हरियाणा के सरकारी स्कूलों पर रिपोर्ट | हरियाणा | 20 May 2024
चर्चा में क्यों?
एक हालिया सरकारी रिपोर्ट से पता चला है कि राज्य में 19 स्कूल बिना किसी छात्र के हैं, 811 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक है और कुल 3,148 स्कूलों में उनकी क्षमता के आधे से भी कम छात्र हैं।
मुख्य बिंदु:
- रिपोर्ट, जिसमें फरवरी 2024 में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के परियोजना अनुमोदन बोर्ड द्वारा आयोजित एक बैठक के मुख्य बिंदुओं को रेखांकित किया गया, जिसमें राज्य के 14,562 सरकारी स्कूलों को चिह्नित किया गया।
- रिपोर्ट ने विशेषकर प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की अपर्याप्त संख्या पर प्रकाश डाला और सरकार को इन रिक्तियों को तुरंत भरने की सलाह दी।
- शिक्षकों की कमी का असर वेतन भुगतान के लिये आवंटित केंद्रीय धनराशि पर पड़ा है।
- प्राथमिक क्षेत्र में, वित्तीय सहायता वर्ष 2021-22 की अवधि में 19 लाख रुपए से घटकर 14 लाख रुपए हो गई है।
- इसी तरह, उच्च शिक्षा में कई रिक्त पदों के कारण अनुदान 20 लाख रुपए से घटकर 14 लाख रुपए हो गया है।
- रिपोर्ट में शिक्षकों की कमी के अलावा इन स्कूलों में छात्रों के लिये बुनियादी ढाँचे की कमी की भी बात कही गई है।
- जबकि स्कूल अतिरिक्त कक्षाओं के अपने लक्ष्य से 18% कम हैं, लड़कों और लड़कियों के लिये शौचालय 1% व 1.8% कम हैं। स्मार्ट क्लासरूम भी आवश्यक संख्या से 1.4% कम हैं।
- रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि अतीत की गैर-आवर्ती स्वीकृतियाँ, जिन पर वर्षों से राज्य द्वारा ध्यान नहीं दिया गया है, अंततः समग्र शिक्षा फ्रेमवर्क के अनुसार 5 वर्ष की अवधि के बाद राज्य की एकमात्र ज़िम्मेदारी बन जाएंगी।
- जिन स्कूलों ने सुविधाएँ स्थापित नहीं की हैं, उन्हें अपने प्रारंभिक प्रस्ताव वापस लेने चाहिये और नए प्रस्ताव के बारे में सोचना चाहिये।
- प्रस्तुत आँकड़ों में किसी भी प्रकार की त्रुटि से बचने के लिये राज्य सरकार को लंबित कार्यों की प्रगति को नियमित रूप से प्रबंध पोर्टल पर अपडेट करने का निर्देश दिया गया है।
समग्र शिक्षा योजना
- यह स्कूली शिक्षा के लिये एक एकीकृत योजना है, जिसमें प्री-स्कूल से लेकर बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा संबंधी सभी पहलुओं को शामिल किया गया है।
- इसका उद्देश्य समावेशी, न्यायसंगत और सुगम स्कूली शिक्षा प्रदान करना है।
- यह ‘सर्व शिक्षा अभियान’ (SSA), ‘राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान’ (RMSA) और ‘शिक्षक शिक्षा’ (TE) की तीन योजनाओं को समाहित करती है।
- इस योजना में 1.16 मिलियन स्कूल, 156 मिलियन से अधिक छात्र और सरकारी तथा सहायता प्राप्त स्कूलों के 5.7 मिलियन शिक्षक (पूर्व-प्राथमिक से वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक) शामिल हैं।
- इसे केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जा रहा है। इसमें केंद्र और अधिकांश राज्यों के बीच वित्तपोषण में 60:40 का विभाजन शामिल है। इसे वर्ष 2018 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था।
समग्र शिक्षा योजना 2.0
- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (Direct Benefit Transfer- DBT):
- योजना की प्रत्यक्ष पहुँच को बढ़ाने के लिये सभी बाल-केंद्रित हस्तक्षेप छात्रों को सीधे सूचना प्रौद्योगिकी-आधारित प्लेटफॉर्म पर DBT मोड के माध्यम से समय-समय पर शिक्षा का अधिकार पात्रता के तहत पाठ्यपुस्तक, ड्रेस और परिवहन भत्ते प्रदान किये जाएंगे।
- NEP की सिफारिशें:
- भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन:
- इसमें भाषा शिक्षकों की नियुक्ति के लिये एक नया घटक है, जिसमें वेतन और प्रशिक्षण लागत के साथ-साथ द्विभाषी किताबें तथा शिक्षण सामग्री शामिल है, जैसा कि NEP में अनुशंसित किया गया है।
- पूर्व प्राथमिक शिक्षा:
- इसमें अब शिक्षण एवं अधिगम सामग्री, स्वदेशी खिलौने और खेल तथा खेल-आधारित गतिविधियों के लिये सरकारी स्कूलों में पूर्व-प्राथमिक वर्गों को समर्थन देने के लिये वित्त प्रदान करना शामिल होगा।
- योजना के तहत पूर्व-प्राथमिक शिक्षकों और आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं के लिये कुशल प्रशिक्षकों का समर्थन किया जाएगा।
- निपुण भारत पहल:
- इस पहल के तहत शिक्षण सामग्री के लिये प्रति छात्र 500 रुपए, मैनुअल और संसाधनों के लिये प्रति शिक्षक 150 रुपए तथा आधारभूत साक्षरता एवं अंकगणित के आकलन के लिये प्रति ज़िले 10-20 लाख रुपए का वार्षिक प्रावधान है।
- डिजिटल पहल:
- डिजिटल बोर्ड, वर्चुअल क्लासरूम और DTH चैनलों के लिये समर्थन सहित ICT लैब तथा स्मार्ट क्लासरूम का प्रावधान है, जो कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र अधिक महत्त्वपूर्ण हो गए हैं।
- स्कूल न जाने वाले बच्चों हेतु:
- इसमें 16 से 19 वर्ष की आयु के स्कूली बच्चों को ओपन स्कूलिंग के माध्यम से अपनी शिक्षा पूरी करने के लिये 2000 प्रति ग्रेड के वित्तपोषण का समर्थन देने का प्रावधान शामिल है।
- स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों और स्कूल छोड़ने वाले छात्रों दोनों के लिये कौशल तथा व्यावसायिक शिक्षा पर भी अधिक ध्यान दिया जाएगा।