स्वतंत्रता दिवस पर पाएँ सभी ऑनलाइन, पेनड्राइव कोर्सेज़, डीएलपी और टेस्ट सीरीज़ पर 40% की छूट। 15-18 अगस्त । डिस्काउंट का लाभ उठाने के लिये यह फॉर्म ज़रूर भरें। कॉलबैक फॉर्म:
अभी रजिस्टर करें
ध्यान दें:

स्टेट पी.सी.एस.

  • 19 Aug 2024
  • 0 min read
  • Switch Date:  
उत्तर प्रदेश Switch to English

भूमि रिकॉर्ड में अनियमितता के कारण UP रेरा द्वारा 400 परियोजनाओं पर रोक

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) ने अपने पोर्टल पर लगभग 400 परियोजनाओं को रोक दिया है, क्योंकि डेवलपर्स आवश्यक भूमि रिकॉर्ड, नक्शे या दोनों अपलोड करने में विफल रहे।

प्रमुख बिंदु:

  • कार्रवाई का कारण: वर्ष 2018 से लगातार नोटिस देने के बावज़ूद कई प्रमोटरों (प्रवर्तकों) ने इन दस्तावेज़ों को अपलोड नहीं किया।
  • उद्देश्य: इस निर्णय का उद्देश्य आवंटियों को निवेश करने से पूर्व इन परियोजनाओं की स्थिति के बारे में जानकारी सुनिश्चित करके संभावित धोखाधड़ी से बचाना है।
  • वर्तमान अनुपालन: 400 परियोजनाओं में से केवल 57 ने आवश्यक स्पष्टीकरण या दस्तावेज़ प्रदान किये हैं।
  • भविष्य के कदम: प्रमोटरों को आवश्यक दस्तावेज़ शीघ्र अपलोड करने की चेतावनी दी गई है, अन्यथा उन्हें सख्त दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

भू-संपदा (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016

भू-संपदा (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 भारत की संसद का एक अधिनियम है, जिसका उद्देश्य घर खरीदारों की सुरक्षा के साथ-साथ भू-संपदा उद्योग में निवेश को बढ़ावा देना है।

  • यह अधिनियम 1 मई 2016 से लागू हुआ।
  • उद्देश्य: 
    • भू-संपदा क्षेत्र के विनियमन एवं संवर्द्धन के लिये भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण की स्थापना करना।
    • परियोजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
    • भू-संपदा क्षेत्र में उपभोक्ताओं के हितों को संरक्षित करना और विवादों के त्वरित समाधान हेतु न्याय निर्णय व्यवस्था स्थापित करना।
    • बिल्डर के बारे में उचित जानकारी प्रदान करना।
    • भू-संपदा क्षेत्र को कैसे विकसित और बढ़ावा दिया जाए, इस पर सरकार को परामर्श देना।


उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने 30 करोड़ रुपए की योजनाओं का शुभारंभ किया

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रक्षा बंधन से पहले 30 करोड़ रुपए से अधिक की 26 परियोजनाओं का उद्घाटन किया।

प्रमुख बिंदु: 

  • महिलाओं का सशक्तीकरण: इन योजनाओं में महिलाओं से संबंधित मुद्दों जिनमें विशेष रूप से इनके आर्थिक उत्थान एवं सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में महिलाओं का सशक्तीकरण सरकार के प्रमुख प्रयासों का हिस्सा हैं।
  • बुनियादी ढाँचा और कल्याण परियोजनाएँ: शुरू की गई योजनाओं में बुनियादी ढाँचे के विकास और कल्याणकारी कार्यक्रमों से संबंधित योजनाएँ शामिल है, जिनका उद्देश्य राज्य के समग्र विकास में सुधार करना है।
  • बाढ़ से बचाव के उपाय: योजनाओं के एक भाग के रूप में, मुख्यमंत्री ने बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों की सुरक्षा के लिये प्रयासों की घोषणा की, जिसमें आपदाओं के संबंध में तैयारी और पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • स्थानीय महिलाओं को पहचान: मुख्यमंत्री ने जनपद में बेहतर कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित भी किया तथा जनपद की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा पिरूल, ऐपण, सूत एवं अन्य स्थानीय उत्पादों से हस्तनिर्मित राखियों एवं अन्य निर्मित उत्पादों की सराहना की।
  • सार्वजनिक अवसंरचना के लिये नए नाम: घोषणा में चंपावत में निर्माणाधीन स्टेडियम का नाम स्वर्गीय कैलाश गहतोड़ी के नाम पर रखने की घोषणा भी शामिल है। 
    • इसके अतिरिक्त, ग्राम पंचायत दुधौली के खड़कोड़ी मार्ग का नाम भारतीय सेना के शहीद कमांडो नवीन सिंह बिष्ट के नाम पर रखा जाएगा।


हरियाणा Switch to English

हरियाणा ने अनुसूचित जाति उप-वर्गीकरण को मंजूरी दी

चर्चा में क्यों?

हरियाणा मंत्रिपरिषद ने अनुसूचित जातियों (SC) का उपवर्गीकरण करने के लिये राज्य अनुसूचित जाति आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया।

प्रमुख बिंदु:

  • उद्देश्य: उप-वर्गीकरण का उद्देश्य विभिन्न अनुसूचित जाति समुदायों की विशिष्ट आवश्यकताओं को मान्यता देकर, विशेष रूप से शैक्षिक और रोज़गार क्षेत्रों में, लाभों और अवसरों का अधिक न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना है।
  • पैनल की सिफारिश: आयोग ने अनुसूचित जाति समुदाय के अधिक वंचित वर्गों को बेहतर प्रतिनिधित्व और सहायता प्रदान करने के लिये अनुसूचित जातियों की एक नई श्रेणी बनाने का सुझाव दिया।
    • आयोग ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण के उद्देश्य से दो श्रेणियों में उपवर्गीकरण करने की सिफारिश की:
      • वंचित अनुसूचित जातियाँ (DSC), जिसमें बाल्मीकि, धानक, मज़हबी सिख, खटीक, जैसी 36 जातियाँ शामिल हैं।
      • अन्य अनुसूचित जातियाँ (OSC), जिनमें चमार, जटिया चमार, रेहगर, रैगर, रामदासी, रविदासी, जाटव, मोची, रामदासिया जैसी जातियाँ शामिल हैं।
  • कार्यान्वयन: राज्य सरकार नई श्रेणियों को प्रतिबिंबित करने और लक्षित समर्थन सुनिश्चित करने के लिये मौजूदा नीतियों और योजनाओं में संशोधन के माध्यम से इस उप-वर्गीकरण को लागू करने की योजना बना रही है।
  • संभावित प्रभाव: यह कदम विभिन्न अनुसूचित जाति समूहों की विशिष्ट आवश्यकताओं को संबोधित कर उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बेहतरीकरण के लिये सकारात्मक नीतिगत सुधार के रूप में कार्य करेगा।


बिहार Switch to English

कोसी-मेची लिंक परियोजना

चर्चा में क्यों?

बिहार में कोसी-मेची लिंक परियोजना का उद्देश्य कोसी और मेची नदियों को आपस में जोड़ना है। यह पहल जल संसाधनों के प्रबंधन और क्षेत्र में सिंचाई की एक बृहत् परियोजना का हिस्सा है।

प्रमुख बिंदु:

  • निधि आवंटन: हाल के बजट सत्र में केंद्र ने बिहार में बाढ़ नियंत्रण में सहायता के लिये 11,500 करोड़ रुपए के आवंटन की घोषणा की।
  • सिंचाई: इस परियोजना का उद्देश्य खरीफ सीज़न के दौरान महानंदा नदी बेसिन में 215,000 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई सहायता प्रदान करना है।
  • बाढ़ नियंत्रण: यद्यपि इस परियोजना में बाढ़ नियंत्रण संबंधी कुछ लाभ प्रदान करने की क्षमता है, फिर भी प्राथमिक उद्देश्य सिंचाई में सुधार पर ही रहेगा।
  • स्थानीय विरोध:
    • विरोध: इस परियोजना का स्थानीय स्तर पर काफी विरोध हुआ है। किसानों और निवासियों ने चिंता जताई है कि यह परियोजना बाढ़ नियंत्रण के मुद्दों को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं कर सकती है और इससे स्थानीय जल संसाधन बाधित हो सकते हैं।
    • मूल समाधन की मांग: प्रदर्शनकारी केवल नदियों को जोड़ने पर निर्भर रहने के बजाय व्यापक बाढ़ प्रबंधन समाधान पर ध्यान केंद्रित करने की मांग कर रहे हैं।
  • पर्यावरण एवं सामाजिक चिंताएँ:
    • पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव: नदियों को जोड़ने के संभावित पर्यावरणीय प्रभाव इस संबंध में चिंताएँ उत्पन्न करते हैं, जिनमें स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र और जैवविविधता परिवर्तन शामिल है।
    • विस्थापन और आजीविका: समुदायों के विस्थापन और स्थानीय आजीविका पर पड़ने वाले प्रभाव संबंधी चिंताएँ।
  • सरकारी प्रतिक्रिया: सरकार इस परियोजना का बचाव कर रही है, सिंचाई के लिये इसके लाभों और क्षेत्र के लिये संभावित आर्थिक लाभ पर ज़ोर दे रही है। हालाँकि, स्थानीय समुदायों द्वारा उठाई गई चिंताओं को संबोधित करने के लिये संवाद जारी है।


छत्तीसगढ़ Switch to English

बस्तर और सरगुजा के लिये रेल सर्वेक्षण को मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ में एक महत्त्वपूर्ण रेलवे लाइन के लिये सर्वेक्षण को मंज़ूरी दी है।

प्रमुख बिंदु:

  • प्रमुख लाभ : नई रेलवे लाइन से बस्तर और सरगुजा क्षेत्रों की कनेक्टिविटी में सुधार होगा जो कि इन क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहित करेगा।
    • मुख्यमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि गढ़चिरौली से बीजापुर होते हुए बचेली तक 490 किलोमीटर तक विस्तृत नई रेलवे लाइन के लिये सर्वेक्षण की मंजूरी से बस्तर के समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा। 
    • मंत्रालय ने इस सर्वेक्षण के लिये 12.25 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं, जो बस्तर के दूरदराज के क्षेत्रों को प्रत्यक्षतः शहरों से जोड़ेगा, जिससे उच्च शिक्षा, रोज़गार, स्वास्थ्य सेवा और बाज़ार तक बेहतर पहुँच सुनिश्चित होगी।
    • इसी तरह कोरबा से अंबिकापुर तक 180 किलोमीटर की रेलवे लाइन के लिये सर्वेक्षण की मंज़ूरी से कोरबा और सरगुजा क्षेत्र के समावेशी विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान मिलेगा। इस सर्वेक्षण के लिये 4.5 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गए हैं।


 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2