जैवविविधता अधिनियम लागू करने हेतु समिति | मध्य प्रदेश | 17 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को जैवविविधता अधिनियम, 2002 को लागू करने के लिये एक समिति गठित करने का आदेश दिया।
मुख्य बिंदु:
- हैदराबाद के एक व्यवसायी द्वारा बाओबाब वृक्षों के स्थानांतरण के खिलाफ आदिवासियों के विरोध प्रदर्शन पर प्रकाशित एक रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लेने के बाद उच्च न्यायालय ने मामले को जनहित याचिका (PIL) के रूप में सुनना शुरू किया।
- रिपोर्ट में वृक्षों की विरासत एवं ऐतिहासिक मूल्य पर प्रकाश डाला गया है, जो अफ्रीका की मूल प्रजाति हैं, लेकिन संभवतः 10वीं और 17वीं शताब्दी के दौरान स्थानीय इस्लामिक साम्राज्यों द्वारा नियुक्त अफ्रीकी सैनिकों द्वारा मध्य प्रदेश के इस कोने में लाए गए थे।
- राज्य सरकार ने बाद में धार के प्रसिद्ध बाओबाब वृक्षों के स्थानांतरण की अनुमति देने की शक्ति वन विभाग से छीन ली और निर्णय लिया कि यह केवल राज्य जैवविविधता बोर्ड द्वारा किया जा सकता है।
जैवविविधता अधिनियम, 2002
यह अधिनियम वर्ष 2002 में अधिनियमित किया गया था, इसका उद्देश्य जैविक संसाधनों का संरक्षण करना, इसके सतत् उपयोग का प्रबंधन करना और स्थानीय समुदायों के साथ जैविक संसाधनों के उपयोग तथा ज्ञान से उत्पन्न होने वाले निष्पक्ष एवं न्यायसंगत लाभों को साझा करना है।
बाओबाब वृक्ष (Baobab Trees)
- वृक्षों के प्रकार: बाओबाब पर्णपाती वृक्ष हैं जिनकी ऊँचाई 5 से 20 मीटर तक होती है।
- पर्णपाती वन एक वनस्पति क्षेत्र है जहाँ मुख्य रूप से चौड़ी पत्ती वाले वृक्ष जो एक मौसम के दौरान अपने सभी पत्ते गिरा देते हैं, पाए जाते हैं।
- क्षेत्र: अफ्रीकी बाओबाब (Adansonia digitata) बाओबाब की नौ प्रजातियों में से एक है और अफ्रीका की मूल प्रजाति है। ये अफ्रीकी सवाना में भी पाए जाते हैं।
- अफ्रीकी सवाना पारिस्थितिकी तंत्र एक उष्णकटिबंधीय घास का मैदान है जहाँ पूरे वर्ष अधिक तापमान बना रहता है और गर्मियों में सबसे अधिक मौसमी वर्षा होती है।
- ट्री ऑफ लाइफ/जीवन वृक्ष: चूँकि अफ्रीकी बाओबाब एक गूदेदार (Succulent) पादप प्रजाति है, जिसका अर्थ है कि वर्षा-ऋतु के दौरान यह वृक्ष अपने विशाल तने में जल को अवशोषित और संग्रहीत करता है तथा शुष्क मौसम में इन वृक्षों पर पोषक तत्त्वों से भरपूर फल लगते हैं।
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