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छत्तीसगढ स्टेट पी.सी.एस.

  • 18 Sep 2021
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हायर सेकेंडरी की पढ़ाई के साथ-साथ आईटीआई व्यावसायिक शिक्षा के संयुक्त पाठ्यक्रम का शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

17 सितंबर, 2021 को विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में हायर सेकेंडरी की पढ़ाई के साथ-साथ आईटीआई व्यावसायिक शिक्षा के संयुक्त पाठ्यक्रम का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री ने अपने निवास कार्यालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में  दुर्ग ज़िले के पाटन के स्वामी आत्मानंद स्कूल से छत्तीसगढ़ के स्कूलों में स्कूली शिक्षा के साथ गुणवत्तापूर्ण व्यावसायिक शिक्षा के लिये तैयार किये गए इस पाठ्यक्रम की ऐतिहासिक शुरुआत की।
  • छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल और राज्य व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एससीवीटी) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किये गए इस दो वर्षीय पाठ्यक्रम में कक्षा 11वीं और 12वीं की पढ़ाई के साथ-साथ आईटीआई कोर्स की पढ़ाई भी विद्यार्थी कर सकेंगे।
  • इस पाठ्यक्रम में 12वीं की परीक्षा पास करने वाले विद्यार्थियों को हायर सेकेंडरी के साथ आईटीआई का प्रमाण-पत्र भी मिलेगा। विद्यार्थियों को कक्षा 12वीं का प्रमाण-पत्र माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा दिया जाएगा, जिससे वे उच्च शिक्षा में प्रवेश ले सकते हैं और आईटीआई का प्रमाण-पत्र भी मिलेगा, जिससे वे रोज़गार प्राप्त कर सकेंगे। दोनों कोर्स एक साथ चलेंगे। 
  • मुख्यमंत्री बघेल ने इस अवसर पर कहा कि छात्रों के लिये वेल्डर ट्रेड और छात्राओं के लिये स्टेनोग्राफी हिन्दी पाठ्यक्रम निर्धारित किया गया है। यह पाठ्यक्रम दो वर्ष का होगा। 11वीं और 12वीं की पढ़ाई के दौरान दो वर्ष में यह पाठ्यक्रम पूरा होगा। 
  • स्कूली स्तर पर ही कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बच्चों को छत्तीसगढ़ में स्थापित हो रहे छोटे और बड़े उद्योगों में रोज़गार प्राप्त करने में आसानी होगी। साथ ही वे स्व-रोज़गार भी कर सकेंगे।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में इस रोज़गारोन्मुखी पाठ्यक्रम का विस्तार किया जाएगा और ज़रूरत के अनुसार नए ट्रेड इसमें शामिल किये जा सकेंगे।
  • उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के बच्चों को अंग्रेज़ी माध्यम में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिये प्रदेश में 172 अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल प्रारंभ किये गए हैं। इसी तरह बहुउद्देशीय हिन्दी माध्यम स्कूलों को भी स्वामी आत्मानंद हिन्दी माध्यम स्कूलों के रूप में उन्नत करने का निर्णय लिया गया है।

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छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी दर राष्ट्रीय दर से आधी

चर्चा में क्यों?

16 सितंबर, 2021 को सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य में बेरोज़गारी दर राष्ट्रीय दर की तुलना में मात्र आधी है। छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी की दर 3.8 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय बेरोज़गारी दर 7.6 प्रतिशत है।

प्रमुख बिंदु

  • आँकड़ों के अनुसार बेरोज़गारी दर आंध्र प्रदेश में 6.5 प्रतिशत, बिहार में 13.6, राजस्थान में 26.7, तमिलनाडु में 6.3, उत्तर प्रदेश में 7, उत्तराखंड में 6.2, दिल्ली में 11.6, गोवा में 12.6, असम में 6.7, हरियाणा में 35.7, जम्मू-कश्मीर में 13.6, केरल में 7.8, पंजाब में 6, झारखंड में 16 तथा पश्चिम बंगाल में 7.4 प्रतिशत है। 
  • छत्तीसगढ़ राज्य की स्थिति उक्त राज्यों से कई गुना बेहतर है। यह राज्य सरकार के कुशल प्रबंधन का परिणाम है।    
  • उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य कृषि प्रधान राज्य है। राज्य की 74 फीसद आबादी गाँवों में निवास करती है तथा उसके जीवनयापन का आधार कृषि और वनोपज है। 
  • मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्त्व में राज्य सरकार द्वारा कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लगातार प्रयास के चलते गाँवों की अर्थव्यवस्था को गति मिली है। गाँवों में रोज़गार के अवसर भी बढ़े हैं। 
  • कोरोना संक्रमण काल के दौरान मनरेगा के कामों को बेहतर तरीके से संचालित करने के साथ ही धान खरीदी, लघु वनोपज के संग्रहण, खरीदी एवं प्रोसेसिंग की व्यवस्था को भी चालू रखा गया, जिससे गाँवों में लोगों को निरंतर रोज़गार सुलभ हुआ है। 
  • छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गाँव योजना, गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना ने भी ग्रामीण अंचल में अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने में मदद की है। 
  • सरकार की उक्त योजनाओं एवं कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीणों, किसानों, पशुपालकों, मनरेगा के श्रमिकों, वनोपज संग्राहकों को सीधे मदद मुहैया कराई गई। इसका परिणाम यह रहा कि मार्केट में कैश फ्लो और रौनक कायम रही, जिससे राज्य में बेरोज़गारी दर को नियंत्रित करने में मदद मिली है।

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NQAS के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ को पूरे देश में मिला द्वितीय पुरस्कार

चर्चा में क्यों?

17 सितंबर, 2021 को रोगी सुरक्षा सप्ताह के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS) के क्रियान्वयन में पूरे देश में छत्तीसगढ़ राज्य को द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • यह पुरस्कार प्रदेश में राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS) के क्रियान्वयन में ज़िला अस्पतालों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, दोनों ही श्रेणी में वर्ष 2018-19 से 2020-21 के बीच किये गए प्रदर्शन हेतु दिया गया।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ़ के अंतर्गत राज्य के अस्पतालों में उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने और मरीज़ों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिये स्वास्थ्य कर्मियों के नियमित प्रशिक्षण के बाद संस्था का आंतरिक तथा राज्यस्तरीय मूल्यांकन, सेवा प्रदाय आडिट और पेशेंट संतुष्टि सर्वे की प्रक्रिया की जाती है। 
  • भारत सरकार के विशेषज्ञों की टीम द्वारा छत्तीसगढ़ के चिह्नांकित अस्पतालों का ओपीडी, आईपीडी, लेबोरेटरी, प्रसव कक्ष, आपातकाल सेवा, रेडियोलॉजी, फार्मेसी व स्टोर, जनरल एडमिन, ऑपरेशन थिएटर एवं एनबीएसयू जैसे मानकों के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है। मूल्यांकन में खरा उतरने वाले अस्पतालों को ही केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा गुणवत्ता प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है।
  • राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS) कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2018-19 से वर्ष 2020-21 तक छत्तीसगढ़ के कुल 28 अस्पतालों एवं स्वास्थ्य केंद्रों (जिनमें 7 ज़िला अस्पताल, 7 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 13 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं एक शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं) को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान किये जाने पर गुणवत्ता प्रमाण-पत्र दिया गया है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ़ की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि वर्ष 2020-21 में कोविड महामारी के संकट काल में भी राज्य के 16 सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा गुणवत्ता प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया। वहीं वर्ष 2019-20 व वर्ष 2018-19 में कुल 6-6 अस्पतालों/स्वास्थ्य केंद्रों को गुणवत्ता प्रमाण-पत्र दिये गए।

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‘न्याय जनता के द्वार अभियान’

चर्चा में क्यों?

17 सितंबर, 2021 को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के दिशा-निर्देश पर छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदेश भर में ‘न्याय जनता के द्वार अभियान’ प्रारंभ किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • अभियान की शुरुआत करते हुए दो लीगल एड क्लिनिक बसों को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट परिसर बिलासपुर से कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा सहित हाईकोर्ट के सभी जजों ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। ये बसें राज्य के दूरस्थ अंचलों में पहुँचकर लोगों को न्याय के लिये जागरूक करेंगी।
  • हाईकोर्ट परिसर के अलावा प्रत्येक ज़िले में भी एक-एक लीगल एड क्लिनिक बस विशेष टीम के साथ रवाना की गई है। यह टीम कम-से-कम 100 गाँवों में जाकर न्याय के लिये लोगों को जागरूक करने का कार्य करेगी।
  • इस अवसर पर जस्टिस मिश्रा ने बताया कि भारत सरकार के न्याय विभाग द्वारा यह विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य गाँव-गाँव में न्याय के प्रति लोगों में जागरूकता लाना और अपने अधिकारों के प्रति उन्हें सचेत करना है। 
  • इसके तहत हाट बाज़ार जैसे विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर शॉर्ट फिल्म के माध्यम से अशिक्षित लोगों को न्याय और विधिक क्षेत्र के बारे में जानकारी दी जाएगी, ताकि वे अपने अधिकारों के प्रति सजग हो सकें और न्याय पाने के लिये स्वयं न्यायालयों में जाएँ। 
  • 100 से अधिक शिविरों के दौरान विशेष रूप से उन सभी महत्त्वपूर्ण कानूनों के बारे में जानकारी दी जाएगी जो स्वस्थ समाज के लिये आवश्यक हैं। इनमें गुड टच बैड टच, छात्रावासों में रहने वाले बच्चों के अधिकार, खेलों में भाग लेने की प्रेरणा, साइबर अपराध के प्रति सचेत करना, साइबर कानून के प्रति जागरूक रहना शामिल हैं।
  • साथ ही ड्रिंक एंड ड्राइव के कानून, भ्रूण परीक्षण पर प्रतिबंध संबंधी कानून, पॉक्सो एक्ट की गंभीरता, कार्यस्थल पर महिलाओं के अधिकार और समान वेतन का अधिकार जैसे अनेक विषयों की जानकारी दी जाएगी।
  • इसके अलावा राज्य में विधिक सहायता और आपसी समझौते से परिवादों के निराकरण के लिये लगाई जाने वाली लोक अदालतों की जानकारी भी दी जाएगी और विवादों के निपटारे के लिये लोक अदालत शिविरों का लाभ उठाने की अपील की जाएगी। 
  • ग्राम स्तर पर ‘हमार अंगना योजना’ के अंतर्गत घरेलू हिंसा से जुड़े कानून की जानकारी दी जाएगी। ‘कर्त्तव्य अभियान’ के तहत संविधान के अनुच्छेद 51 को लेकर जागरूक किया जाएगा। 
  • एमएससीटी के मामले, मोटर ह्वीकल एक्ट के नए अधिनियम, कोरोना वायरस से बचाव के लिये वरिष्ठ नागरिक और माता-पिता के अधिकार, धारा 125 सीआरपीसी के प्रावधान, विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, स्थायी लोक अदालत की उपयोगिता तथा नालसा के टोल फ्री नंबर 15100 के बारे में जानकारी दी जाएगी। नालसा के यूट्यूब चैनल के द्वारा जानकारी प्राप्त करने के लिये भी जागरूक किया जाएगा। 

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