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उत्तराखंड में दुनिया का दूसरा सबसे ऊँचा ट्रेक
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा का उद्घाटन करने के लिये 27 फरवरी 2025 को गंगोत्री मुखबा का दौरा करेंगे।
- मुखबा (मुखवा) हरसिल कस्बे में भागीरथी नदी के तट पर गंगोत्री तीर्थस्थल के रास्ते में स्थित एक छोटा सा गाँव है।
- यह समुद्र तल से 2620 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
मुख्य बिंदु
- जनकताल ट्रेक की आधारशिला: प्रधानमंत्री जनकताल ट्रेक की आधारशिला रखेंगे, जो दुनिया का दूसरा सबसे ऊँचा ट्रेकिंग रूट होगा।
- पर्यटन पहल: कई साहसिक गतिविधियों की योजना बनाई गई है, जिसमें उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (UTDB) के तत्त्वावधान में जादुंग तक मोटरबाइक रैली आयोजित करना भी शामिल है।
- भारत-तिब्बत सीमा पुलिस द्वारा नीलापानी से मुलिंग ला बेस तक एक ट्रैकिंग अभियान आयोजित किया गया।
- इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने तथा टिकाऊ पर्यटन प्रथाओं के माध्यम से क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि में वृद्धि होने की उम्मीद है।
- सांस्कृतिक महत्त्व: प्रधानमंत्री के मुखवा स्थित गंगा मंदिर में पूजा-अर्चना करने की संभावना है।
जनकताल ट्रेक
- उत्तराखंड में स्थित जनकताल ट्रेक 17,716 फीट की ऊँचाई तक पहुँचता है, जो इसे दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा ट्रैकिंग मार्ग बनाता है।
- ट्रेकर्स को गढ़वाल हिमालय के लुभावने दृश्य, अद्वितीय वनस्पतियाँ शांत हिमनद झीलें और रास्ते में पारंपरिक गाँवों के माध्यम से स्थानीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।
- 12 किलोमीटर का जनकताल ट्रेक साहसी यात्रियों को ऊबड़-खाबड़, ऊँचे इलाकों से होते हुए बर्फ से ढकी चोटियों से घिरी एक एकांत झील तक ले जाता है।
- पहले सैन्य उपस्थिति के कारण प्रतिबंधित यह क्षेत्र अब पर्यटकों के लिये खुला है और अपनी अछूती सुंदरता से लोगों को लुभा रहा है।
- उत्तराखंड सरकार घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय साहसिक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये जादुंग, नेलोंग और सोनम घाटी के साथ इस मार्ग को विकसित करने की योजना बना रही है।
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उत्तराखंड में बाहरी लोगों के कृषि भूमि खरीदने पर रोक
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने एक नए मसौदा कानून को मंजूरी दी है, जो हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर 13 में से 11 ज़िलों में राज्य के गैर-निवासियों द्वारा कृषि और बागवानी भूमि खरीदने पर प्रतिबंध लगाता है।
मुख्य बिंदु:
- भूमि खरीद पर प्रतिबंध: ज़िला मजिस्ट्रेटों के पास अब भूमि खरीद को मंजूरी देने का अधिकार नहीं होगा।
- राज्य के गैर-निवासियों को धोखाधड़ी और अनियमितताओं को रोकने के लिये भूमि खरीदने से पहले एक हलफनामा प्रस्तुत करना होगा, जिसकी अंतिम मंजूरी राज्य प्रशासन के पास होगी।
- ऑनलाइन निगरानी प्रणाली: गैर-निवासियों से जुड़े भूमि लेनदेन को रिकॉर्ड करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये एक समर्पित पोर्टल बनाया जाएगा।
- भूमि उपयोग के सख्त नियम: नगरपालिका की सीमा के भीतर भूमि का उपयोग निर्धारित नियमों के अनुसार ही किया जाना चाहिए। किसी भी उल्लंघन के परिणामस्वरूप भूमि पर सरकारी कब्ज़ा हो जाएगा।
- हिमाचल प्रदेश से तुलना: हिमाचल प्रदेश में गैर-कृषक स्वतंत्र रूप से कृषि भूमि नहीं खरीद सकते हैं, लेकिन वे सरकारी अनुमोदन से उद्योग, पर्यटन या बागवानी के लिये इसे अधिगृहीत कर सकते हैं।
- सरकार का रुख: यह नया मसौदा राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक विरासत और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा, साथ ही राज्य की मूल पहचान को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।