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भारत बंद के चलते राजस्थान में हाई अलर्ट
चर्चा में क्यों?
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति द्वारा आयोजित भारत बंद के बाद राजस्थान में हाई अलर्ट है।
यह विरोध प्रदर्शन सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय के विरोध में है, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के बीच 'क्रीमी लेयर' की पहचान करने तथा उन्हें आरक्षण लाभ से बाहर करने का निर्देश दिया गया है।
मुख्य बिंदु
- सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि राज्यों को पिछड़ेपन के विभिन्न स्तरों के आधार पर SC और ST को उप-वर्गीकृत करने की संवैधानिक अनुमति है।
- सात न्यायाधीशों की पीठ ने निर्णय सुनाया कि राज्य अब सबसे वंचित समूहों को बेहतर सहायता प्रदान करने के लिये 15% आरक्षण कोटे के भीतर SC को उप-वर्गीकृत कर सकते हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया है कि 'क्रीमी लेयर' सिद्धांत, जो पहले केवल अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) पर लागू होता था (जैसा कि इंद्रा साहनी मामले में उजागर किया गया था), अब SC और ST पर भी लागू होना चाहिये।
- इसका अर्थ है कि राज्यों को SC और ST के भीतर क्रीमी लेयर की पहचान करनी चाहिये तथा उन्हें आरक्षण लाभों से बाहर करना चाहिये।
बंद, हड़ताल या इसी तरह के विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की संवैधानिकता
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(c) नागरिकों को संघ या यूनियन बनाने का मौलिक अधिकार देता है।
- अनुच्छेद 19 अपने नागरिकों के अधिकारों, विशेष रूप से भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के संबंध में राज्य की शक्ति को प्रतिबंधित करता है।
- अनुच्छेद 19(1)(a) नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है, जिसमें विभिन्न माध्यमों से राय, विश्वास एवं दृढ़ विश्वास व्यक्त करना शामिल है।
- विचारों के प्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व के रूप में प्रदर्शनों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत संरक्षित किया जाता है, बशर्ते वे अहिंसक और व्यवस्थित हों।
- हड़तालों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में शामिल नहीं किया गया है।
- अनुच्छेद 19 स्पष्ट रूप से नागरिकों को हड़ताल, बंद या चक्का जाम आयोजित करने का मौलिक अधिकार नहीं देता है।
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RECPDCL ने राजस्थान पावर प्रोजेक्ट को Apraava को हस्तांतरित किया
चर्चा में क्यों?
REC लिमिटेड की सहायक कंपनी REC पावर डेवलपमेंट एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड (RECPDCL) ने राजस्थान IV-A पॉवर ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट अप्रावा एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (Apraava Energy Private Limited- AEPL) को हस्तांतरित कर दी।
- यह परियोजना राजस्थान नवीकरणीय ऊर्जा ज़ोन फेस IV से विद्युत की निकासी को सुविधाजनक बनाने हेतु तैयार की गई है, जिसमें जैसलमेर और बाड़मेर परिसर शामिल हैं।
मुख्य बिंदु
- राजस्थान IV-A पॉवर ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट:
- प्रोजेक्ट का दायरा:
- 765/400 kV, 4x1500 MVA पूलिंग स्टेशन का निर्माण।
- 400/220 kV, 5x500 MVA पूलिंग स्टेशन का निर्माण।
- 400 kV ट्रांसमिशन लाइन की 184.56 किलोमीटर की लाइन बिछाई जाएगी।
- समय-सीमा: इस परियोजना के दो वर्ष के भीतर पूरा होने की आशा है।
- क्षमता वृद्धि: इस परियोजना से क्षेत्र की विद्युत संचरण क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
- प्रभाव: यह परियोजना राजस्थान के नवीकरणीय ऊर्जा उद्देश्यों का समर्थन करेगी।
- महत्त्व: यह हस्तांतरण वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 गीगावाट की स्थापित विद्युत क्षमता हासिल करने के व्यापक लक्ष्य का हिस्सा है।
- मॉडल का प्रकार: इस परियोजना को निर्माण-परिचालन-हस्तांतरण ( Build, Own, Operate, and Transfer- BOOT) के आधार पर विकसित किया जाएगा। यह विकास क्षेत्र में विद्युत संचरण बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- BOOT मॉडल एक प्रकार का ऑपरेटर मॉडल है जिसका उपयोग परियोजना प्रबंधन में किया जाता है। इस मॉडल में वास्तविक निवेशक किसी परियोजना के निर्माण, संचालन और रखरखाव को सीमित समय के लिये किसी अन्य कंपनी को सौंपता है।
- प्रोजेक्ट का दायरा:
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