उत्तराखंड Switch to English
प्लास्टिक मुक्त गंगा
चर्चा में क्यों?
भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) एवं सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज़ (SDC) फाउंडेशन ने गंगा नदी और उसकी 15 सहायक नदियों को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करने तथा जलीय एवं स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिये "प्लास्टिक मुक्त भविष्य की ओर" नामक एक सहयोगी पहल शुरू की है
मुख्य बिंदु:
- यह अभियान सात राज्यों, उत्तराखंड, यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और झारखंड में पाँच दिनों तक चलेगा।
- यह पहल मीठे जल की जैवविविधता पर प्लास्टिक के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित है।
भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India-WII)
- यह पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वतंत्र निकाय है।
- इसका गठन वर्ष 1982 में किया गया था।
- यह संस्थान देहरादून (उत्तराखंड) में स्थित है।
- यह वन्यजीव अनुसंधान और प्रबंधन में प्रशिक्षण कार्यक्रम, शैक्षणिक पाठ्यक्रम तथा सलाह प्रदान करता है।
गंगा नदी
- यह भारत की सबसे लंबी नदी है जो 2,510 किमी. लंबी है, यह पहाड़ों, घाटियों और मैदानों में बहती है एवं हिंदुओं द्वारा पृथ्वी पर सबसे पवित्र नदी के रूप में प्रतिष्ठित है।
- गंगा बेसिन भारत, तिब्बत (चीन), नेपाल और बांग्लादेश में 10,86,000 वर्ग किमी. के क्षेत्र तक विस्तृत है।
- भारत में यह उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, झारखंड, हरियाणा, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली को कवर करता है, जिसका क्षेत्रफल 8,61,452 वर्ग किमी. है जो लगभग देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 26% है।
- यह हिमालय में गंगोत्री हिमनद के हिम क्षेत्रों से निकलती है।
- इसे उद्गम स्रोत पर भागीरथी कहा जाता है। यह घाटी से नीचे देवप्रयाग तक बहती है जहाँ एक अन्य पहाड़ी नदी अलकनंदा से मिलती है, फलस्वरूप इसे गंगा कहा जाता है।
- यमुना और सोन नदी, दाहिनी ओर से मिलने वाली मुख्य सहायक नदियाँ हैं।
- रामगंगा, घाघरा, गंडक, कोसी और महानंदा बाई ओर से गंगा नदी में मिलती हैं। चंबल व बेतवा दो अन्य महत्त्वपूर्ण उप-सहायक नदियाँ हैं।
- गंगा नदी का बेसिन दुनिया के सबसे उपजाऊ और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है एवं 1,000,000 वर्ग किमी. के क्षेत्र को कवर करता है।
- गंगा नदी डॉल्फिन एक लुप्तप्राय जलीय जीव है जो विशेष रूप से इस नदी में पाया जाता है।
- गंगा बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र (जमुना) से मिलती है और पद्मा या गंगा के नाम से अपना प्रवाह जारी रखती है।
- बंगाल की खाड़ी में गिरने से पूर्व गंगा नदी बांग्लादेश के सुंदरबन दलदल में गंगा डेल्टा का विस्तार करती है।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में अतिरिक्त वर्चुअल क्लासरूम
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड सरकार ने टेलीकॉम कंसल्टेंट्स इंडिया (TCIL) की सहायता से 840 अतिरिक्त वर्चुअल क्लासरूम शुरू करने की योजना बनाई है
- ये वर्चुअल क्लासरूम देहरादून में शिक्षकों को छात्रों के लिये लाइव ऑनलाइन कक्षाएँ संचालित करने में सक्षम बनाएंगे।
मुख्य बिंदु:
- पहले चरण में, यह योजना कक्षा 6 से 12 तक के 1.9 लाख छात्रों तक विस्तारित की जा चुकी है।
- अधिकारी वर्तमान में यह सुनिश्चित करने के लिये कार्य कर रहे हैं कि वंचित छात्रों को बिना किसी तकनीकी समस्या के शिक्षा प्रदान की जा सके।
- सामाजिक-आर्थिक बदलाव लाने के लिये मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को कोचिंग भी प्रदान की जाएगी।
- यह कार्यक्रम वर्तमान में राज्य के 13 ज़िलों के अंतर्गत 500 सरकारी स्कूलों में लागू किया जा रहा है।
- इस कार्यक्रम के तहत वर्चुअल कक्षाओं में इंटरैक्टिव संचार को सक्षम करने के लिये रिमोट संचालित टर्मिनलों (Remote Operated Terminals- ROT) और सैटेलाइट इंटरएक्टिव टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है, जिससे छात्र ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों तरह से अधिगम में सक्षम होते हैं।
- इसके अतिरिक्त, माता-पिता और शिक्षकों को समर्पित अनुप्रयोगों के माध्यम से उनकी प्रगति की निगरानी करने में भी सहायता मिलती है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
यमुना तट पर अवैध खनन
चर्चा में क्यों?
रेत खनन माफियाओं के खिलाफ संयुक्त छापेमारी में खनन विभाग और लोनी प्रशासन ने लोनी के पचेरा में यमुना तट से अर्थमूवर्स, ट्रक और ट्रॉली ज़ब्त की हैं।
मुख्य बिंदु:
- लोनी में यमुना नदी के किनारे 15 किलोमीटर तक विस्तृत भूमि के एक हिस्से, जिसके अंतर्गत पचैरा, बदरपुर और नौरसपुर गाँव आते हैं, को रेत खनन के लिये किराये पर दिया गया है।
- पचेरा में लीज़ की 48 एकड़ ज़मीन जिसे 5 वर्ष के लिये किराये पर दिया गया है, से 1.5 किमी. दूर अवैध रेत खनन किया जा रहा था।
- नदियों का संधारणीय रेत खनन सुनिश्चित करने के लिये उचित समय-सीमा के भीतर पुनःपूर्ति की प्राकृतिक प्रक्रिया के माध्यम से रेत निष्कर्षण के दौरान बने खदान गड्ढों का पुनर्भरण अति आवश्यक है।
- नदी के किनारे संवेदनशील स्थानों पर प्रायः अवैध गहन खनन किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप गहरे गड्ढे बन जाते हैं।
- आंशिक रूप से यमुना नदी के किनारे अवैध रेत खनन गतिविधियों के कारण छोड़े गए गहरे गड्ढों के कारण वर्ष 2023 में लोनी क्षेत्र में बाढ़ से काफी नुकसान हुआ।
यमुना नदी
- परिचय: यमुना नदी उत्तर भारत में गंगा की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है।
- यह विश्व के व्यापक जलोढ़ मैदानों में से एक यमुना-गंगा मैदान का एक अभिन्न भाग है।
- स्रोत: इसका स्रोत निचली हिमालय पर्वतमाला में बंदरपूंँछ शिखर के दक्षिण-पश्चिमी तट पर 6,387 मीटर की ऊँचाई पर यमुनोत्री ग्लेशियर में स्थित है।
- बेसिन: यह उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से प्रवाहित होते हुए उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम (जहाँ कुंभ मेला आयोजित होता है) स्थल पर गंगा में मिल जाती है।
- महत्त्वपूर्ण बाँध: लखवार-व्यासी बाँध (उत्तराखंड), ताजेवाला बैराज बाँध (हरियाणा) आदि।
- महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ: चंबल, सिंध, बेतवा और केन।
- यमुना नदी से संबंधित सरकारी पहल:
- यमुना एक्शन प्लान
- फरवरी 2025 तक यमुना को साफ करने के लिये दिल्ली सरकार की छह सूत्री कार्य योजना
रेत खनन
- रेत खनन को उत्तरोत्तर प्रसंस्करण के लिये मूल्यवान खनिजों, धातुओं, पत्थर, रेत और बजरी के निष्कर्षण हेतु प्राकृतिक पर्यावरण (स्थलीय, नदी, तटीय या समुद्री) से प्राथमिक प्राकृतिक रेत व रेत संसाधनों (खनिज रेत और समुच्चय) को हटाने के रूप में परिभाषित किया गया है।
- विभिन्न कारकों से प्रेरित यह गतिविधि पारिस्थितिक तंत्र और समुदायों के लिये गंभीर संकट उत्पन्न करती है।
हरियाणा Switch to English
सुरक्षित सीमा से अधिक ओज़ोन का स्तर
चर्चा में क्यों?
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPCB) के अनुसार, पिछले 15 दिनों में शहर के कुछ क्षेत्रों में निचले वायुमंडल स्तर का ओज़ोन स्तर सुरक्षित सीमा से अधिक हो गया है।
- मुख्य बिंदु:
- मानेसर सेक्टर 51 और ग्वालपहाड़ी में वायु निगरानी स्टेशनों के डेटा 100 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर (ug/m3) आठ घंटे की ओज़ोन सीमा को पार करने के कई उदाहरणों का संकेत देते हैं।
- विशेषज्ञों ने स्थिति को चिंताजनक बताया है, यह देखते हुए कि निचले वायुमंडल स्तर पर ओज़ोन का अस्तित्त्व नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और सल्फर ऑक्साइड (Sox) जैसे अन्य प्रदूषकों के बढ़े हुए स्तर को इंगित करता है।
- ये प्रदूषक सूर्य की रोशनी के साथ संपर्क करके ओज़ोन का उत्पादन करते हैं, यह घटना मुख्य रूप से दिन के दौरान उन स्थानों पर होती है जहाँ यातायात की भीड़ होती है या जहाँ कई उद्योग सक्रिय होते हैं।
- क्षोभमंडल ओज़ोन एक्सपोज़र से स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न होते हैं तथा अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज़ जैसी चिकित्सा समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
- HSPCB अधिकारियों ने घोषणा की कि उन्होंने स्थानीय अधिकारियों को सड़क की धूल और अपशिष्ट जलाने को कम करने के निर्देश दिये हैं।
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