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हरियाणा

‘मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना’ का विस्तार

  • 24 Dec 2022
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

22 दिसंबर, 2022 को हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने चंडीगढ़ में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में बताया कि राज्य में 20 साल से अधिक समय से किराये या लीज पर चल रही पालिकाओं की व्यावसायिक भूमि की मलकियत उन पर काबिज व्यक्तियों को देने के लिये बनाई गई ‘मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना’ को अन्य विभागों द्वारा भी अपनाया जाएगा। इसके लिये नए सिरे से योजना का खाका तैयार किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु 

  • मुख्य सचिव संजीव कौशल ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि योजना का प्रारूप 15 दिनों में तैयार करें। तत्पश्चात् प्रारूप को मुख्यमंत्री तथा वित्त विभाग की मंज़ूरी के लिये भेजा जाएगा और अंतिम मंज़ूरी हेतु मंत्रिपरिषद की बैठक में लाया जाएगा।
  • मुख्य सचिव ने बताया कि शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना जून 2021 में बनाई गई थी। इसके तहत शहरी निकायों के उन सभी नागरिकों को मालिकाना हक प्रदान किया गया, जिनके पास व्यावसायिक भूमि का 20 साल या 20 साल से अधिक कब्ज़ा है।
  • इस योजना के तहत जो व्यक्ति किराये या लीज के माध्यम से भूमि पर 20 साल से काबिज हैं, उन्हें कलेक्टर रेट का 80 प्रतिशत तक भुगतान करने पर मालिकाना हक दिया जा रहा है।
  • इसी प्रकार, भूमि पर काबिज वर्षों की सीमा के अनुसार क्लेक्टर रेट का अलग-अलग दर पर भुगतान करना होगा, जैसे- 25 साल तक काबिज व्यक्ति को कलेक्टर रेट का 75 प्रतिशत, 30 साल तक 70 प्रतिशत, 35 साल तक 65 प्रतिशत, 40 साल तक 60 प्रतिशत, 45 साल तक 55 प्रतिशत और 50 साल तक 50 प्रतिशत का भुगतान करने पर मालिकाना हक दिये जाने का प्रावधान है।
  • उन्होंने बताया कि अब राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि निकायों के अलावा अन्य विभागों की ज़मीनों पर भी इसी प्रकार से नागरिकों को मालिकाना हक देने के लिये प्रदेशभर में एकरूपता लाते हुए नए सिरे से योजना बनाई जाएगी।
  • उन्होंने शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि अन्य विभागों के लिये इस योजना का प्रारूप शहरी स्थानीय निकाय विभाग ही तैयार करे और इस प्रारूप को संबंधित विभागों के प्रशासनिक सचिवों के साथ साझा किया जाएगा और उनसे टिप्पणियां माँगी जाएंगी।
  • बैठक में बताया गया कि मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना के पहले चरण के दौरान लगभग 7 हज़ार आवेदन आए थे। 1730 आवेदकों को लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) जारी हो चुके हैं।      
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