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स्टेट पी.सी.एस.

  • 19 Feb 2024
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राजस्थान Switch to English

प्रधानमंत्री ने राजस्थान में विकास परियोजनाओं का अनावरण किया

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए राजस्थान में 17,000 करोड़ रुपए से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का अनावरण और शिलान्यास किया।

मुख्य बिंदु:

  • यह घोषणा 'विकसित भारत विकसित राजस्थान' कार्यक्रम के एक भाग के रूप में हुई और ये परियोजनाएँ सड़क, रेलवे, सौर ऊर्जा, विद्युत पारेषण, पेयजल तथा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस सहित कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों से संबंधित हैं।
  • पीएम ने विकास परियोजनाओं के साथ राजस्थान की प्रगति के लिये रेल, सड़क, बिजली और पानी जैसे आवश्यक क्षेत्रों में तेज़ी से विकास के महत्त्व पर ज़ोर दिया।
  • उन्होंने बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये वर्ष 2024 के केंद्रीय बजट में 11 ट्रिलियन रुपए के पर्याप्त आवंटन पर प्रकाश डाला।
  • राजस्थान में बुनियादी ढाँचा:
    • राजमार्ग बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये 5,000 करोड़ रुपए से अधिक की विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया।
      • इससे कोटा, उदयपुर, टोंक, सवाई माधोपुर, बूंदी, अजमेर, भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ में कनेक्टिविटी में सुधार होगा।
      • ये सड़कें दिल्ली, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र के साथ बेहतर कनेक्टिविटी भी सुनिश्चित करेंगी।
    • रेलवे के लिये पीएम ने करीब 2300 करोड़ रुपए की आठ परियोजनाओं का शिलान्यास किया।
    • उन्होंने राजस्थान में 2,100 करोड़ रुपए से अधिक की विद्युत पारेषण क्षेत्र की परियोजनाएँ राष्ट्र को समर्पित कीं।
    • उन्होंने मुफ्त बिजली प्रदान करने और घरों में सौर पैनल स्थापना की सुविधा प्रदान करने के लिये पीएम सूर्य घर योजना के उद्देश्य को भी रेखांकित किया, जिससे विशेष रूप से मध्यम तथा निम्न-मध्यम वर्ग को लाभ होगा।
    • पीएम ने जल जीवन मिशन (JJM) के तहत लगभग 2,400 करोड़ रुपए की कई परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी।

पीएम सूर्य घर योजना

  • यह एक अग्रणी सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य पूरे देश में एक करोड़ घरों की छत पर सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित करना है।
  • रूफटॉप सौर पैनल एक इमारत की छत पर स्थापित फोटोवोल्टिक पैनल हैं जो मुख्य विद्युत आपूर्ति इकाई से जुड़े होते हैं।
  • यह ग्रिड से जुड़ी बिजली की खपत को कम करता है और उपभोक्ता के लिये बिजली की लागत में कमी लाता है।
    • छत पर सौर संयंत्र से उत्पन्न अधिशेष सौर ऊर्जा इकाइयों को मीटरिंग प्रावधानों के अनुसार ग्रिड में निर्यात किया जा सकता है।
    • उपभोक्ता प्रचलित नियमों के अनुसार अधिशेष निर्यातित विद्युत के लिये मौद्रिक लाभ प्राप्त कर सकता है।


उत्तर प्रदेश Switch to English

प्रधानमंत्री कल्कि धाम मंदिर की नींव रखेंगे

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री संभल ज़िले में श्री कल्कि धाम मंदिर का शिलान्यास करेंगे।

मुख्य बिंदु:

  • मंदिर का निर्माण श्री कल्कि धाम निर्माण ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है।
  • उद्घाटन कार्यक्रम में कई संत, धार्मिक नेता और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल होंगे।
  • उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 (UPGIS 2023) के दौरान प्राप्त निवेश प्रस्तावों के चौथे ग्राउंडब्रेकिंग समारोह में प्रधानमंत्री पूरे उत्तर प्रदेश में 10 लाख करोड़ रुपए से अधिक की 14,000 परियोजनाओं का भी शुभारंभ करेंगे।
    • ये परियोजनाएँ विनिर्माण, नवीकरणीय ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी और इससे संबंधित सेवाओं, खाद्य प्रसंस्करण, आवास तथा रियल एस्टेट, आतिथ्य एवं मनोरंजन, शिक्षा जैसे क्षेत्रों से संबंधित हैं।

उत्तर प्रदेश Switch to English

पश्चिमी विक्षोभ से उत्तर प्रदेश में बारिश की संभावना

चर्चा में क्यों?

भारती मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश, तूफान तथा ओलावृष्टि साथ ही पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में तीव्र बर्फबारी होने की संभावना है।

मुख्य बिंदु:

  • सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ से उत्तर-पश्चिम भारत के कई क्षेत्रों में अलग-अलग मौसम की स्थिति देखी जाने की उम्मीद है।
  • पश्चिमी विक्षोभ के कारण सामान्य मौसम प्रारूप में महत्त्वपूर्ण बदलाव होने की उम्मीद है तथा समुदायों को इन परिवर्तनों के लिये तैयार रहने की सलाह दी जाती है।
    • अधिकारियों से सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये किसी भी आवश्यक उपाय हेतु तैयार रहने का आग्रह किया गया है।

पश्चिमी विक्षोभ:

  • पश्चिमी विक्षोभ चक्रवाती तूफानों की एक शृंखला है जो भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं, ये 9,000 किमी. से अधिक की दूरी तय करके भारत में पहुँचते हैं। यह उत्तर-पश्चिम भारत में शीत ऋतु में वर्षा के लिये उत्तरदायी है।
    • पश्चिमी विक्षोभ भूमध्य सागर, काला सागर और कैस्पियन सागर से आर्द्रता एकत्र करता है तथा पश्चिमी हिमालय पर्वत से टकराने से पहले ईरान एवं अफगानिस्तान के ऊपर से गुज़रता है।
  • जबकि तूफान प्रणाली पूरे वर्ष में मौजूद होती है, वे मुख्य रूप से दिसंबर और अप्रैल के बीच भारत को प्रभावित करते हैं क्योंकि उपोष्णकटिबंधीय पछुआ जेट स्ट्रीम का प्रक्षेपवक्र शीत ऋतु के महीनों के दौरान हिमालय क्षेत्र में स्थानांतरित हो जाता है।
    • जेट स्ट्रीम हिमालय के ऊपर से पूरे वर्ष तिब्बत के पठार और चीन की ओर प्रवाहित होती है। इसका प्रक्षेपवक्र सूर्य की स्थिति से प्रभावित होता है।
  • भारत के लिये महत्त्व:
    • पश्चिमी विक्षोभ हिमपात का प्राथमिक स्रोत है जो शीत ऋतु के दौरान हिमालय के ग्लेशियरों में वृद्धि करता है।
      • ये ग्लेशियर गंगा, सिंधु और यमुना जैसी प्रमुख हिमालयी नदियों के साथ-साथ असंख्य पर्वतीय झरनों और नदियों का पोषण करते हैं।
    • ये कम दबाव वाली तूफान प्रणालियाँ भारत में किसानों को रबी फसल उगाने में मदद करती हैं।
  • समस्याएँ:
    • पश्चिमी विक्षोभ हमेशा अच्छे मौसम के अग्रदूत नहीं होते हैं। कभी-कभी पश्चिमी विक्षोभ बाढ़, फ्लैश फ्लड, भूस्खलन, धूल भरी आँधी, ओलावृष्टि और शीतलहर जैसी चरम मौसम की घटनाओं का कारण बन सकते हैं, बुनियादी ढाँचे को नष्ट कर सकते हैं, साथ ही जीवन तथा आजीविका को प्रभावित कर सकते हैं।

भारत मौसम विज्ञान विभाग

  • IMD की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी। यह देश की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सेवा है और मौसम विज्ञान एवं संबद्ध विषयों से संबंधित सभी मामलों में प्रमुख सरकारी एजेंसी है।
  • यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
  • IMD विश्व मौसम विज्ञान संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है।


उत्तराखंड Switch to English

शेवनिंग छात्रवृत्ति

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड सरकार ने प्रतिष्ठित शेवनिंग छात्रवृत्ति के माध्यम से यूनाइटेड किंगडम (UK) में एक साल के मास्टर कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में राज्य के दस उत्कृष्ट छात्रों को समर्थन देने की अपनी पहल की घोषणा की है। राज्य 50% खर्च, जबकि शेवेनिंग इंडिया शेष खर्च वहन करेगा।

मुख्य बिंदु:

  • छात्रवृत्ति शैक्षणिक शुल्क, यात्रा, आवास और वीज़ा शुल्क सहित विभिन्न खर्चों को कवर करती है, जो लाभार्थियों के लिये एक समग्र सहायता प्रणाली प्रदान करती है।
  • दो साल के कार्य अनुभव वाले स्नातक छात्रवृत्ति के लिये अर्हता प्राप्त करेंगे, जिससे वे किसी भी ब्रिटिश विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा या शोध कर सकेंगे। प्रारंभ में, कार्यक्रम के लिये पाँच महिलाओं और पाँच पुरुषों को चुना जाएगा।
  • सरकार और शेवेनिंग इंडिया के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये जाएंगे। यह साझेदारी उत्तराखंड के लिये अपनी तरह की पहली साझेदारी है।
    • ऐसा पहले झारखंड में भी किया गया था।

शेवनिंग छात्रवृत्ति

  • यह ब्रिटिश विदेश और राष्ट्रमंडल कार्यालय द्वारा वित्त पोषित एक अंतर्राष्ट्रीय छात्रवृत्ति है, जो नेतृत्व गुणों वाले विदेशी छात्रों को यूके के विश्वविद्यालयों में अध्ययन करने की अनुमति प्रदान करती है।
  • योजना का उद्देश्य यूके में छात्रों का एक नेटवर्क तैयार करना, जो अपने देशों में भविष्य के नेतृत्वकर्त्ता होंगे।


बिहार Switch to English

आयुष क्षेत्रीय समीक्षा बैठक

चर्चा में क्यों?

केन्‍द्रीय आयुष और पत्तन, पोत परिवहन तथा जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने बिहार के पटना में आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित छह राज्यों बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड,मध्य प्रदेश, ओडिशा एवं उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय समीक्षा बैठक के दौरान वैश्विक स्तर पर समग्र स्वास्थ्य देखभाल के महत्त्व पर ज़ोर दिया।

मुख्य बिंदु:

  • आयुष मंत्रालय राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM) की केंद्र प्रायोजित योजना के तहत अपने संबंधित राज्य वार्षिक कार्य योजनाओं (एसएएपी) के माध्यम से उनके द्वारा प्रस्तावित विभिन्न गतिविधियों के कार्यान्वयन के लिये राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के प्रयासों में सहयोग कर रहा है।
    • NAM को ज़रूरतमंद जनता को सूचित विकल्प प्रदान करने के लिये आयुष स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को मज़बूत और बेहतर बनाकर पूरे देश में आयुष स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ प्रदान करने की कल्‍पना तथा उद्देश्यों के साथ कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • आयुष मंत्रालय ने NAM के तहत सात राज्यों-बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को 1712.54 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।
    • इसने 58 एकीकृत आयुष अस्पतालों की स्थापना का भी समर्थन किया, जिनमें से 14 पहले से ही चालू हैं।
    • नियोजित 12,500 आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (AHWCs) में से 4235 को समर्थन दिया गया है, इन राज्यों में 3439 पहले से ही कार्यरत हैं।
  • राज्यों से आयुष शिक्षण संस्थानों के निर्माण कार्य में जल्द-से-जल्द तेज़ी लाने और इसे क्रियाशील बनाने का आग्रह किया।
  • राज्यों से स्वास्थ्य के समग्र दृष्टिकोण के लिए समुदाय को विभिन्न आयुष वस्‍तुएँ प्रदान करने के लिये NAM दिशा-निर्देशों में शामिल आयुष सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को लागू करने पर ज़ोर देने की भी अपील की।
  • राज्य सरकारों, विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ से भी अनुरोध किया गया है कि वे संभावित क्षेत्रों में व्यापक आधार पर लिम्फैटिक फाइलेरियासिस के रुग्णता प्रबंधन और दिव्‍यांगता रोकथाम (MMDP) के लिये आयुष पर राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करें।

राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM)

  • इस मिशन को सितंबर 2014 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत आयुष विभाग द्वारा 12वीं योजना के दौरान राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के माध्यम से कार्यान्वयन के लिये शुरू किया गया था।
    • वर्तमान में इसे आयुष मंत्रालय द्वारा लागू किया गया है।
  • इस योजना में भारतीयों के समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये आयुष क्षेत्र का विस्तार शामिल है।
  • यह मिशन देश में विशेष रूप से कमज़ोर और दूर-दराज़ के क्षेत्रों में आयुष स्वास्थ्य सेवाएँ/शिक्षा प्रदान करने के लिये राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों के प्रयासों का समर्थन कर स्वास्थ्य सेवाओं में अंतराल को संबोधित करता है।

हाथीपाँव (Lymphatic Filariasis)

  • हाथीपाँव, जिसे आमतौर पर एलिफेंटियासिस (Elephantiasis) के रूप में जाना जाता है एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (Neglected Tropical Disease- NTD) के रूप में माना जाता है। मानसिक स्वास्थ्य के बाद यह दूसरी सबसे अधिक अक्षम करने वाली बीमारी है।
  • यह लसीका प्रणाली को नुकसान पहुँचा सकता है और शरीर के अंगों के असामान्य विस्तार को जन्म दे सकता है, जिससे दर्द, गंभीर विकलांगता तथा सामाजिक कलंक की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
    • लसीका तंत्र वाहिकाओं और विशेष ऊतकों का एक नेटवर्क है जो समग्र द्रव संतुलन, अंगों एवं अंगों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिये आवश्यक है तथा महत्त्वपूर्ण रूप से शरीर की प्रतिरक्षा रक्षा प्रणाली का एक प्रमुख घटक है।
  • हाथीपाँव एक वेक्टर जनित रोग है, जो फाइलेरियोइडिया (Filarioidea) कुल के नेमाटोड (राउंडवॉर्म) के रूप में वर्गीकृत परजीवियों के संक्रमण के कारण होता है। हाथीपाँव रोग का कारण धागेनुमा आकार के निम्नलिखित तीन प्रकार के फाइलेरियल परजीवी होते हैं-
    • वुचेरेरिया बैनक्रोफ्टी (Wuchereria Bancrofti) हाथीपाँव के लगभग 90% मामलों के लिये उत्तरदायी होता है।
    • ब्रुगिया मलाई (Brugia Malayi) अधिकाँश मामलों के लिये उत्तरदायी है।
    • ब्रुगिया तिमोरी (Brugiya Timori) भी इस रोग का कारण है।

औषधीय उपचार:

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) हाथीपाँव के वैश्विक उन्मूलन में तेज़ी लाने के लिये तीन औषधीय उपचारों की सिफारिश करता है।
    • उपचार, जिसे आईडीए (IDA) के रूप में जाना जाता है, में आइवरमेक्टिन (Ivermectin), डायथाइलकार्बामाज़िन साइट्रेट (Diethylcarbamazine Citrate) और एल्बेंडाज़ोल (Albendazole) का संयोजन शामिल है।
    • इन औषधियों को लगातार दो वर्षों तक दिया जाता है। वयस्क कृमि का जीवनकाल लगभग चार वर्षों का होता है, इसलिये वह व्यक्ति को कोई नुकसान पहुँचाए बिना स्वाभाविक रूप से मर जाता है।

भारतीय परिदृश्य:

  • हाथीपाँव भारत के लिये गंभीर खतरा है। 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अनुमानित 650 मिलियन भारतीयों को हाथीपाँव होने का खतरा है।
  • विश्व में हाथीपाँव के 40% से अधिक मामले भारत में पाए जाते हैं।
  • हाथीपाँव रोग के उन्मूलन की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2018 में ‘हाथीपाँव रोग के तीव्र उन्मूलन की कार्य-योजना’ (Accelerated Plan for Elimination of Lymphatic Filariasis- APELF) नामक पहल शुरू की थी।
  • भारत ने इस रोग के उन्मूलन के लिये दोहरी रणनीति अपनाई है। इसके तहत हाथीपाँव निरोधक दो दवाओं (ईडीसी तथा एल्बेन्डाज़ोल- EDC and Albendazole) का प्रयोग, अंग विकृति प्रबंधन (Morbidity Management) और दिव्यांगता रोकथाम शामिल है।
  • केंद्र सरकार दिसंबर 2019 से ट्रिपल ड्रग थेरेपी (Triple Drug Therapy) को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने के लिये प्रयासरत है।


झारखंड Switch to English

झारखंड में जाति जनगणना

चर्चा में क्यों?

झारखंड में जल्द ही पड़ोसी राज्य बिहार की तर्ज पर राज्य में जाति जनगणना होगी।

मुख्य बिंदु:

  • सीएम ने कार्मिक विभाग को एक मसौदा (सर्वेक्षण करने के लिये SoP) तैयार करने और इसे मंज़ूरी के लिये कैबिनेट के समक्ष रखने का निर्देश दिया है।
  • झारखंड में जाति आधारित सर्वेक्षण 7 जनवरी से 2 अक्तूबर 2023 के बीच एकत्र आँकड़ों के आधार पर किया जाएगा।

जनगणना:

  • जनगणना की उत्पत्ति:
    • भारत में जनगणना की शुरुआत वर्ष 1881 की औपनिवेशिक काल के समय हुई थी।
    • जनगणना कार्य का विकास होता गया जिसका प्रयोग सरकार, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और अन्य व्यक्तियों द्वारा भारतीयों की जनसंख्या पर डेटा एकत्र करने, संसाधनों तक पहुँच बनाने, सामाजिक परिवर्तन की रूपरेखा बनाने, परिसीमन अभ्यास आदि के लिये किया जाता है।
  • सामाजिक-आर्थिक और जाति-जनगणना (Socio-Economic and Caste Census- SECC) के रूप में पहली जाति जनगणना:
    • इसे SECC पहली बार वर्ष 1931 में आयोजित किया गया था।
    • SECC का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में प्रत्येक भारतीय परिवार से आँकड़े एकत्रित करना तथा उनसे जुड़े निम्नलिखित तथ्यों के बारे में पूछताछ करना है:
      • आर्थिक स्थिति, केंद्र और राज्य अधिकारियों को अभाव, क्रमपरिवर्तन एवं संयोजन के विभिन्न संकेतक विकसित करने की अनुमति देती है, जिसका उपयोग प्रत्येक प्राधिकरण एक गरीब या वंचित व्यक्ति को नामित करने के लिये किया जा सके।
      • इसका मतलब प्रत्येक व्यक्ति से उनकी विशिष्ट जाति का नाम पूछना भी है ताकि सरकार को यह पुनर्मूल्यांकन करने में मदद मिल सके कि कौन-सी जाति समूह आर्थिक रूप से पिछड़े थे और कौन-से बेहतर थी।
  • जनगणना और SECC के बीच अंतर:
    • जनगणना भारतीय जनसंख्या का वर्णन करता है, जबकि SECC राज्य सरकार द्वारा समर्थित लाभार्थियों की पहचान करने का एक उपकरण है।
    • चूँकि जनगणना जनगणना अधिनियम, 1948 के अंतर्गत आती है, इसलिये सभी डेटा को गोपनीय माना जाता है, जबकि SECC वेबसाइट के अनुसार, "SECC में दी गई सभी व्यक्तिगत जानकारियाँ सरकारी विभागों द्वारा परिवारों को लाभ प्रदान करने और/या लाभों से प्रतिबंधित करने हेतु उपयोग के लिये उपलब्ध होती।”

हरियाणा Switch to English

यमुना जल साझाकरण हेतु समझौता

चर्चा में क्यों?

हरियाणा ने सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर से पानी साझा करने के लिये राजस्थान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसमें विशेष रूप से बरसात के दिनों में हथिनीकुंड बैराज से अतिरिक्त पानी बहता है।

मुख्य बिंदु:

  • समझौते के अनुसार, दोनों राज्य हथिनीकुंड बैराज की पश्चिमी यमुना नहर से पाइपलाइन बिछाने के लिये एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करेंगे।
  • तीन पाइप सीकर, झुंझुनू और चूरू ज़िलों के लिये होंगे, जबकि दादरी ज़िले के माध्यम से दक्षिणी हरियाणा की ओर पानी ले जाने हेतु एक अतिरिक्त पाइप बिछाया जाएगा।

सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर

  • इस मुद्दे की मूल जड़ वर्ष 1966 में हरियाणा को पंजाब से अलग किये जाने के बाद वर्ष 1981 का एक विवादास्पद जल-बँटवारा समझौता है।
  • पंजाब:
    • पंजाब पड़ोसी राज्यों के साथ किसी भी अतिरिक्त जल के बंटवारे का कड़ा विरोध करता है। वे इस बात पर ज़ोर देते हैं कि पंजाब में अतिरिक्त जल की कमी है और पिछले कुछ वर्षों में उनके जल आवंटन में कमी हुई है।
    • वर्ष 2029 के बाद पंजाब के कई क्षेत्रों में जल समाप्त हो सकता है और सिंचाई के लिये राज्य पहले ही अपने भूजल का अत्यधिक दोहन कर चुका है क्योंकि गेहूंँ तथा धान की खेती करके यह केंद्र सरकार को हर साल लगभग 70,000 करोड़ रुपए मूल्य का अन्न भंडार उपलब्ध कराता है।
    • राज्य के लगभग 79% क्षेत्र में पानी का अत्यधिक दोहन है और ऐसे में सरकार का कहना है कि किसी अन्य राज्य के साथ पानी साझा करना असंभव है।
  • हरियाणा:
    • पंजाब, हरियाणा के हिस्से का जल उपयोग कर रहा है, इसलिये हरियाणा बढ़ते जल संकट का हवाला देते हुए नहर के कार्य को पूरा करने की मांग करता है।
    • हरियाणा का तर्क है कि राज्य में सिंचाई के लिये जल उपलब्ध कराना कठिन है और हरियाणा के दक्षिणी हिस्सों में पीने के पानी की समस्या है जहांँ भूजल स्तर 1,700 फीट तक कम हो गया है।
    • हरियाणा केंद्रीय खाद्य पूल (Central Food Pool) में अपने योगदान का हवाला देता रहा है और तर्क देता है कि एक न्यायाधिकरण द्वारा किये गए मूल्यांकन के अनुसार उसे उसके जल के उचित हिस्से से वंचित किया जा रहा है।

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