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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 21 Aug 2024
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राजस्थान इन्वेस्टर्स समिट, 2024 के लिये सुझाव

चर्चा में क्यों?

सूत्रों के अनुसार, व्यापार संघों और उद्योग मंडलों ने 9 से 11 दिसंबर, 2024 तक जयपुर में आयोजित होने वाले राइज़िंग राजस्थान, एक इन्वेस्टर्स समिट के लिये सिफारिशें प्रदान की हैं।

प्रमुख बिंदु

  • समिट की औपचारिक घोषणा 1 अगस्त, 2024 को की गई थी और राज्य सरकार को 5.40 ट्रिलियन रुपए से अधिक के निवेश के लिये समझौता ज्ञापन (MoU) प्राप्त हुआ था।
  • राज्य के व्यापार क्षेत्र का मानना ​​है कि ऐसी घटनाओं के नियमित रूप से होने से उद्योग विभाग की अन्य ज़िम्मेदारियों से ध्यान, प्रयास और धन का विचलन हो सकता है, क्योंकि इन घटनाओं के आयोजन में वर्ष भर की व्यापक योजना एवं तैयारी शामिल होती है।

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रणथंभौर टाइगर रिज़र्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वन विभाग ने एक साहसिक रैली के दौरान रणथंभौर टाइगर रिज़र्व (RTR) में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले 14 SUV मालिकों पर 1-1 लाख रुपए का ज़ुर्माना लगाया।

प्रमुख बिंदु

  • यह ज़ुर्माना वन्यजीव अधिनियम, 1972 की धारा 27/51 के अनुसार लगाया गया।
  • परिचय:
    • रणथंभौर टाइगर रिज़र्व राजस्थान राज्य के पूर्वी भाग में करौली और सवाई माधोपुर ज़िलों में अरावली तथा विंध्य पर्वत शृंखलाओं के संगम पर स्थित है।

    • इसमें रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के साथ-साथ सवाई मानसिंह और कैलादेवी अभयारण्य भी शामिल हैं।

    • रणथंभौर किला, जिसके नाम से जंगलों का नाम पड़ा है, के बारे में कहा जाता है कि इसका इतिहास 1000 वर्ष से भी ज़्यादा पुराना है। यह उद्यान के भीतर 700 फीट ऊँची पहाड़ी पर रणनीतिक रूप से स्थित है और माना जाता है कि इसका निर्माण 944 ई. में एक चौहान शासक ने करवाया था।

    • बाघों से आच्छादित यह पृथक क्षेत्र बंगाल बाघ के वितरण क्षेत्र की उत्तर-पश्चिमी सीमा का प्रतिनिधित्व करता है और यह देश में संरक्षण के लिये प्रोजेक्ट टाइगर के प्रयासों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • विशेषताएँ:
    • इस रिज़र्व में अत्यधिक खंडित वन क्षेत्र, खड्ड, नदी-नाले और कृषि भूमि शामिल हैं। 
    • यह कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य के कुछ हिस्सों, चंबल के खड्डों वाले आवासों और श्योपुर के वन क्षेत्रों के माध्यम से मध्य प्रदेश के कुनो-पालपुर परिदृश्य से जुड़ा हुआ है। 
    • चंबल नदी की सहायक नदियाँ बाघों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान की ओर जाने के लिये आसान मार्ग प्रदान करती हैं।
  • वनस्पति एवं वन्य जीवन:
    • वनस्पति में पठारों पर घास के मैदान और मौसमी नदियों के किनारे घने जंगल शामिल हैं।
      • यहाँ का जंगल मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती है, जिसमें 'ढाक' (ब्यूटिया मोनोस्पर्मा) नामक वृक्ष की प्रजाति सबसे आम है, जो लंबे समय तक सूखे को झेलने में सक्षम है। 
      • इस पेड़ को 'जंगल की आग' भी कहा जाता है और यह उन कई फूलों वाले पौधों में से एक है जो यहाँ की शुष्क गर्मियों में रंग भर देते हैं।
    • यह उद्यान वन्य जीवन से समृद्ध है, जिसमें स्तनधारियों में बाघ खाद्य शृंखला के शीर्ष पर हैं। 
    • यहाँ पाए जाने वाले अन्य जानवरों में तेंदुए, धारीदार लकड़बग्घा, सामान्य या हनुमान लंगूर, रीसस मकाक, सियार, जंगली बिल्लियाँ, कैराकल, काला हिरण, ब्लैकनेप्ड खरगोश और चिंकारा आदि शामिल हैं।
  • राजस्थान में अन्य संरक्षित क्षेत्र:

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