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हरियाणा स्टेट पी.सी.एस.

  • 18 Jul 2024
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हरियाणा ने अग्निवीर कोटा बढ़ाया

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हरियाणा सरकार ने कांस्टेबल और वन रक्षक सहित अन्य पदों की भर्ती में अग्निवीरों के लिये 10% क्षैतिज आरक्षण की घोषणा की।

मुख्य बिंदु:

  • अग्निवीरों को सिविल पदों के लिये ग्रुप-सी की सीधी भर्ती में 5% और ग्रुप-बी की सीधी भर्ती में 1% क्षैतिज आरक्षण मिलेगा।
  • जो निजी प्रतिष्ठान अग्निवीरों को 30,000 अथवा उससे अधिक मासिक वेतन देते हैं, उन्हें राज्य सरकार से 60,000 की वार्षिक सब्सिडी मिलेगी।
  • व्यवसाय शुरू करने वाले अग्निवीर को 5 लाख तक के ऋण पर ब्याज लाभ मिलेगा।
  • अग्निवीरों को शस्त्र लाइसेंस और सरकारी विभागों/बोर्डों/निगमों में रोज़गार के लिये प्राथमिकता दी जाएगी।

अग्निपथ योजना

  • परिचय:
    • यह देशभक्त और प्रेरित युवाओं को चार वर्ष की अवधि के लिये सशस्त्र बलों में सेवा करने का अवसर प्रदान करता है।
    • इस योजना के तहत सेना में शामिल होने वाले युवाओं को अग्निवीर कहा जाएगा। युवा कम अवधि के लिये सेना में भर्ती हो सकेंगे।
    • नई योजना के तहत प्रतिवर्ष लगभग 45,000 से 50,000 सैनिकों की भर्ती की जाएगी तथा इनमें से अधिकांश चार वर्षों में ही सेवा छोड़ देंगे।
    • हालाँकि चार वर्षों के बाद बैच के केवल 25% लोगों को ही 15 वर्षों की अवधि के लिये उनकी संबंधित सेवाओं में वापस भर्ती किया जाएगा।
  • पात्रता मापदंड:
    • यह केवल अधिकारी रैंक से नीचे के कार्मिकों के लिये है (जो कमीशन प्राप्त अधिकारी के रूप में सेना में शामिल नहीं होते हैं)।
      • कमीशन प्राप्त अधिकारी सेना के सर्वोच्च रैंक वाले अधिकारी होते हैं।
      • भारतीय सशस्त्र बलों में कमीशन प्राप्त अधिकारियों को एक विशेष रैंक प्राप्त है। वे प्रायः राष्ट्रपति की संप्रभु शक्ति के तहत कमीशन प्राप्त करते हैं और उन्हें आधिकारिक तौर पर देश की रक्षा करने का निर्देश दिया जाता है।
    • 17.5 वर्ष से 23 वर्ष की आयु के अभ्यर्थी आवेदन करने के पात्र होंगे।


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महामारी तैयारी नवाचारों का गठबंधन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में स्वास्थ्य अनुसंधान के लिये एशिया की पहली प्री-क्लीनिकल नेटवर्क सुविधा क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (Regional Centre of Biotechnology- RCB) में स्थापित की गई।

मुख्य बिंदु

  • CEPI ने BSL3 रोगजनकों को नियंत्रित करने की क्षमता के आधार पर BRIC-THSTI को प्री-क्लीनिकल नेटवर्क प्रयोगशाला के रूप में चुना है।
    • यह 9वीं नेटवर्क प्रयोगशाला है और यह एशिया की पहली प्रयोगशाला होगी, जो अमेरिका, यूरोप तथा ऑस्ट्रेलिया की अन्य प्रयोगशालाओं में शामिल होगी।
    • यह पशु सुविधा देश की सबसे बड़ी सुविधाओं में से एक है, जिसमें लगभग 75,000 चूहों के साथ-साथ कमज़ोर प्रतिरक्षा वाले चूहे, खरगोश, हैम्स्टर और गिनी पिग भी रखे गए हैं।
  • जेनेटिकली डिफाइंड ह्यूमन एसोसिएटेड माइक्रोबियल कल्चर कलेक्शन ( Ge-HuMic) फैसिलिटी" का भी उद्घाटन किया गया, जो अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों और उद्योगों को अनुसंधान तथा विकास के लिये माइक्रोबियल कल्चर को प्रदान करने के लिये एक "भंडार" के रूप में कार्य करेगा।
    • यह सुविधा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों तथा उद्योग के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिये एक नोडल संसाधन केंद्र के रूप में कार्य करेगी।
    • यह देश में शोधकर्त्ताओं के लिये क्रायो-संरक्षित भ्रूण और शुक्राणु सहित आनुवंशिक रूप से विशिष्ट रोगजनक-मुक्त जानवरों का भी भंडारण कर सकेगा।

नवाचार के लिये महामारी तैयारी गठबंधन (CEPI)

  • CEPI एक वैश्विक साझेदारी है जिसे भविष्य में महामारियों को रोकने के लिये टीके विकसित करने हेतु वर्ष 2017 में शुरू किया गया था।
  • CEPI की स्थापना नॉर्वे और भारत की सरकारों, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, वेलकम ट्रस्ट तथा विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) द्वारा दावोस (स्विट्ज़रलैंड) में की गई थी।
  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा भारत सरकार Ind-CEPI मिशन ‘रैपिड वैक्सीन डेवलपमेंट के माध्यम से भारत केंद्रित महामारी की तैयारी: वैश्विक पहल के साथ गठबंधन कर भारत में वैक्सीन का विकास’ को लागू कर रही है
    • इस मिशन के उद्देश्य CEPI के उद्देश्यों के अनुरूप हैं और इसका लक्ष्य भारत में महामारी की संभावना वाले रोगों के लिये टीकों तथा संबंधित क्षमताओं/प्रौद्योगिकियों के विकास को मज़बूत करना है।

ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (THSTI)

  • यह जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) का एक स्वायत्त संस्थान है।
  • यह फरीदाबाद (हरियाणा) में स्थित है।

जैव सुरक्षा स्तर (BSL)

  • BSL (Biosafety Levels) का उपयोग प्रयोगशाला में श्रमिकों, पर्यावरण और जनता की सुरक्षा के लिये आवश्यक सुरक्षात्मक उपायों की पहचान करने के लिये किया जाता है।
  • जैविक प्रयोगशालाओं में संचालित गतिविधियों और परियोजनाओं को जैव सुरक्षा स्तर के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
  • चार जैव सुरक्षा स्तर BSL-1, BSL-2, BSL-3 और BSL-4 हैं, जिसमें BSL-4 नियंत्रण का उच्चतम (अधिकतम) स्तर है।

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