उत्तर प्रदेश Switch to English
गंगा की सांस्कृतिक विरासत की खोज़ एवं संरक्षण
चर्चा में क्यों?
हाल ही में गंगा की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिये किये जा रहे प्रयासों के क्रम में केंद्रीय टीम द्वारा इत्र नगरी ‘कन्नौज’ में परंपरागत इत्र उद्योग, गट्टा, धार्मिक स्थल, घाट का अध्ययन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि वर्ष 2019 से केंद्र सरकार के जलशक्ति मंत्रालय द्वारा गंगा नदी के दोनों किनारों पर 51 किमी. दूरी तक अवस्थित प्राकृतिक, स्थापत्य संबंधी एवं अमूर्त विरासतों को संरक्षित करने के उद्देश्य से नमामि गंगा परियोजना के तहत नमामि गंगा सांस्कृतिक दस्तावेज़ीकरण परियोजना क्रियान्वित की जा रही है।
- नमामि गंगे परियोजना केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2014 में प्रारंभ की गई एक फ्लैगशिप परियोजना है, जिसका मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के प्रदूषण को कम करना एवं गंगा नदी का पुनर्जीवन है।
- इसका क्रियान्वयन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा किया जा रहा है, जो राष्ट्रीय गंगा परिषद की क्रियान्वयन शाखा है।
- कन्नौज, जिसे भारत की इत्र नगरी कहा जाता है, 7वीं सदी में पुष्यभूति वंश के शासक राजा हर्षवर्द्धन की राजधानी थी। इसके लिये बाणभट्ट द्वारा ‘महोदय श्री’ संबोधन का प्रयोग किया गया है। हर्षवर्द्धन की मृत्यु के पश्चात् कन्नौज पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूटों के मध्य त्रिपक्षीय संघर्ष का केंद्र बन गया था।
बिहार Switch to English
राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार के लिये बिहार के दो कैडेट चयनित
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वर्ष 2019-20 के राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार के लिये पूरे देश से चयनित 30 एनएसएस स्वयंसेवकों में दो बिहार के कैडेट भी शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार के लिये चयनित इन दो कैडेटों में जयप्रकाश विश्वविद्यालय के जेपीएम कॉलेज की छात्रा ममता कुमारी तथा मगध विश्वविद्यालय के गया कॉलेज के छात्र विशाल राज शामिल हैं।
- उल्लेखनीय है कि युवा मामले एवं खेल मंत्रालय की इकाई राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा प्रत्येक वर्ष एनएसएस के अति सक्रिय स्वयंसेवक/स्वयंसेविका, कार्यक्रम पदाधिकारी एवं विश्वविद्यालय कार्यक्रम समन्वयक को राष्ट्रीय एनएसएस अवॉर्ड से पुरस्कृत किया जाता है।
- पूरे देश के 30 स्वयंसेवकों, 10 कार्यक्रम पदाधिकारियों एवं 2 कार्यक्रम समन्वयकों को प्रत्येक वर्ष पुरस्कृत किया जाता है।
मध्य प्रदेश Switch to English
पुराने बांधों की सफाई
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिये गए निर्देशों के अनुरूप अमृत महोत्सव के तहत देश में पहली बार बांधों की मशीनों के ज़रिये सफाई की जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि बांधों की सफाई (डिसिल्टिंग) को लेकर विशेषज्ञों के मध्य इसकी उपयोगिता एवं आर्थिक वहनीयता को लेकर मतभेद हैं, जिससे बड़े-बड़े बांध दशकों पुरानी संरचना मात्र बनकर रह जाते हैं। ऐसे में बांधों की सफाई का यह निर्णय अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।
- बांधों की सफाई का यह कार्य पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मध्य प्रदेश की बरगी तहसील में बनी रानी अवंतीबाई लोधी सागर परियोजना (बरगी बांध) से प्रारंभ किया जाएगा। इस कार्य के लिये हाइड्रोलॉजिकल प्रेशराइज्ड सिस्टम का प्रयोग किया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि बरगी बांध का निर्माण नर्मदा नदी पर किया गया है। इसकी सफाई किये जाने से नर्मदा नदी पर निर्मित अन्य बांधों, जैसे- महेश्वर, ओंकारेश्वर, इंदिरा सागर एवं सरदार सरोवर बांध को भी फायदा होगा।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान विधानसभा में विभिन्न विधेयक पारित
चर्चा में क्यों?
17 सितंबर, 2021 को राजस्थान विधानसभा ने राजस्थान विनियोग (संख्या-3) विधेयक तथा एमबीएम विश्वविद्यालय, जोधपुर विधेयक सहित कई विधेयकों को पारित कर दिया।
प्रमुख बिंदु
- पारित किये गए विधेयकों में राजस्थान विनियोग (संख्या-3) विधेयक, एमबीएम विश्वविद्यालय, जोधपुर विधेयक, 2021, राजवित्तीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध (संशोधन) विधेयक, 2021 तथा रजिस्ट्रीकरण (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2021 शामिल हैं।
- वित्तीय वर्ष 2021-22 की सेवाओं के लिये राज्य की समेकित निधि में कतिपय और राशियों के संदाय और विनियोजन को प्राधिकृत करने के लिये राजस्थान विनियोग (संख्या-3) विधेयक, 2021 लाया गया था।
- इस विधेयक के पारित होने से 3163.26 करोड़ रुपए की राशि संदत्त और उपयोजित की जा सकेगी।
- उच्च शिक्षा राज्यमंत्री भंवरसिंह भाटी ने कहा कि एमबीएम इंजीनियरिग कॉलेज जोधपुर को विश्वविद्यालय बनाने से मारवाड़ क्षेत्र में उच्च शिक्षा का प्रसार करने में मदद मिलेगी। यह विश्वविद्यालय बहु विधा वाला होगा और यहाँ इंजीनियरिंग एवं तकनीकी शिक्षा पहले की तरह ही संचालित होती रहेगी।
- संसदीय मामलों के मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से विभिन्न शर्तें लगाने की वजह से राजस्थान राजवित्तीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध (संशोधन) विधेयक, 2021 लाया गया है।
- धारीवाल ने विधेयक पर हुई चर्चा के जवाब में बताया कि वर्ष 2020-21 के बजट अनुमानों के अनुसार राजस्थान सरकार का राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 3.98 प्रतिशत है। वहीं केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6 फीसदी से अधिक है।
- राजस्थान विधानसभा ने एक अन्य महत्त्वपूर्ण विधेयक रजिस्ट्रीकरण (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2021 को भी ध्वनिमत से पारित किया।
- इसके पारित होने के बाद अब पावर ऑफ अटॉर्नी देने वाले की मृत्यु होने पर उसकी संपत्ति का दुरूपयोग रूकेगा। इसमें अब जिस दिन पावर ऑफ अटॉर्नी दी गई थी, उस दिन का जीवित प्रमाण-पत्र भी रजिस्ट्री के समय देना होगा। इससे यह पता चलेगा कि यह पावर ऑफ अटॉर्नी सही है या नहीं।
- धारीवाल ने बताया कि एक वर्ष से कम की अवधि के पट्टों के पंजीकरण में आमजन को अब परेशानी नहीं होगी। इस तरह के पंजीकरण अब ऑनलाइन भी होंगे। आमजन को सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय में जाना नहीं पड़ेगा।
- किरायेनामे के पंजीकरण से किरायेदारों का पंजीकरण भी स्वत: ही होगा। इससे उनकी पहचान हो सकेगी। किरायेनामे सहित अन्य तरह से अचल संपत्ति के विवाद भी कम होंगे।
उत्तराखंड Switch to English
नैनीताल में नंदा देवी महोत्सव का समापन
चर्चा में क्यों?
17 सितंबर, 2021 को देवी नंदा और सुनंदा की मूर्तियों के विसर्जन के साथ 119वें नंदा देवी महोत्सव का समापन हुआ।
प्रमुख बिंदु
- इस महोत्सव का आयोजन श्री राम सेवक सभा और नैनीताल ज़िला प्रशासन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
- इस महोत्सव में काफी संख्या में भक्तों ने नैना देवी मंदिर में देवी-देवताओं को नमन किया। महोत्सव के दौरान धार्मिक अनुष्ठानों के अलावा विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी आयोजित की गईं।
- उत्सव के अंतिम दिन अल्मोड़ा के एक सांस्कृतिक दल ने नैना देवी मंदिर के बाहर प्रस्तुति दी। भक्ति गीतों की प्रस्तुति सहित अन्य प्रदर्शनों का भी टेलीविज़न पर सीधा प्रसारण किया गया।
- देवी-देवताओं को शहर भर में एक औपचारिक जुलूस में निकाला गया, जिसके बाद मूर्तियों को झील में विसर्जित किया गया।
- महोत्सव के अंतिम दिन अंजुमन-ए-बाल्टिस्तानी शिया समुदाय के सदस्यों ने देवी की पूजा करने आने वाले भक्तों को जल पिलाया।
उत्तराखंड Switch to English
सहकारी बैंकों की एटीएम वैन
चर्चा में क्यों?
17 सितंबर, 2021 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने आवास पर सहकारी बैंकों की मोबाइल एटीएम वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। ये वैन राज्य के विभिन्न ज़िलों में नकद निकासी की सुविधा प्रदान करने के साथ ही राज्य में आने वाले पर्यटकों की भी मदद करेंगी।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर पाँच एटीएम मोबाइल वैन को मुख्यमंत्री आवास से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया, जबकि शेष पाँच को ज़िला सहकारी बैंक मुख्यालय से उनके गंतव्य के लिये रवाना किया गया।
- सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि सहकारी बैंकों की मोबाइल एटीएम वैन की सुविधा राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के सहयोग से हर ज़िले में उपलब्ध कराई जा रही है।
- उन्होंने कहा कि इन एटीएम मोबाइल से कोई भी व्यक्ति किसी भी बैंक खाते से नकदी निकाल सकता है।
- उल्लेखनीय है कि मोबाइल एटीएम वैन ने महामारी के दौरान राज्य के लोगों की मदद में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था।
मध्य प्रदेश Switch to English
न्यायाधीश रवि मलिमथ
चर्चा में क्यों?
17 सितंबर, 2021 को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने हिमाचल प्रदेश के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलिमथ का स्थानांतरण कर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की है।
प्रमुख बिंदु
- सुप्रीम कोर्ट के कॉलेज़ियम ने देश के 8 राज्यों के मुख्य न्यायाधीशों एवं अन्य कई न्यायाधीशों के स्थानांतरण की सिफारिश की है।
- मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है।
- इससे पूर्व न्यायमूर्ति रवि मलिमथ 28 जुलाई, 2020 से 6 जनवरी, 2021 तक उत्तराखंड के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तथा 7 जनवरी, 2021 से 30 जून, 2021 तक हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं। उसके उपरांत वहाँ के कार्यवाह मुख्य न्यायाधीश के पद पर थे।
- 25 मई, 1962 को जन्में न्यायमूर्ति रवि मलिमथ ने 28 जनवरी, 1987 से अधिवक्ता के रूप में कर्नाटक हाईकोर्ट, मद्रास हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट में सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, श्रम, कंपनी, सेवा मामलों आदि में 20 वर्षों तक प्रैक्टिस की। इन्हें संविधान विशेषज्ञ माना जाता है।
- ये 18 फरवरी, 2008 को कर्नाटक हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश एवं 17 फरवरी, 2010 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए थे।
- ये 24 मई, 2024 को सेवानिवृत्त होंगे।
झारखंड Switch to English
सोहराई व कोहबर चित्रकला
चर्चा में क्यों?
17 सितंबर, 2021 को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने रांची स्थित राजभवन में डाक विभाग द्वारा सोहराई एवं कोहबर चित्रकला पर जारी एक विशेष लिफापे का लोकार्पण किया।
प्रमुख बिंदु
- सोहराय व कोहबर कला झारखंड की दो मुख्य लोककला है। यह दोनों चित्रकला मानव सभ्यता के विकास को दर्शाती है।
- इन दोनों चित्रकला में नैसर्गिक रंगों का उपयोग किया जाता है। यह कला हजारीबाग और चतरा में मुख्य रूप से ज़्यादा प्रचलित है।
- झारखंड के अनेक ज़िलों में कोहबर एवं सोहराई की समृद्ध परंपरा रही है। संभवत: आज की कोहबर कला झारखंड में पाए जाने वाले सदियों पुराने गुफाचित्रों का ही आधुनिक रूप है। हजारीबाग के कोहबर चित्रकला के चितेरे मुख्यत: आदिवासी हैं।
- मिट्टी की दीवारों पर बनाए जाने वाले चित्रण महिलाओं द्वारा बनाए गए हैं। यह चित्रण बहुत ही कलात्मक और इतने स्पष्ट होते हैं कि आसानी से पढ़े जा सकते हैं।
- कोहबर के चित्रों का विषय सामान्यत: प्रजनन, स्त्री-पुरुष संबंध, जादू-टोना होता है, जिनका प्रतिनिधित्व पत्तियों, पशु-पक्षियों, टोने-टोटके के ऐसे प्रतीक चिह्नों द्वारा किया जाता है, जो वंश वृद्धि के लिये प्रचलित एवं मान्य हैं, जैसे- बाँस, हाथी, कछुआ, मछली, मोर, कमल या अन्य फूल आदि। इनके अलावा शिव की विभिन्न आकृतियों और मानव आकृतियों का प्रयोग भी होता है। ये चित्र घर की बाहरी अथवा भीतरी दीवारों पर पूरे आकार में अंकित किये जाते हैं।
- हजारीबाग ज़िले के जोरकाठ, इस्को, शंरेया, सहैदा, ढेठरिगे, खराटी, राहम आदि गाँवों में कोहबर चित्रांकन सदियों से होता आ रहा है।
- सोहराई चित्रों में दीवारों की पृष्ठभूमि मिट्टी के मूल रंग की होती है। उस पर कत्थई राल, गोद (कैओलीन) और काले (मैंगनीज) रंगों से आकृतियाँ’ बनाई जाती हैं। कोहबर एवं सोहराई चित्रों में विभिन्न आदिवासी समूह या उपजाति के अनुसार, थोड़ी भिन्नता पाई गई है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
हायर सेकेंडरी की पढ़ाई के साथ-साथ आईटीआई व्यावसायिक शिक्षा के संयुक्त पाठ्यक्रम का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
17 सितंबर, 2021 को विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में हायर सेकेंडरी की पढ़ाई के साथ-साथ आईटीआई व्यावसायिक शिक्षा के संयुक्त पाठ्यक्रम का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री ने अपने निवास कार्यालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में दुर्ग ज़िले के पाटन के स्वामी आत्मानंद स्कूल से छत्तीसगढ़ के स्कूलों में स्कूली शिक्षा के साथ गुणवत्तापूर्ण व्यावसायिक शिक्षा के लिये तैयार किये गए इस पाठ्यक्रम की ऐतिहासिक शुरुआत की।
- छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल और राज्य व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एससीवीटी) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किये गए इस दो वर्षीय पाठ्यक्रम में कक्षा 11वीं और 12वीं की पढ़ाई के साथ-साथ आईटीआई कोर्स की पढ़ाई भी विद्यार्थी कर सकेंगे।
- इस पाठ्यक्रम में 12वीं की परीक्षा पास करने वाले विद्यार्थियों को हायर सेकेंडरी के साथ आईटीआई का प्रमाण-पत्र भी मिलेगा। विद्यार्थियों को कक्षा 12वीं का प्रमाण-पत्र माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा दिया जाएगा, जिससे वे उच्च शिक्षा में प्रवेश ले सकते हैं और आईटीआई का प्रमाण-पत्र भी मिलेगा, जिससे वे रोज़गार प्राप्त कर सकेंगे। दोनों कोर्स एक साथ चलेंगे।
- मुख्यमंत्री बघेल ने इस अवसर पर कहा कि छात्रों के लिये वेल्डर ट्रेड और छात्राओं के लिये स्टेनोग्राफी हिन्दी पाठ्यक्रम निर्धारित किया गया है। यह पाठ्यक्रम दो वर्ष का होगा। 11वीं और 12वीं की पढ़ाई के दौरान दो वर्ष में यह पाठ्यक्रम पूरा होगा।
- स्कूली स्तर पर ही कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बच्चों को छत्तीसगढ़ में स्थापित हो रहे छोटे और बड़े उद्योगों में रोज़गार प्राप्त करने में आसानी होगी। साथ ही वे स्व-रोज़गार भी कर सकेंगे।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में इस रोज़गारोन्मुखी पाठ्यक्रम का विस्तार किया जाएगा और ज़रूरत के अनुसार नए ट्रेड इसमें शामिल किये जा सकेंगे।
- उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के बच्चों को अंग्रेज़ी माध्यम में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिये प्रदेश में 172 अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल प्रारंभ किये गए हैं। इसी तरह बहुउद्देशीय हिन्दी माध्यम स्कूलों को भी स्वामी आत्मानंद हिन्दी माध्यम स्कूलों के रूप में उन्नत करने का निर्णय लिया गया है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी दर राष्ट्रीय दर से आधी
चर्चा में क्यों?
16 सितंबर, 2021 को सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य में बेरोज़गारी दर राष्ट्रीय दर की तुलना में मात्र आधी है। छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी की दर 3.8 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय बेरोज़गारी दर 7.6 प्रतिशत है।
प्रमुख बिंदु
- आँकड़ों के अनुसार बेरोज़गारी दर आंध्र प्रदेश में 6.5 प्रतिशत, बिहार में 13.6, राजस्थान में 26.7, तमिलनाडु में 6.3, उत्तर प्रदेश में 7, उत्तराखंड में 6.2, दिल्ली में 11.6, गोवा में 12.6, असम में 6.7, हरियाणा में 35.7, जम्मू-कश्मीर में 13.6, केरल में 7.8, पंजाब में 6, झारखंड में 16 तथा पश्चिम बंगाल में 7.4 प्रतिशत है।
- छत्तीसगढ़ राज्य की स्थिति उक्त राज्यों से कई गुना बेहतर है। यह राज्य सरकार के कुशल प्रबंधन का परिणाम है।
- उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य कृषि प्रधान राज्य है। राज्य की 74 फीसद आबादी गाँवों में निवास करती है तथा उसके जीवनयापन का आधार कृषि और वनोपज है।
- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्त्व में राज्य सरकार द्वारा कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लगातार प्रयास के चलते गाँवों की अर्थव्यवस्था को गति मिली है। गाँवों में रोज़गार के अवसर भी बढ़े हैं।
- कोरोना संक्रमण काल के दौरान मनरेगा के कामों को बेहतर तरीके से संचालित करने के साथ ही धान खरीदी, लघु वनोपज के संग्रहण, खरीदी एवं प्रोसेसिंग की व्यवस्था को भी चालू रखा गया, जिससे गाँवों में लोगों को निरंतर रोज़गार सुलभ हुआ है।
- छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गाँव योजना, गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना ने भी ग्रामीण अंचल में अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने में मदद की है।
- सरकार की उक्त योजनाओं एवं कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीणों, किसानों, पशुपालकों, मनरेगा के श्रमिकों, वनोपज संग्राहकों को सीधे मदद मुहैया कराई गई। इसका परिणाम यह रहा कि मार्केट में कैश फ्लो और रौनक कायम रही, जिससे राज्य में बेरोज़गारी दर को नियंत्रित करने में मदद मिली है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
NQAS के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ को पूरे देश में मिला द्वितीय पुरस्कार
चर्चा में क्यों?
17 सितंबर, 2021 को रोगी सुरक्षा सप्ताह के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS) के क्रियान्वयन में पूरे देश में छत्तीसगढ़ राज्य को द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
प्रमुख बिंदु
- यह पुरस्कार प्रदेश में राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS) के क्रियान्वयन में ज़िला अस्पतालों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, दोनों ही श्रेणी में वर्ष 2018-19 से 2020-21 के बीच किये गए प्रदर्शन हेतु दिया गया।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ़ के अंतर्गत राज्य के अस्पतालों में उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने और मरीज़ों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिये स्वास्थ्य कर्मियों के नियमित प्रशिक्षण के बाद संस्था का आंतरिक तथा राज्यस्तरीय मूल्यांकन, सेवा प्रदाय आडिट और पेशेंट संतुष्टि सर्वे की प्रक्रिया की जाती है।
- भारत सरकार के विशेषज्ञों की टीम द्वारा छत्तीसगढ़ के चिह्नांकित अस्पतालों का ओपीडी, आईपीडी, लेबोरेटरी, प्रसव कक्ष, आपातकाल सेवा, रेडियोलॉजी, फार्मेसी व स्टोर, जनरल एडमिन, ऑपरेशन थिएटर एवं एनबीएसयू जैसे मानकों के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है। मूल्यांकन में खरा उतरने वाले अस्पतालों को ही केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा गुणवत्ता प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है।
- राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS) कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2018-19 से वर्ष 2020-21 तक छत्तीसगढ़ के कुल 28 अस्पतालों एवं स्वास्थ्य केंद्रों (जिनमें 7 ज़िला अस्पताल, 7 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 13 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं एक शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं) को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान किये जाने पर गुणवत्ता प्रमाण-पत्र दिया गया है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ़ की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि वर्ष 2020-21 में कोविड महामारी के संकट काल में भी राज्य के 16 सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा गुणवत्ता प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया। वहीं वर्ष 2019-20 व वर्ष 2018-19 में कुल 6-6 अस्पतालों/स्वास्थ्य केंद्रों को गुणवत्ता प्रमाण-पत्र दिये गए।
छत्तीसगढ़ Switch to English
‘न्याय जनता के द्वार अभियान’
चर्चा में क्यों?
17 सितंबर, 2021 को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के दिशा-निर्देश पर छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदेश भर में ‘न्याय जनता के द्वार अभियान’ प्रारंभ किया गया।
प्रमुख बिंदु
- अभियान की शुरुआत करते हुए दो लीगल एड क्लिनिक बसों को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट परिसर बिलासपुर से कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा सहित हाईकोर्ट के सभी जजों ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। ये बसें राज्य के दूरस्थ अंचलों में पहुँचकर लोगों को न्याय के लिये जागरूक करेंगी।
- हाईकोर्ट परिसर के अलावा प्रत्येक ज़िले में भी एक-एक लीगल एड क्लिनिक बस विशेष टीम के साथ रवाना की गई है। यह टीम कम-से-कम 100 गाँवों में जाकर न्याय के लिये लोगों को जागरूक करने का कार्य करेगी।
- इस अवसर पर जस्टिस मिश्रा ने बताया कि भारत सरकार के न्याय विभाग द्वारा यह विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य गाँव-गाँव में न्याय के प्रति लोगों में जागरूकता लाना और अपने अधिकारों के प्रति उन्हें सचेत करना है।
- इसके तहत हाट बाज़ार जैसे विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर शॉर्ट फिल्म के माध्यम से अशिक्षित लोगों को न्याय और विधिक क्षेत्र के बारे में जानकारी दी जाएगी, ताकि वे अपने अधिकारों के प्रति सजग हो सकें और न्याय पाने के लिये स्वयं न्यायालयों में जाएँ।
- 100 से अधिक शिविरों के दौरान विशेष रूप से उन सभी महत्त्वपूर्ण कानूनों के बारे में जानकारी दी जाएगी जो स्वस्थ समाज के लिये आवश्यक हैं। इनमें गुड टच बैड टच, छात्रावासों में रहने वाले बच्चों के अधिकार, खेलों में भाग लेने की प्रेरणा, साइबर अपराध के प्रति सचेत करना, साइबर कानून के प्रति जागरूक रहना शामिल हैं।
- साथ ही ड्रिंक एंड ड्राइव के कानून, भ्रूण परीक्षण पर प्रतिबंध संबंधी कानून, पॉक्सो एक्ट की गंभीरता, कार्यस्थल पर महिलाओं के अधिकार और समान वेतन का अधिकार जैसे अनेक विषयों की जानकारी दी जाएगी।
- इसके अलावा राज्य में विधिक सहायता और आपसी समझौते से परिवादों के निराकरण के लिये लगाई जाने वाली लोक अदालतों की जानकारी भी दी जाएगी और विवादों के निपटारे के लिये लोक अदालत शिविरों का लाभ उठाने की अपील की जाएगी।
- ग्राम स्तर पर ‘हमार अंगना योजना’ के अंतर्गत घरेलू हिंसा से जुड़े कानून की जानकारी दी जाएगी। ‘कर्त्तव्य अभियान’ के तहत संविधान के अनुच्छेद 51 को लेकर जागरूक किया जाएगा।
- एमएससीटी के मामले, मोटर ह्वीकल एक्ट के नए अधिनियम, कोरोना वायरस से बचाव के लिये वरिष्ठ नागरिक और माता-पिता के अधिकार, धारा 125 सीआरपीसी के प्रावधान, विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, स्थायी लोक अदालत की उपयोगिता तथा नालसा के टोल फ्री नंबर 15100 के बारे में जानकारी दी जाएगी। नालसा के यूट्यूब चैनल के द्वारा जानकारी प्राप्त करने के लिये भी जागरूक किया जाएगा।
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