प्रोजेक्ट चीता | मध्य प्रदेश | 15 Nov 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) ने मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में प्रोजेक्ट चीता का मूल्यांकन किया है और दावा किया है कि यह केंद्र सरकार की एक सफल पहल है।
मुख्य बिंदु
- प्रोजेक्ट चीता:
- यह केंद्र सरकार की एक पहल है जिसका उद्देश्य भारत से विलुप्त हो चुके चीतों को पुनः देश में लाना है ताकि वैश्विक चीता संरक्षण में योगदान दिया जा सके ।
- मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों का पहला झुंड वर्ष 2022 में नामीबिया से आएगा, इसके बाद 2023 में दक्षिण अफ्रीका से दूसरा झुंड आएगा।
- मुख्य परिणाम:
- पहले वर्ष में लाए गए चीतों की मृत्यु दर अपेक्षित 50% सीमा से कम रही है।
- आयातित 20 चीतों में से 12 जीवित बचे हैं, जिससे लगभग 60% जीवित रहने की दर का संकेत मिलता है, जो प्रारंभिक अपेक्षाओं से अधिक है।
- कुनो में लाए गए चीतों से 17 शावकों का जन्म हुआ है, जिनमें से 12 वर्तमान में जीवित हैं।
- भारतीय वन्यजीव संस्थान:
- यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था है।
- इसकी स्थापना 1982 में हुई थी।
- इसका मुख्यालय देहरादून, उत्तराखंड में है।
- यह वन्यजीव अनुसंधान और प्रबंधन में प्रशिक्षण कार्यक्रम, शैक्षणिक पाठ्यक्रम और परामर्श प्रदान करता है।
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य
- स्थान:
- वर्ष 1974 में अधिसूचित, इसमें राजस्थान की सीमा से लगे पश्चिमी मध्य प्रदेश के मंदसौर और नीमच ज़िले शामिल हैं।
- चंबल नदी इस अभयारण्य को लगभग दो बराबर भागों में विभाजित करती है तथा गांधी सागर बाँध अभयारण्य के भीतर स्थित है।
- पारिस्थितिकी तंत्र:
- इसके पारिस्थितिकी तंत्र की विशेषता इसकी चट्टानी भूमि और उथली ऊपरी मृदा (टॉपसॉइल) है, जो सवाना पारिस्थितिकी तंत्र को समर्थन देती है।
- इसमें खुले घास के मैदान हैं, जिनमें सूखे पर्णपाती वृक्ष और झाड़ियाँ हैं। इसके अलावा, अभयारण्य के भीतर नदी घाटियाँ सदाबहार हैं।
- चीतों के लिये आदर्श पर्यावास:
- इस अभयारण्य की केन्या के प्रसिद्ध राष्ट्रीय रिज़र्व मासाई मारा से समानता, जो अपने सवाना वन और प्रचुर वन्य जीवन के लिये जाना जाता है, चीतों के लिये इसकी उपयुक्तता को उजागर करती है।