उत्तराखंड ने चार धाम पर्यटकों पर प्रतिबंध हटाया | उत्तराखंड | 20 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने निर्णय लिया कि चार धाम यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या पर कोई सीमा नहीं होगी, हालाँकि विभिन्न भूस्खलनों के कारण तीर्थयात्रियों का मार्ग अवरुद्ध हो गया है।
- यह यात्रा प्रति वर्ष मई में शुरू होकर सितंबर के प्रथम सप्ताह तक चलती है।
प्रमुख बिंदु:
- राज्य सरकार ने धामों के लिए प्रतिदिन 12,000 तीर्थयात्रियों की सीमा निर्धारित की है, लेकिन 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने केदारनाथ के लिए प्रतिदिन 5,000 तीर्थयात्रियों की सीमा निर्धारित करने की सिफारिश की थी
- वर्ष 2023 के निवेशक शिखर सम्मेलन में राज्य सरकार ने बताया कि पर्यटन क्षेत्र राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 15% का योगदान देता है।
- उन्होंने वर्ष 2030 तक कुल 20,000 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित करने और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के माध्यम से 200 परियोजनाएँ शुरू करने की योजना की भी रूपरेखा प्रस्तुत की।
चार धाम यात्रा
- यमुनोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी जिला
- समर्पित: देवी यमुना को
- यमुना नदी भारत में गंगा नदी के बाद दूसरी सबसे पवित्र नदी है।
- गंगोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी जिला।
- समर्पित: देवी गंगा को।
- सभी भारतीय नदियों में सबसे पवित्र मानी जाती है।
- केदारनाथ धाम:
- स्थान: रुद्रप्रयाग ज़िला
- समर्पित: भगवान शिव
- मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित
- भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों (भगवान शिव के दिव्य प्रतिनिधित्व) में से एक।
- बद्रीनाथ धाम:
- स्थान: चमोली ज़िला।
- पवित्र बद्रीनारायण मंदिर का घर।
- समर्पित: भगवान विष्णु
- वैष्णवों के लिए पवित्र तीर्थस्थलों में से एक।
सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक | उत्तराखंड | 20 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक लॉन्च करने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया है।
मुख्य बिंदु
- हिमालयी पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक का निर्माता है।
- सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक के चार स्तंभ हैं: वायु, मृदा, वृक्ष एवं जल।
- सूत्र:- GEP सूचकांक = (वायु-GEP सूचकांक + जल-GEP सूचकांक + मृदा-GEP सूचकांक + वन-GEP सूचकांक
- महत्व:
- यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और प्राकृतिक संसाधनों पर मानवशास्त्रीय दबाव के प्रभाव का आकलन करने में सहायता करता है।
- यह मानवीय क्रियाओं के परिणामस्वरूप पर्यावरणीय कल्याण के विभिन्न पहलुओं को समाहित करते हुए, किसी राज्य के पारिस्थितिक विकास का आकलन करने के लिये एक सुदृढ़ और एकीकृत विधि प्रदान करता है।
- अनुशंसाएँ:
- गतिविधियों को प्रतिबंधित किया जाना चाहिये; विनियमित और बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- विनियमित गतिविधियों को केवल वहन क्षमता और पर्यावरणीय प्रभाव आकलन के अनुसार ही अनुमति दी जानी चाहिये।
हिमालयी पर्यावरण अध्ययन एवं संरक्षण संगठन
- यह वर्ष 1979 में गठित एक गैर-सरकारी संगठन है।
- इसके उद्देश्य हैं:
- हिमालयी समुदाय के लिये संसाधन आधारित पारिस्थितिकी एवं आर्थिक विकास।
- सामाजिक आर्थिक स्वतंत्रता के लिये सामुदायिक संगठन का निर्माण और सशक्तीकरण