उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड के मोटे अनाज के किसानों की आय में वृद्धि: अध्ययन
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रबंधन संस्थान, काशीपुर के एक अध्ययन के अनुसार, केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कदन्न की कृषि को बढ़ावा देने के कारण उत्तराखंड में कदन्न उगाने वाले चार में से तीन किसानों की वार्षिक आय में 10-20% की वृद्धि देखी गई है।
इस अध्ययन को "उत्तराखंड में कदन्न के उत्पादन: इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और विपणन चुनौतियों का एक अनुभवजन्य विश्लेषण" नाम दिया गया है।
मुख्य बिंदु:
- 2,100 से अधिक किसानों पर किये गए अध्ययन में पाया गया कि उनमें से कई अभी भी कदन्न-आधारित उत्पादों की बढ़ती मांग से अवगत नहीं हैं और अभी भी इसे केवल व्यक्तिगत उपभोग के लिये छोटे पैमाने पर उगा रहे हैं।
इस अध्ययन के अनुसार, राज्य में कदन्न उगाने वाले 75% किसानों की आय में 10-20% की वृद्धि देखी गई है क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार इस फसल की कृषि को बढ़ावा दे रही है।- हालाँकि अध्ययन में सर्वेक्षण में शामिल 2,100 किसानों में से कदन्न उगाने वाले किसानों की संख्या निर्दिष्ट नहीं की गई है।
- इसे छह महीने की अवधि में संस्थान के चार वरिष्ठ प्रोफेसर और पाँच डेटा संग्रहकर्त्ताओं द्वारा संचालित किया गया था।
- यह अध्ययन कदन्न उत्पादन की विपणन क्षमता की चुनौतियों का समाधान करने और इसकी आर्थिक उपस्थिति बढ़ाने के लिये प्रभावी रणनीतियों की पहचान करने हेतु आयोजित किया गया था।
- सर्वेक्षण के लिये नमूना आकार राज्य के प्रमुख पहाड़ी क्षेत्रों से एकत्र किया गया था, जिसमें पिथौरागढ़, जोशीमठ, रुद्रप्रयाग और चमोली शामिल हैं।
सरकार द्वारा की गई संबंधित पहल
- राष्ट्रीय मिलेट्स मिशन (NMM): कदन्न के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2007 में एनएमएम शुरू किया गया था।
- मूल्य समर्थन योजना (PSS): कदन्न की कृषि के लिये किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- मूल्यवर्धित उत्पादों का विकास: कदन्न की मांग और खपत बढ़ाने के लिये मूल्यवर्धित कदन्न-आधारित उत्पादों के उत्पादन को प्रोत्साहित करता है।
- PDS में कदन को बढ़ावा देना: सरकार ने इसे जनता के लिये सुलभ और किफायती बनाने हेतु सार्वजनिक वितरण प्रणाली में कदन्न प्रस्तुत किया है।
- जैविक खेती को बढ़ावा: जैविक कदन्न के उत्पादन और खपत को बढ़ाने के लिये सरकार कदन्न की जैविक कृषि को बढ़ावा दे रही है।
झारखंड Switch to English
केंद्रीय मंत्री ने जनजातीय संस्कृति केंद्र का शिलान्यास किया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री; कृषि एवं किसान कल्याण अर्जुन मुंडा ने वर्चुअल माध्यम से झारखंड के सरायकेला खरसावां ज़िले में 'जनजातीय संस्कृति और विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन केंद्र' की आधारशिला रखी।
मुख्य बिंदु:
- यह संग्रहालय झारखंड राज्य में आदिवासी समुदाय की समृद्ध विरासत को चित्रित करने और संरक्षित करने का एक प्रयास है, साथ ही समृद्ध आदिवासी जीवन शैली एवं संस्कृति को प्रदर्शित करता है।
- केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने केंद्र की स्थापना हेतु 10 करोड़ रुपए का बजट आवंटित करके इस पहल को स्वीकृति दे दी है।
- इस केंद्र को भविष्य में एक जीवंत केंद्र के रूप में विकसित करने का लक्ष्य है, जिसमें कारीगरों को अपने कौशल का प्रदर्शन करने और पर्यटन के केंद्र के रूप में कार्य करने के लिये जगह मिलेगी।
- यह क्षेत्र की भौतिक और अमूर्त जनजातीय संस्कृति, इसके इतिहास एवं विरासत का प्रदर्शन करेगा।
- एक अन्य कार्यक्रम में, उन्होंने नई दिल्ली में भारतीय आदिम जाति सेवक संगठन (BAJSS) में केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित हाल ही में पुनर्निर्मित राष्ट्रीय अद्वितीय जनजातीय संग्रहालय, ई-लाइब्रेरी और एसटी गर्ल्स हॉस्टल का भी उद्घाटन किया।
- BAJSS की स्थापना वर्ष 1948 में अमृतलाल विट्ठलदास ठक्कर द्वारा की गई थी, जिन्हें ठक्कर बापा के नाम से जाना जाता था, जो एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्त्ता थे, जिन्होंने आदिवासी लोगों के उत्थान के लिये कार्य किया था।
हरियाणा Switch to English
कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय में पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय (KU) के कुलपति ने KU में मिशन LiFE अभियान के तहत मैराथन, जागरूकता सह प्रदर्शनी और विस्तार व्याख्यान का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु:
- इस अवसर पर कुलपति ने इको क्लब की गतिविधियों का भी विधिवत उद्घाटन किया और सभी को मिशन LiFE की शपथ दिलाई।
- मिशन LiFE भारत को आत्मनिर्भर और प्रकृति के करीब बनाने हेतु एक जन आंदोलन साबित हो रहा है।
- वर्ष 2021 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से विश्व को पर्यावरण जीवनशैली का मंत्र दिया।
- कार्यक्रम का आयोजन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के पर्यावरण संबंधी जानकारी, जागरूकता, क्षमता निर्माण तथा आजीविका कार्यक्रम (EIACP) के सहयोग से वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर भारत एवं KU के संयुक्त तत्त्वावधान में किया गया था।
- आगे छात्र अर्थ ऑवर कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे और विश्व अभियान का हिस्सा बनेंगे।
- अर्थ ऑवर WWF की वार्षिक पहल है जो वर्ष 2007 में शुरू हुई थी।
- यह 180 से अधिक देशों के लोगों को अपने स्थानीय समय के अनुसार रात 8.30 बजे से 9.30 बजे तक लाइट बंद करने के लिये प्रोत्साहित करता है।
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF)
- यह विश्व का अग्रणी संरक्षण संगठन है और 100 से अधिक देशों में कार्य करता है।
- यह वर्ष 1961 में स्थापित किया गया था और इसका मुख्यालय ग्लैंड, स्विट्ज़रलैंड में है।
- इसका मिशन प्रकृति के संरक्षण और पृथ्वी पर जीवन की विविधता के लिये सबसे अधिक दबाव वाले खतरों को कम करना।
पर्यावरण संबंधी जानकारी, जागरूकता, क्षमता निर्माण और आजीविका कार्यक्रम (EIACP)
- EIACP प्रोग्राम सेंटर रिसोर्स पार्टनर "वन्यजीव और संरक्षित क्षेत्र", भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून जिसे पहले ENVIS के नाम से जाना जाता था, सितंबर 1997 में भारत में 23वें पर्यावरण सूचना प्रणाली (ENVIS) केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था।
- कार्यक्रम केंद्र अपने निर्दिष्ट विषय क्षेत्र पर सभी सूचनाओं, प्रकाशनों और अन्य मूल्य वर्धित उत्पादों का भंडार है; डेटाबेस बनाए रखना; पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देशानुसार जन जागरूकता अभियान तथा कार्यक्रमों सहित पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रमों एवं गतिविधियों का संचालन करना।
हरियाणा Switch to English
कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय ने राजीब गोयल पुरस्कारों की घोषणा की
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की गोयल पुरस्कार समिति ने युवा वैज्ञानिकों के लिये राजीब गोयल पुरस्कार की घोषणा की।
मुख्य बिंदु:
- इस पुरस्कार में एक पदक, प्रशस्ति-पत्र और 1 लाख रुपए का नकद पुरस्कार शामिल है जिसके लिये 45 वर्ष से कम आयु के देश के चार वैज्ञानिकों को युवा वैज्ञानिक श्रेणी में चुना गया है।
- प्राप्तकर्त्ता हैं:
- डॉ. सप्तर्षि बसु, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, बेंगलुरु, (एप्लाइड साइंसेज)।
- डॉ सेबेस्टियन सी. पीटर, JNCASR, बेंगलुरु, (रासायनिक विज्ञान)।
- डॉ. बुशरा अतीक, जैविक विज्ञान और बायोइंजीनियरिंग विभाग, IIT कानपुर (जीवन विज्ञान)।
- डॉ. संजीव कुमार अग्रवाल, भौतिकी संस्थान, भुवनेश्वर, (भौतिक विज्ञान)।
- इन पुरस्कारों के माध्यम से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रत्येक वर्ष देश के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान को मान्यता देते हुए सम्मानित करता है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश सरकार ने निजी कंपनियों को ई-मोबिलिटी में निवेश के लिये आमंत्रित किया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने निजी कंपनियों को अपने ई-मोबिलिटी पुश में निवेश करने के लिये आमंत्रित किया है। राज्य ने अगले पाँच वर्षों में 75 ज़िलों में 50,000 इलेक्ट्रिक बसें शुरू करने का प्रस्ताव रखा है।
मुख्य बिंदु:
- उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) ने सकल लागत अनुबंध के आधार पर 5,000 ई-बसों की आपूर्ति, संचालन और रखरखाव के लिये बोलियाँ आमंत्रित करते हुए एक निविदा जारी की है।
- पहले चरण में अगले वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान ही 5,000 ई-बसें तैनात की जाएंगी।
- ई-बसों की आपूर्ति, संचालन और रखरखाव के अलावा, बोलीदाता संबद्ध विद्युत तथा नागरिक बुनियादी ढाँचे का भी ध्यान रखेगा।
- उन्हें राजस्व साझाकरण मॉडल पर मौजूदा अंतर-ज़िला मार्गों पर परिचालन की अनुमति दी जाएगी।
- ई-बसों की तैनाती से राज्य के सार्वजनिक गतिशीलता बेड़े से कार्बन उत्सर्जित करने वाली 12,000 डीज़ल बसें चरणबद्ध तरीके से समाप्त हो जाएंगी।
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC)
- यह एक सार्वजनिक क्षेत्र का यात्री सड़क परिवहन निगम है जो उत्तर प्रदेश, भारत और उत्तर भारत के आस-पास के राज्यों को सेवा प्रदान करता है।
- यह राज्य और अंतर्राष्ट्रीय बस सेवा के रूप में संचालित होती है तथा उत्तर भारत में बसों का सबसे बड़ा बेड़ा है।
- निगम का कॉर्पोरेट कार्यालय लखनऊ में स्थित है।
- सड़क परिवहन अधिनियम, 1950 के प्रावधानों के तहत 1 जून 1972 को यूपी सरकारी रोडवेज़ का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) कर दिया गया। इस उपक्रम के उद्देश्य थे:
- इससे संबंधित सड़क परिवहन क्षेत्र का विकास व्यापार और उद्योग के समग्र विकास को बढ़ावा देगा।
- परिवहन के अन्य साधनों के साथ सड़क परिवहन सेवाओं का समन्वय।
- राज्य के निवासियों को पर्याप्त, किफायती और कुशलतापूर्वक समन्वित सड़क परिवहन सेवा प्रदान करना।
उत्तर प्रदेश Switch to English
बुंदेलखंड बनेगा नया पावर हाउस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बुंदेलखंड में 10 सौर ऊर्जा परियोजनाएँ शुरू की गई हैं, जिनसे 3,000 मेगावाट से अधिक विद्युत उत्पन्न होगी। यह पूरा क्षेत्र उत्तर प्रदेश का नया ऊर्जा केंद्र बनने के लिये तैयार है।
मुख्य बिंदु:
- सौर ऊर्जा उत्पादन संयंत्र बुंदेलखंड के जालौन, झाँसी, ललितपुर, बांदा, चित्रकूट तथा महोबा ज़िलों में स्थापित किये जायेंगे। अकेले झाँसी ज़िले में तीन सौर ऊर्जा इकाइयाँ स्थापित की जा रही हैं।
- परियोजनाएँ हैं:
- झाँसी ज़िले में टस्को द्वारा 3,430 करोड़ रुपए की लागत से 600 मेगावाट का सौर संयंत्र स्थापित किया जा रहा है, जिससे 300 रोज़गार सृजन के अवसर उत्पन्न होने की संभावना है।
- फोर्थ पार्टनर एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड 1,200 करोड़ रुपए में 100 मेगावाट का सौर संयंत्र स्थापित करेगा, जिससे 1,000 से अधिक रोज़गार सृजन के अवसर जुड़ेंगे।
- सन सोर्स एनर्जी 600 करोड़ रुपए की 135 मेगावाट की ओपन-एक्सेस सौर ऊर्जा परियोजना शुरू करने के लिये तैयार है, जिसमें 2,000 रोज़गार सृजन की क्षमता है।
- टस्को द्वारा ललितपुर ज़िले में 3,450 करोड़ रुपए की लागत से 600 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया जा रहा है, जिससे 300 रोज़गार सृजन के अवसर उत्पन्न होंगे।
- सूर्य ऊर्जा फोर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 150 करोड़ रुपए की लागत से 10-15 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित की जाएगी, जिससे 200 लोगों के लिये रोज़गार सृजन के अवसर उत्पन्न होंगे।
- अवाडा इंड सोलर प्राइवेट लिमिटेड 350 करोड़ रुपए की लागत से बाँदा में 750 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित करेगी।
- सनश्योर सोलर पार्क प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 62 करोड़ रुपए की लागत से 15 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना भी स्थापित की जा रही है।
- चित्रकूट में टस्को लिमिटेड 4,700 करोड़ रुपए की लागत से 800 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित करेगी। इससे 400 लोगों को रोज़गार के अवसर मिलेंगे।
- श्री सीमेंट प्राइवेट लिमिटेड 202 करोड़ रुपए का सोलर पावर प्लांट लगाएगी।
- टस्को लिमिटेड महोबा में 1008 करोड़ रुपए की 155 मेगावाट की अर्जुन सागर फ्लोटिंग सोलर पावर परियोजना स्थापित कर रही है, जिससे 78 लोगों के लिये रोज़गार के अवसर उत्पन्न होंगे।
- IB वोग्ट सोलर फोर प्राइवेट लिमिटेड महोबा में 80 करोड़ रुपए की लागत से सौर ऊर्जा परियोजना भी स्थापित करेगी।
- बुंदेलखंड क्षेत्र में कार्यान्वित की जा रही अन्य प्रमुख परियोजनाओं में शामिल हैं:
- रेलवे का LBH कोच प्रोजेक्ट और ट्रैक वर्क प्लांट 2,840 करोड़ रुपए का है।
- संत मां कर्म मानव संवर्धन समिति द्वारा 501 करोड़ रुपए का एक निजी विश्वविद्यालय।
- 30 करोड़ रुपए की पत्थर खनन परियोजना और 20 करोड़ रुपए की बंदूक प्रणोदक परियोजना।
- झाँसी ज़िले में टस्को द्वारा 3,430 करोड़ रुपए की लागत से 600 मेगावाट का सौर संयंत्र स्थापित किया जा रहा है, जिससे 300 रोज़गार सृजन के अवसर उत्पन्न होने की संभावना है।
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