उत्तर प्रदेश Switch to English
राम मंदिर प्रतिष्ठा: राज्यों ने अवकाश घोषित किया
चर्चा में क्यों?
22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह के उपलक्ष्य में, कई राज्यों ने सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की या सरकारी कर्मचारियों को आधे दिन की छुट्टी दी।
मुख्य बिंदु:
- केंद्र सरकार के सभी कार्यालय दोपहर 2.30 बजे तक बंद रहे, कई राज्यों ने भी 22 जनवरी को 'शुष्क दिवस' घोषित किया।
- पूरे देश में केंद्र सरकार के प्रतिष्ठान, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, बीमा कंपनियाँ, वित्तीय संस्थान और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) आधे दिन के लिये बंद रहे।
- दिल्ली विश्वविद्यालय के साथ-साथ जामिया मिलिया इस्लामिया जैसे केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान और उसके स्कूल भी दोपहर 2.30 बजे तक आधे दिन के लिये बंद रहे।
- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में भी 22 जनवरी को व्यापारिक अवकाश रहा।
अयोध्या राम मंदिर
- यह 3 मंज़िला मंदिर, पारंपरिक नागर शैली में बनाया गया है।
- निर्माण में मकराना संगमरमर और गुलाबी बलुआ पत्थर, ग्रेनाइट पत्थर तथा रंगीन संगमरमर का उपयोग किया गया है।
- निर्माण में कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है।
- मुख्य गर्भ गृह में राम लला की मूर्तियाँ हैं, साथ ही रंग मंडप और नृत्य मंडप सहित कई मंडप हैं।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (NSE) भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाज़ार है।
- वर्ष 1992 में निगमित, NSE एक परिष्कृत, इलेक्ट्रॉनिक बाज़ार के रूप में विकसित हुआ है जो इक्विटी ट्रेडिंग वॉल्यूम के हिसाब से विश्व में चौथे स्थान पर है।
- NSE भारत में आधुनिक, पूर्णतः स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्रदान करने वाला पहला एक्सचेंज था।
- NSE भारत में सबसे बड़ा निजी वाइड-एरिया नेटवर्क है।
- NIFTY 50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (NSE) का प्रमुख सूचकांक है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
रैपिड रेल कॉरिडोर के लिये 16,000 करोड़ रुपए की मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने 16,000 करोड़ रुपए की रैपिड रेल कॉरिडोर परियोजना को मंज़ूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में कई हवाई अड्डों को निर्बाध रूप से जोड़ना है।
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (NCRTC) इस कॉरिडोर के लिये एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर रहा है, जिसे मार्च 2024 तक अंतिम रूप दिये जाने की उम्मीद है।
मुख्य बिंदु:
- एक बार शुरू होने के बाद, चार वर्ष के अनुमानित समापन समय के साथ यह परियोजना दो प्रमुख हवाई अड्डों और दिल्ली के विभिन्न हिस्सों को जोड़ेगी।
- इससे आगामी नोएडा हवाई अड्डे को दिल्ली हवाई अड्डे से यात्री यातायात के अतिप्रवाह को पकड़ने में सहायता मिलने की उम्मीद है।
- प्रस्तावित नोएडा हवाईअड्डा लिंक गाज़ियाबाद स्टेशन से शुरू होगा, जो दिल्ली मेरठ रैपिड रेल ट्रांसपोर्ट के लिये एक इंटरचेंज बिंदु के रूप में कार्य करेगा।
- यात्रियों के पास दिल्ली-मेरठ रेल के शुरुआती स्टेशन सराय काले खाँ के माध्यम से प्रगतिरत दिल्ली-अलवर रैपिड रेल से जुड़ने का विकल्प भी होगा।
- दिल्ली-अलवर रेल, वर्ष 2025 के मध्य तक समाप्त होने की उम्मीद है, इसमें इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और एयरोसिटी का स्टेशन शामिल होगा।
- नोएडा हवाई अड्डे के अधिकारी दिल्ली और गुड़गाँव के साथ एक व्यापक मल्टी-मॉडल परिवहन कनेक्टिविटी नेटवर्क स्थापित करने के लिये हाई-स्पीड बस कॉरिडोर सहित अन्य सार्वजनिक परिवहन साधनों को विकसित करने पर भी कार्य कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश Switch to English
अयोध्या में BHISHM क्यूब
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भीष्म (भारत हेल्थ इनिशिएटिव फॉर सहयोग, हित एंड मैत्री- BHISHM) क्यूब, अयोध्या में स्थित एक अत्याधुनिक स्वदेशी मोबाइल अस्पताल है जो प्रोजेक्ट आरोग्य मैत्री का हिस्सा है।
- यह उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन के दौरान एक चिकित्सा आपातकाल की स्थिति में एक जीवनरक्षक के रूप में उभरकर आया।
मुख्य बिंदु:
- आरोग्य मैत्री परियोजना में भारत प्राकृतिक आपदाओं या मानवीय संकटों के प्रभाव का सामना करने वाले किसी भी विकासशील देश को महत्त्वपूर्ण चिकित्सा संसाधनों की आपूर्ति करना शामिल है।
- BHISHM क्यूब को त्वरित प्रतिक्रिया और समग्र देखभाल पर बल देते हुए 200 हताहतों तक के उपचार के लिये तैयार किया गया है।
- यह एड क्यूब (Aid Cube) आपात स्थितियों के दौरान आपदा प्रतिक्रिया और चिकित्सा सहायता वृद्धि करने हेतु निर्मित कई नवोन्मेषी उपकरणों से युक्त है।
- यह क्षेत्र में चिकित्सा सेवाओं के प्रभावी समन्वय, वास्तविक समय की निगरानी और कुशल प्रबंधन को सुगम बनाने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) तथा डेटा एनालिटिक्स को एकीकृत करता है।
- BHISHM क्यूब की सफलता आपात स्थिति के दौरान तत्काल और प्रभावी चिकित्सा सहायता प्रदान करने में मोबाइल अस्पताल इकाइयों के महत्त्व को रेखांकित करती है।
मध्य प्रदेश Switch to English
भगवान राम से जुड़े स्थानों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि राज्य में रामलला से जुड़े स्थानों को लोकप्रिय पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया जाएगा।
- उन्होंने निवाड़ी ज़िले के ओरछा कस्बे में राम राजा मंदिर से प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को वर्चुअली देखा।
मुख्य बिंदु:
- राम मंदिर मूर्ति प्रतिष्ठा समारोह एक ऐतिहासिक घटना थी।
- करीब 142 करोड़ लोगों ने सरकार का साथ दिया और सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल प्रस्तुत की।
राम राजा मंदिर
- राम राजा मंदिर मध्य प्रदेश के ओरछा में स्थित एक मंदिर है।
- यह एक पवित्र हिंदू तीर्थस्थल है और यहाँ नियमित रूप से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं तथा इसे आमतौर पर ओरछा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
- जिन मूर्तियों को भव्य चतुर्भुज मंदिर में स्थापित किया जाना था, उन्हें उस ज़मीन पर रखा गया था जहाँ अब यह मंदिर स्थित है।
- लेकिन एक बार ज़मीन पर रखने के बाद मूर्तियाँ हिल नहीं पाती थीं।
- इससे वह स्थान पवित्र हो गया और एक मंदिर का निर्माण किया गया जहाँ मूर्तियाँ रखी गईं।
- राम राजा मंदिर की वास्तुकला उत्कृष्ट है, जो संगमरमर के प्रांगण और रंगीन दीवारों से सुसज्जित है।
उत्तराखंड Switch to English
'विकसित उत्तराखंड' : गणतंत्र दिवस परेड की झाँकी
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2024 में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करने वाली गणतंत्र दिवस परेड की झाँकी 'विकसित उत्तराखंड' की थीम को प्रदर्शित करेगी।
- यह निर्णय राज्य की झाँकी 'मानसखंड' की सफलता के बाद लिया गया है, जिसने वर्ष 2023 के गणतंत्र दिवस परेड में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया था।
मुख्य बिंदु:
- अधिकारियों के मुताबिक, सामने वाले हिस्से में पारंपरिक पोशाक पहने एक कुमाऊंनी महिला गर्मजोशी से स्वागत कर रही है।
- झाँकी में राज्य पक्षी मोनाल के साथ-साथ मडुवा, झंगोरा, रामदाना और कौनी जैसी पारंपरिक फसलों की कृषि को भी दिखाया गया है। झाँकी के मध्य भाग में होमस्टे एक प्रमुख हिस्सा है।
- झाँकी के समापन खंड में राज्य की विकासात्मक परियोजनाओं के महत्त्वपूर्ण तत्त्वों को दर्शाया गया है, जैसे कि चारधाम मार्ग की ऑल वेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना, रोपवे सिस्टम और माणा के लिये बढ़ी हुई सड़क कनेक्टिविटी।
झंगोरा
- यह नैतिक रूप से उत्तरकाशी घाटी, उत्तराखंड के किसानों से प्राप्त किया गया है। यह मानव जाति के लिये ज्ञात सबसे पुराने अनाजों में से एक है, जो लगभग 3000 वर्ष पुराना है।
- इसे सामान्यतः बंगाली में श्यामा, गुजराती में मोराइयो, हिंदी में संवा चावल, कन्नड़ में उदलु, तमिल में तेलगु और कुथिराईवली के नाम से जाना जाता है।
रामदाना
- इसे हाथ से चुना जाता है और हिमालय घाटी से प्राप्त किया गया है। यह कश्मीर से भूटान तक फैले हिमालय क्षेत्र में 1,000-3,000 मीटर की ऊँचाई के बीच बहुतायत में उगता है।
- यह एक संपूर्ण प्रोटीन है, जिसमें सभी नौ आवश्यक अमीनो एसिड और 14% प्रोटीन होता है। इसे अमरंथ, चुआ, चौलाई और पुंगिकिरी के नाम से भी जाना जाता है।
मोनाल
- हिमालयन मोनाल, जिसे इम्पेयन मोनाल, इम्पेयन फैजेन्ट/तीतर के नाम से भी जाना जाता है, तीतर परिवार, फासियानिडे का एक पक्षी है।
- यह उत्तराखंड का राज्य पक्षी है। इसे वर्ष 2018 में उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों के शुभंकर के रूप में चुना गया है।
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के अनुसार हिमालयन मोनाल अनुसूची- I सूचीबद्ध एक पक्षी है और IUCN द्वारा इसे ‘कम चिंताजनक (LC)’ प्रजातियों की श्रेणी में रखा गया है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ गणतंत्र दिवस की झाँकी
चर्चा में क्यों?
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड से पहले 22 जनवरी को नई दिल्ली के नेशनल थिएटर में छत्तीसगढ़ की 'बस्तर की आदिम जन संसद: मुरिया दरबार' की झाँकी प्रदर्शित की गई।
मुख्य बिंदु:
- आदिम काल से आदिवासी समाज की लोकतांत्रिक चेतना को प्रदर्शित करने के लिये झाँकी की सराहना की गई।
- छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने झाँकी बनाने वाली टीम की सराहना करते हुए कहा कि यह विषय आदिवासी समाज के लिये महत्त्वपूर्ण है और यह विश्व को उनकी लोकतांत्रिक परंपराओं से परिचित कराएगा।
- 'बस्तर की आदिम जन संसद: मुरिया दरबार' की झाँकी जो नई दिल्ली के कर्त्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा होगी, उसमें मुरिया-दरबार और लिमाऊ-राजा शामिल हैं, जो जगदलपुर की बस्तर-दशहरा परंपरा का हिस्सा हैं।
- इसमें टेराकोटा शिल्प, लोगों की शक्ति का प्रतीक और बस्तर में सांस्कृतिक विकास को प्रदर्शित करता है।
- यह छत्तीसगढ़ के एक ज़िले बस्तर में सामुदायिक निर्णय लेने की 600 वर्ष पुरानी आदिवासी परंपरा को भी प्रदर्शित करता है।
- बस्तर में मुरिया दरबार की शुरुआत 8 मार्च 1876 को हुई थी, जिसमें सिरोंचा के डिप्टी कमिश्नर मेक जॉर्ज ने मांझी-चालकियों को संबोधित किया था।
- बाद में लोगों की सुविधा के अनुसार इसे बस्तर दशहरा का अभिन्न अंग बना दिया गया, जो परंपरा के अनुसार 145 वर्षों तक जारी रहा।
लिमऊ राजा
- यह प्राकृतिक पत्थर का सिंहासन है जो बस्तर की लोकतांत्रिक जड़ों का प्रतीक है और बड़े डोंगर, गादीराव डोंगरी के भीतर स्थित है।
- प्राचीन समय में, जब इस क्षेत्र में शासक का अभाव था, तो समुदाय महत्त्वपूर्ण मामलों पर विचार-विमर्श करने के लिये इस पत्थर के "सिंहासन" के आसपास इकट्ठा होते थे।
- एक अनुष्ठान शुरू हुआ जहाँ प्रतीकात्मक सिंहासन के ऊपर रखा गया एक नींबू निर्णय लेने का केंद्र बिंदु बन गया।
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