:

  • नोएडा और ग्रेटर नोएडा गाँवों के किसान पिछले दो महीनों से 64.7 प्रतिशत बढ़े हुए भूमि मुआवज़े, अपने परिवारों के लिये बेहतर पुनर्वास सुविधाओं, वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिये आवासीय भूखंडों का उपयोग करने की अनुमति, अपने बच्चों के लिये नौकरी तथा बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
  • समिति आवश्यक कदम उठाने के लिये किसानों और अन्य हितधारकों के साथ भी चर्चा करेगी।नोएडा और ग्रेटर नोएडा के CEOs किसानों के मुद्दों को संबोधित करने में इस समिति का समर्थन करेंगे। समिति तीन महीने में राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश विकास परियोजनाओं के लिये CSR फंड का उपयोग करेगा

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये राज्य के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) भंडार को बढ़ाने के लिये कॉर्पोरेट्स की ओर रुख करेगी।

मुख्य बिंदु:

  • उत्तर प्रदेश उन शीर्ष पाँच राज्यों में से एक है जो कंपनियों से CSR फंड का अधिकांश हिस्सा हैं। अन्य में महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु शामिल हैं।
  • कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 कुछ कंपनियों को पिछले तीन वित्तीय वर्षों से अपने औसत मुनाफे का 2% CSR गतिविधियों के लिये आवंटित करने का आदेश देती है।
  • राज्य ने CSR फंड के माध्यम से बड़े पैमाने पर निजी क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों के योगदान को भी स्वीकार किया है।
    • वर्ष 2014-15 में, यूपी को केवल 148 करोड़ रुपए मिले जो वर्ष 2017-18 में बढ़कर 435 करोड़ रुपए हो गए। वर्ष 2021-22 में, यूपी में 1,321 करोड़ रुपए का CSR खर्च हुआ जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर लगभग 1,500 करोड़ रुपए हो गया।

कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR)

  • कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व की अवधारणा में यह दृष्टिकोण निहित है कि कंपनियों को पर्यावरण एवं सामाजिक कल्याण पर उनके प्रभावों का आकलन करना चाहिये और ज़िम्मेदारी लेनी चाहिये, साथ ही सकारात्मक सामाजिक तथा पर्यावरणीय परिवर्तन को बढ़ावा देना चाहिये।
  • कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के चार मुख्य प्रकार हैं:
    • पर्यावरणीय उत्तरदायित्व
    • नैतिक उत्तरदायित्व
    • परोपकारी उत्तरदायित्व
    • आर्थिक उत्तरदायित्व
  • कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व प्रावधान उन कंपनियों पर लागू होते हैं जिनका वार्षिक कारोबार 1,000 करोड़ रुपए एवं उससे अधिक है या जिनकी कुल संपत्ति 500 करोड़ रुपए एवं उससे अधिक है या उनका शुद्ध लाभ 5 करोड़ रुपए एवं उससे अधिक है।
    • इस अधिनियम में कंपनियों द्वारा एक CSR समिति गठित करना आवश्यक है जो निदेशक मंडल को एक कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व नीति की सिफारिश करेगी और समय-समय पर उसकी निगरानी भी करेगी।

कंपनी अधिनियम, 2013

  • भारतीय कंपनी अधिनियम संसद का एक अधिनियम है जिसे वर्ष 1956 में अधिनियमित किया गया था। यह कंपनियों को पंजीकरण द्वारा गठित करने में सक्षम बनाता है, कंपनियों, उनके कार्यकारी निदेशक और सचिवों की ज़िम्मेदारियों को निर्धारित करता है।
  • वर्ष 2013 में सरकार ने भारतीय कंपनी अधिनियम 1956 में संशोधन किया और एक नया अधिनियम जोड़ा जिसे भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 कहा गया।
    • कंपनी अधिनियम, 1956 को आंशिक रूप से भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।
    • यह एक अधिनियम बन गया और अंततः यह सितंबर 2013 में लागू हुआ।
  • वर्ष 2020 में भारत की संसद ने कंपनी अधिनियम में और संशोधन करने तथा विभिन्न अपराधों को कम करने के साथ-साथ देश में व्यापार करने में सुगमता को बढ़ावा देने के लिये कंपनी (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया।
  • प्रस्तावित परिवर्तनों में कुछ अपराधों के लिये दंड में कमी के साथ-साथ अधिकारों के मुद्दों के संदर्भ में समय-सीमा, कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी (CSR) अनुपालन आवश्यकताओं में छूट और राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय
  • याधिकरण (NCLAT) में अलग बेंच की स्थापना भी शामिल है

हरियाणा Switch to English

गुड़गाँव मैराथन का पहला संस्करण

चर्चा में क्यों?

गुरुग्राम मैराथन के पहले संस्करण के लिये अब तक 27,000 से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया है।

मुख्य बिंदु:

  • लेज़र वैली पार्क में मैराथन एक्सपो का आयोजन किया जाएगा जिसमें प्रतिभागियों को मैराथन किट दी जाएंगी।
  • प्रशासन ने अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये कई धावक समूहों, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, स्कूल संघों, शहर के सभी कॉर्पोरेट्स और नागरिक समूहों के साथ कई बैठकें कीं।
  • क्रिकेटर शिखर धवन इस आयोजन के ब्रांड एंबेसडर हैं। मैराथन को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इनमें से तीन प्रतिस्पर्द्धी हैं, जिनमें विजेताओं को नकद पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।

झारखंड Switch to English

शहरी आजीविका पर राष्ट्रीय कार्यशाला

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के सहयोग से आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (Deendayal Antyodaya Yojana-National Urban Livelihoods Mission- DAY-NULM) के तहत रांची में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला बुलाई।

मुख्य बिंदु:

  • कार्यशाला ने शहरी आजीविका में उभरते रुझानों और अवसरों पर उच्च स्तरीय विचार-विमर्श के लिये एक मंच के रूप में कार्य किया, जिसमें शहरी भारत में महिलाओं के लिये लचीलापन एवं सशक्तीकरण को बढ़ावा देने पर प्राथमिक ध्यान दिया गया।
    • प्रतिभागियों में राज्य शहरी आजीविका मिशन के राज्य मिशन निदेशक, MoHUA और झारखंड राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, UNDP भारत के वरिष्ठ अधिकारी, अग्रणी क्षेत्र के विशेषज्ञ एवं अनुसंधान संस्थानों, स्टार्ट-अप, परोपकार तथा दाता संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे।
  • इस कार्यक्रम में महिलाओं के नेतृत्व वाली शहरी आजीविका और जलवायु, सेवाओं, खुदरा एवं विनिर्माण में उभरते क्षेत्रों तथा उद्यमों के प्रकार को बढ़ावा देने के लिये सक्षम रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करने पर चर्चा हुई।
  • इसने बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों तथा नवीन वित्तीय निवेशों की पहचान के माध्यम से शहरी गरीबी के मुद्दों को संबोधित करने में परोपकार की भूमिका जैसे अन्य विषयों का भी पता लगाया।

राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक

  • राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन समान रूप से भारित आयामों में एक साथ अभाव को मापती है जो 12 सतत् विकास लक्ष्य-संरेखित संकेतकों द्वारा दर्शाए जाते हैं।
    • इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, विद्युत, आवास, संपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं।
  • MPI की वैश्विक कार्यप्रणाली मज़बूत अलकिरे और फोस्टर (AF) पद्धति पर आधारित है जो तीव्र गरीबी का आकलन करने के लिये डिज़ाइन किये गए सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत मैट्रिक्स के आधार पर लोगों को गरीब के रूप में पहचानती है, जो पारंपरिक मौद्रिक गरीबी उपायों हेतु एक पूरक परिप्रेक्ष्य प्रदान करती है।

दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM)

  • यह मिशन वर्ष 2014 में लॉन्च किया गया था और इसे आवास तथा शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • इसका उद्देश्य कौशल विकास के माध्यम से स्थायी आजीविका के अवसरों में वृद्धि करके शहरी गरीबों का उत्थान करना है।
  • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
  • केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीयन का अनुपात 75:25 होगा। पूर्वोत्तर राज्यों तथा विशेष श्रेणी के लिये यह अनुपात 90:10 का होगा।
  • इसके लक्षित लाभार्थी शहरी गरीब (सड़क विक्रेता, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले, बेघर, कूड़ा बीनने वाले), बेरोज़गार और दिव्यांग हैं।

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP)

  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम वर्ष 1951 से भारत में मानव विकास के लगभग सभी क्षेत्रों में कार्य कर रहा है।
  • भारत सरकार और विकास भागीदारों के साथ मिलकर गरीबी उन्मूलन, असमानताओं को कम करने, स्थानीय शासन को मज़बूत करने, सामुदायिक लचीलेपन को बढ़ाने, पर्यावरण की रक्षा, नीतिगत पहल और संस्थागत सुधारों का समर्थन करने तथा सभी के लिये सतत् विकास को गति प्रदान करने हेतु कार्य करता है।

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