केदारनाथ धाम में भारी बर्फबारी | उत्तराखंड | 20 Jan 2024
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड के ऊँचाई वाले इलाकों में मौसम में अचानक परिवर्तन के बाद केदारनाथ धाम में लगातार भारी बर्फबारी हो रही है।
- मुख्य बिंदु:
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) के अनुसार, 23 जनवरी तक केदारनाथ में न्यूनतम तापमान -16 से -18 के बीच रहने की उम्मीद है।
- बद्रीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी, रुद्रनाथ, नीती घाटी और माणा घाटी जैसे प्रमुख स्थानों पर महत्त्वपूर्ण बर्फबारी हुई।
- विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने 22 जनवरी को अयोध्या में राम लला के 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह में बद्रीनाथ धाम के संतों को आमंत्रित किया है।
- अयोध्या में राम लला के 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह के लिये सात दिवसीय वैदिक अनुष्ठान 16 जनवरी से शुरू हुआ।
- इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले 11 दिवसीय विशेष 'अनुष्ठान' की घोषणा की।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर के गर्भगृह के अंदर श्री राम लला की औपचारिक स्थापना की अध्यक्षता करेंगे।
- राम मंदिर 23 जनवरी, 2024 से आम जनता के लिये 'दर्शन' हेतु खुला रहेगा।
भारतमाला परियोजना | हरियाणा | 20 Jan 2024
चर्चा में क्यों?
एक बैठक में हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारतमाला परियोजना समेत राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
- मुख्य बिंदु:
- चर्चा में NH-152 D पर महेंद्रगढ़ ज़िले में बाघोत के पास प्रवेश और निकास बिंदु खोलने की मांग शामिल थी।
- उपमुख्यमंत्री ने इन बातों पर दिया ज़ोर:
- उचाना, हिसार और जींद में भारतमाला परियोजना के तहत बाईपास सड़कों का निर्माण।
- पंचकुला-यमुनानगर राजमार्ग पर सेक्टर 26 और 27 में विभाजित सड़कों पर अंडरपास का निर्माण।
- गुरूग्राम-फारुख नगर-झज्जर-चरखी दादरी-लोहारू रोड को अपग्रेड करने के लिये एक सर्वेक्षण।
- नेल्सन मंडेला मार्ग दिल्ली MG रोड गुरुग्राम को फरीदाबाद रोड से जोड़ने के लिये।
राष्ट्रीय राजमार्ग
- राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) यात्रियों और माल की अंतर-राज्यीय आवाजाही के लिये देश की मुख्य सड़कें हैं।
- वे प्रमुख बंदरगाहों, रेल जंक्शनों, राज्य एवं राष्ट्रीय की राजधानियों, सीमा पार और अंतरराष्ट्रीय सड़कों से जुड़ते हुए पूरे देश जुड़ते हैं।
- एक्सप्रेस-वे सहित NH सभी सड़कों की लंबाई का केवल 1.7% है, वे लगभग 40% सड़क यातायात का वहन करते हैं।
भारतमाला परियोजना
- इसकी शुरुआत वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने की थी। यह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) के तहत शुरू किया गया एक व्यापक कार्यक्रम है।
- योजना के तहत सरकार का इरादा लगभग 7 लाख करोड़ रुपए के निवेश से 83,677 किलोमीटर राजमार्ग और सड़कें बनाने है।
- पहले चरण में 5.35 लाख करोड़ रुपए की लागत से 34,800 किलोमीटर राजमार्ग बनाने की योजना है।
- यह सीमा एवं अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी सड़कों, तटीय और बंदरगाह कनेक्टिविटी सड़कों के विकास, राष्ट्रीय गलियारों, आर्थिक गलियारों तथा अन्य की दक्षता में सुधार जैसी नई पहलों पर केंद्रित है।
मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना | हरियाणा | 20 Jan 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने अधिकारियों को मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना के तहत आवेदनों पर तेज़ी से कार्रवाई करने और सरकारी ज़मीन पर बनी दुकानों एवं घरों को 20 वर्ष के लिये स्वामित्व अधिकार देने का निर्देश दिया।
- यह विभागों, बोर्डों, नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पालिकाओं के स्वामित्व वाली भूमि पर लागू होता है।
मुख्य बिंदु:
- राज्य नोडल अधिकारी (SNO) को हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड, सिंचाई और जल संसाधन विभाग, मुद्रण एवं स्टेशनरी विभाग, सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग, हरियाणा शैरी विकास प्राधिकरण तथा राजस्व व आपदा विभाग द्वारा नामित किया गया है।
- यह बताया गया है कि स्वामित्व अधिकार के लिये अब तक 99 आवेदन स्वीकृत हो चुके हैं, जबकि 901 लंबित हैं। प्रत्येक विभाग को 15 दिन के भीतर लंबित आवेदनों पर निर्णय लेना होगा।
- यदि इस अवधि में निर्णय नहीं हुआ तो जिस विकी ज़मीन है, उस विभाग के ज़िला स्तरीय अधिकारी का निर्णय मान्य होगा।
- शहरी स्थानीय निकाय विभाग इस संबंध में सभी संबंभाग धित विभागों के साथ नियमित बैठकें करेगा और इसकी रिपोर्ट मुख्य सचिव कार्यालय को भेजेगा।
मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना
- इसे राज्य में 20 वर्षों से अधिक समय से किराए या पट्टे पर चल रही नगर पालिकाओं की वाणिज्यिक भूमि का स्वामित्व देने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- इस योजना के तहत, जो व्यक्ति किराए या पट्टे के माध्यम से 20 वर्षों से भूमि पर कब्ज़ा कर रहे हैं, उन्हें कलेक्टर दर के 80% तक भुगतान पर स्वामित्व अधिकार दिया जा रहा है।
- इसी तरह ज़मीन पर कब्ज़े के वर्षों की सीमा के अनुसार अलग-अलग दरों पर कलेक्टर रेट देना होगा, जैसे 25 वर्ष के लिये कलेक्टर रेट का 75%, 30 वर्ष के लिये 70%, 35 वर्ष के लिये 65%, 40 वर्षों के लिये 60%, 45 वर्षों के लिये 55%। 50 वर्षों के लिये 50% भुगतान पर स्वामित्व अधिकार देने का प्रावधान है।
फसल उत्सव | राजस्थान | 20 Jan 2024
चर्चा में क्यों?
भारत के प्रधानमंत्री ने फसल उत्सव मकर संक्रांति, उत्तरायण, भोगी, माघ बिहू और पोंगल के शुभअवसर पर देश के लोगों को शुभकामनाएँ दी हैं।
- मुख्य बिंदु:
- मकर संक्रांति सूर्य के अंतरिक्ष में भ्रमण के दौरान मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है।
- यह दिन गर्मियों की शुरुआत और हिंदुओं के लिये छह महीने की शुभ अवधि का प्रतीक है, जिसे उत्तरायण (सूर्य की उत्तर दिशा की ओर गति) के रूप में जाना जाता है।
- ‘उत्तरायण’ के आधिकारिक उत्सव के एक भाग के रूप में, गुजरात सरकार वर्ष 1989 से अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव की मेज़बानी कर रही है।
- इस दिन से जुड़े उत्सवों को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है:
- उत्तर भारतीय हिंदुओं और सिखों द्वारा लोहड़ी,
- मध्य भारत में सुकारत,
- असमिया हिंदुओं द्वारा भोगाली बिहू और
- तमिल तथा अन्य दक्षिण भारतीय हिंदुओं द्वारा पोंगल।
अभ्यास-अयुत्थाया और इंडो-थाई कॉर्पेट | उत्तर प्रदेश | 20 Jan 2024
चर्चा में क्यों?
भारतीय नौसेना और रॉयल थाई नौसेना (Royal Thai Navy - RTN) ने 'अभ्यास-अयुत्थाया (Ex-Ayutthaya)' नामक पहला द्विपक्षीय अभ्यास आयोजित किया और द्विपक्षीय अभ्यास के साथ भारत-थाईलैंड समन्वित गश्ती दल (Indo-Thai CORPAT) का 36वाँ संस्करण भी आयोजित किया गया।
- मुख्य बिंदु:
- ‘अभ्यास-अयुत्थाया' का अनुवाद 'अजेय वन' या 'अपराजेय' है
- यह दो सबसे पुराने शहरों, भारत में अयोध्या व थाईलैंड में अयुत्या, ऐतिहासिक विरासतों, समृद्ध सांस्कृतिक संबंधों एवं कई सदियों तक साझा ऐतिहासिक कथाओं के महत्त्व का प्रतीक है।
- यह भारत का एक प्राचीन शहर है और भगवान श्री राम का जन्मस्थान है।
- यह महान महाकाव्य रामायण की पृष्ठभूमि है। यह प्राचीन कोसल साम्राज्य की राजधानी भी हुआ करती थी।
अयोध्या राम मंदिर | उत्तर प्रदेश | 20 Jan 2024
चर्चा में क्यों ?
राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा या अभिषेक समारोह सरयू तटबंध पर विष्णु पूजा और गौ दान के साथ शुरू होगा।
मुख्य बिंदु:
- अयोध्या राम मंदिर का लेआउट:
- मंदिर 20-20 फुट ऊँची तीन मंज़िलों पर बना है, जिनमें कुल 392 खंभे और 44 दरवाज़े हैं।
- निर्माण में मकराना संगमरमर और गुलाबी बलुआ पत्थर, ग्रेनाइट पत्थर एवं रंगीन संगमरमर का उपयोग किया गया है।
- मंदिर की नींव रोलर-कॉम्पैक्ट कंक्रीट की 14 मीटर मोटी परत से बनी है और ज़मीन की नमी से बचाने के लिये 21 फुट ऊँचा ग्रेनाइट प्लिंथ लगाया गया है।
- निर्माण में कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है।
- मंदिर की स्थापत्य शैली, गर्भगृह , मंडप (हॉल) और मंदिरों के साथ नागर शैली है।
- परिसर का प्रत्येक कोने में सूर्य, भगवती, गणेश, शिव की मूर्ति स्थापित होगी। उत्तरी और दक्षिणी भुजाओं पर क्रमशः अन्नपूर्णा तथा हनुमान के मंदिर बनाए जाएंगे।
- महर्षि वाल्मिकी, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषाद राज, शबरी आदि के मंदिर भी प्रस्तावित हैं।
मंदिर वास्तुकला की नागर शैली
- इसे पहली बार उत्तर भारत में 5वीं शताब्दी ईस्वी में गुप्त काल के दौरान विकसित किया गया था, यह शैली उत्तरी, पश्चिमी और पूर्वी भारत (बंगाल क्षेत्र को छोड़कर) में लोकप्रिय है, खासकर मालवा, राजपुताना एवं कलिंग के आसपास के क्षेत्रों में।
- यह एक साधारण पत्थर के मंच पर बनाया गया है जिसमें मंदिर तक जाने के लिये सीढ़ियाँ हैं।
- इसकी विशेषताओं में शामिल हैं:
- शिखर: गर्भगृह हमेशा उच्चतम शिखर के ठीक नीचे स्थित होता है। शिखर पर एक कलश (अमलका) भी स्थापित है।
- शिखर के प्रकार: रेखा-प्रसाद या लैटिना (ओडिशा का श्रीजगन्नाथ मंदिर), शेखरी (खजुराहो कंदारिया महादेव मंदिर), वलभी (तेली का मंदिर), फमसाना (कोणार्क मंदिर का जगमोहन)।
- चारदीवारी या प्रवेश द्वार का अभाव।
- वे उड़ीसा शैली, चंदेल शैली और सोलंकी शैली हैं।