झारखंड कैमरून में फँसे श्रमिकों की सहायता करेगा | झारखंड | 16 Dec 2024
चर्चा में क्यों?
झारखंड के मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद कैमरून में फँसे झारखंड के 47 प्रवासी श्रमिकों के समूह को उनके वेतन का आंशिक भुगतान प्राप्त हो गया है।
मुख्य बिंदु
- लंबित वेतन और कानूनी गैर-अनुपालन:
- कैमरून में मेसर्स ट्रांसरेल लाइटिंग लिमिटेड द्वारा नियोजित श्रमिकों ने तीन महीने से वेतन का भुगतान न किये जाने का आरोप लगाया।
- झारखंड के मुख्यमंत्री ने श्रम आयुक्त को नियोक्ताओं और बिचौलियों के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करने का निर्देश दिया।
- FIR में अंतर्राज्यीय प्रवासी श्रमिक अधिनियम, 1979 के उल्लंघन का उल्लेख किया गया है, जिसमें पंजीकरण या अपेक्षित लाइसेंस के बिना श्रमिकों को विदेश भेजना भी शामिल है।
- झारखंड के हज़ारीबाग, बोकारो और गिरिडीह ज़िलों में FIR दर्ज की गईं।
- वेतन भुगतान अद्यतन:
- ट्रांसरेल लाइटिंग ने कहा कि श्रमिकों को प्रति माह 100 अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया गया था तथा शेष राशि उनके भारतीय खातों में स्थानांतरित करने का वादा किया गया था।
- श्रम विभाग ने कंपनी से अनुबंध, वेतन रिकॉर्ड और अन्य प्रासंगिक दस्तावेज उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।
- आवश्यक कार्रवाई के लिये प्रवासी संरक्षक (POE) और अन्य प्राधिकारियों को पत्र भेजा गया है।
- कूटनीतिक प्रयास:
- भारतीय उच्चायोग और विदेश मंत्रालय कंपनी और फँसे हुए श्रमिकों के बीच बातचीत को सक्रिय रूप से सुविधाजनक बना रहे हैं।
- नियंत्रण कक्ष की टीमें श्रमिकों और अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये उनके साथ संपर्क बनाए हुए हैं।
- अधिकारियों ने चेतावनी दी कि पूर्ण वेतन का भुगतान न करने पर ठेकेदारों के साथ समझौते रद्द किये जा सकते हैं।
- हस्तक्षेप के पिछले मामले:
- जुलाई 2024 में, मुख्यमंत्री ने कैमरून से 27 फँसे श्रमिकों को वापस लाने के लिये हस्तक्षेप किया।
- मलेशिया में फँसे 50 श्रमिकों को वापस लाने के प्रयास जारी हैं, जो विशाखापत्तनम पहुँच चुके हैं और उनके शीघ्र ही घर लौटने की आशा है।
अंतर-राज्यीय प्रवासी कर्मकार अधिनियम, 1979
- इस अधिनियम का उद्देश्य अंतर-राज्यीय प्रवासियों के रोज़गार और उनकी सेवा की शर्तों को विनियमित करना है।
- यह प्रत्येक ऐसे प्रतिष्ठान पर लागू होता है जो अन्य राज्यों से आए पाँच या अधिक प्रवासी कर्मकारों को नियोजित करता है अथवा यदि उसने पिछले 12 महीनों में किसी भी दिन पाँच या अधिक ऐसे कर्मकारों को नियोजित किया हो।
- यह उन ठेकेदारों पर भी लागू होता है जिन्होंने समान संख्या में अंतर-राज्यीय श्रमिकों को रोज़गार दिया हो।
- इसमें ऐसे प्रतिष्ठानों के पंजीकरण की व्यवस्था की परिकल्पना की गई है। मुख्य नियोक्ता को संबंधित प्राधिकारी से पंजीकरण प्रमाण-पत्र के बिना अंतर्राज्यीय श्रमिकों को नियुक्त करने से प्रतिबंधित किया गया है।
- कानून में यह भी प्रावधान है कि प्रत्येक ठेकेदार जो एक राज्य से दूसरे राज्य में तैनाती के लिये श्रमिकों की भर्ती करता है, उसे ऐसा करने के लिये लाइसेंस प्राप्त करना होगा।