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गया के ब्रह्मयोनि पहाड़ी पर मिला गुड़मार
चर्चा में क्यों?
हाल ही में शोधकर्त्ताओं की एक टीम ने बिहार के गया में ब्रह्मयोनि पहाड़ी पर औषधीय पौधों की एक शृंखला की खोज़ की, जिसमें जिम्नेमा सिल्वेस्ट्रे (आमतौर पर गुड़मार के रूप में जाना जाता है) एक उल्लेखनीय खोज़ है जिसे मधुमेह रोधी जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता है।
मुख्य बिंदु
- वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने पहले ही मधुमेह रोधी दवा BGR-34 विकसित करने में इस औषधीय जड़ी-बूटी का उपयोग किया है।
- गुड़मार में जिम्नेमिक एसिड (Gymnemic Acid) की उपस्थिति के कारण यह रक्त शर्करा के स्तर को कम करने की विशेष क्षमता रखता है। यह आँत की बाहरी परत में रिसेप्टर साइटों पर प्रभाव डालकर कार्य करता है, जिससे मिठास की इच्छा पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
- परिणामस्वरूप आँत कम शर्करा अणुओं को अवशोषित करती है, जिसके कारण रक्त शर्करा का स्तर कम हो जाता है।
- इसके अलावा इस पौधे में फ्लेवोनोइड्स और सैपोनिन्स होते हैं, जो लिपिड चयापचय को विनियमित करने में सहायता करते हैं।
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)
- CSIR भारत में सबसे बड़ा अनुसंधान और विकास (R&D) संगठन है। CSIR अखिल भारतीय स्तर का संगठन है और इसका 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 आउटरीच केंद्रों, 3 नवाचार परिसरों और 5 इकाइयों का एक गतिशील नेटवर्क है।
- स्थापना: सितंबर 1942
- मुख्यालय: नई दिल्ली
- CSIR को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के माध्यम से एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्य करता है।
- CSIR विभिन्न क्षेत्रों को कवर करता है - रेडियो और अंतरिक्ष भौतिकी, समुद्र विज्ञान, भूभौतिकी, रसायन, औषधि, जीनोमिक्स, जैव प्रौद्योगिकी और नैनो प्रौद्योगिकी से लेकर खनन, वैमानिकी, उपकरण, पर्यावरण इंजीनियरिंग और सूचना प्रौद्योगिकी तक।
- यह सामाजिक प्रयासों से संबंधित कई क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण तकनीकी हस्तक्षेप प्रदान करता है जिसमें पर्यावरण, स्वास्थ्य, पेयजल, भोजन, आवास, ऊर्जा तथा कृषि एवं गैर-कृषि क्षेत्र शामिल हैं।
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