प्रारंभिक परीक्षा
भारत का पहला एल्युमीनियम फ्रेट रेक
- 18 Oct 2022
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हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री ने भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन पर भारत के पहले एल्युमिनियम फ्रेट रेक-61 BOBRNALHSM1 का उद्घाटन किया।
एल्युमीनियम फ्रेट रेक का महत्त्व:
- मेक इन इंडिया कार्यक्रम में सुधार: यह मेक इन इंडिया कार्यक्रम के लिये एक समर्पित प्रयास है क्योंकि इसे RDSO, HINDALCO और बेस्को वैगन के सहयोग से पूरी तरह से स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और विकसित किया गया है।
- कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाना: यह खाली रहने की दशा में ईंधन का कम उपयोग करके और भरी हुई स्थिति में अधिक माल ढुलाई करके कार्बन फुटप्रिंट को कम करेगा। यह एल्युमिनियम रेक अपने पूरे सेवा काल में करीब 14,500 टन कम कार्बन उत्सर्जन करेगा।
- अनुमान के अनुसार, एक वर्ष में लगभग 15 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन को रोका जा सकता है, भले ही केंद्र सरकार द्वारा पेश किये जाने वाले 2 लाख रेलवे वैगनों (Wagons) में से केवल 5% एल्यूमीनियम निर्मित हों।
- आयात में कमी: लोहा उद्योग निकेल और कैडमियम की बहुत अधिक खपत करता है जो आयात से आता है। इसलिये एल्युमीनियम वैगनों के प्रसार के परिणामस्वरूप कम आयात होगा। साथ ही यह स्थानीय एल्युमीनियम उद्योग के लिये अच्छा है।
- कम ऊर्जा की खपत: नए एल्युमीनियम रेक कथित तौर पर मौजूदा स्टील रेक की तुलना में 180 टन हल्के हैं। नए डिज़ाइन की वहन क्षमता उनके स्टील समकक्षों की तुलना में 5% -10% अधिक बताई गई है। इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि वे रोलिंग स्टॉक और रेल के अपेक्षाकृत नगण्य वियर एंड टिअर के साथ कम ऊर्जा की खपत करते हैं।
- नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जक: यह भारतीय रेलवे को 2030 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन हासिल करने में मदद करेगा और दुनिया का सबसे बड़ा हरित रेलवे बन जाएगा।