NCPCR प्रमुख ने बिहार के मदरसों की संयुक्त राष्ट्र से जाँच कराने की मांग की | बिहार | 20 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के चेयरमैन ने बिहार के सरकारी वित्त पोषित मदरसों में "अतिवादी" पाठ्यक्रम और इन स्कूलों में हिंदू बच्चों के नामांकन पर गंभीर चिंता जताई।
मुख्य बिंदु
- चेयरमैन ने मदरसों के लिये इस पाठ्यक्रम को विकसित करने में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की भूमिका की आलोचना की
- उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से इन गतिविधियों की जाँच करने का भी आह्वान किया और मदरसा बोर्ड को भंग करने का आग्रह किया
- इन मदरसों के पाठ्यक्रम में शामिल कई किताबें पाकिस्तान में प्रकाशित हुई हैं और उनकी सामग्री पर शोध जारी है।
- शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 के दायरे से बाहर की गतिविधियों के लिये धन का उपयोग भारतीय संविधान और बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कंवेंशन (UNCRC) दोनों का उल्लंघन है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights- NCPCR):
- NCPCR बाल अधिकार संरक्षण आयोग (CPCR) अधिनियम, 2005 के तहत मार्च 2007 में स्थापित एक सांविधिक निकाय है।
- यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
- आयोग का प्राथमिक कार्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी देशों में निर्मित सभी कानून, नीतियाँ, कार्यक्रम और प्रशासनिक तंत्र, बाल अधिकारों के परिप्रेक्ष्य में भारतीय संविधान एवं बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुरूप हों।
- यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत एक बच्चे के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार से संबंधित शिकायतों की जाँच करता है।
- यह यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (Protection of Children from Sexual Offences- POCSO) अधिनियम, 2012 के कार्यान्वयन की निगरानी करता है।
- बाल अधिकारों पर कन्वेंशन
- यह 1989 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाई गई एक संधि है।
- यह 18 वर्ष से कम आयु के प्रत्येक व्यक्ति को एक बच्चा मानता है।
- यह प्रत्येक बच्चे के नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों को निर्धारित करता है, चाहे उनकी जाति, धर्म या योग्यता कुछ भी हो।
- इसमें शिक्षा का अधिकार, आराम और अवकाश का अधिकार, बलात्कार और यौन शोषण सहित मानसिक या शारीरिक शोषण से सुरक्षा का अधिकार जैसे अधिकार शामिल हैं।
- यह वैश्विक रूप से सबसे व्यापक अनुसमर्थित मानवाधिकार संधि है।