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स्टेट पी.सी.एस.

  • 17 Jan 2024
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उत्तर प्रदेश Switch to English

लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में यूपी अग्रणी

चर्चा में क्यों?

नीति आयोग द्वारा जारी एक पेपर 'भारत में बहुआयामी गरीबी 2005-06' के अनुसार, उत्तर प्रदेश ने पिछले नौ वर्षों में बहुआयामी गरीबी (MDP) से अधिकतम संख्या में लोगों को बाहर निकालने में राज्यों के बीच अपना नेतृत्व बनाए रखा है।

  • संगठन ने बताया कि यूपी में 5.94 करोड़ लोग MDP से निकले हैं।

मुख्य बिंदु:

  • पेपर में, यह बताया गया था कि वर्ष 2015-16 में 37.68% से यूपी में बहुआयामी गरीबों की संख्या वर्ष 2019-21 में घटकर 22.95% हो गई।
  • नीति आयोग के पेपर में कहा गया है कि वर्ष 2022-23 में यह आँकड़ा घटकर 17.40% रह गया है।
    • नीति आयोग ने बहुआयामी गरीबी को मापने के लिये सतत् विकास लक्ष्यों से जुड़े 12 संकेतकों पर विचार किया।
  • ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (OPHI) तथा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने भी पेपर में योगदान दिया।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बहुआयामी गरीबी वर्ष 2013-14 में 29.17% से घटकर वर्ष 2022-23 में 11.28% हो गई और इस अवधि के दौरान 24.82 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए।

नीति आयोग

  • योजना आयोग को 1 जनवरी, 2015 को एक नए संस्थान नीति आयोग द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था, जिसमें 'सहकारी संघवाद' की भावना को प्रतिध्वनित करते हुए अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार की परिकल्पना की परिकल्पना के लिये 'बॉटम-अप' दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया गया था।
  • इसके दो हब हैं:
    • टीम इंडिया हब- राज्यों और केंद्र के बीच इंटरफेस का काम करता है।
    • ज्ञान और नवोन्मेष हब- नीति आयोग के थिंक-टैंक की भाँति कार्य करता है।

ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (OPHI)

  • OPHI ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ऑक्सफोर्ड अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग के अंतर्गत एक आर्थिक अनुसंधान और नीति केंद्र है। इसकी स्थापना वर्ष 2007 में हुई थी।
  • इसका उद्देश्य लोगों के अनुभवों और मूल्यों पर आधारित बहुआयामी गरीबी को कम करने के लिये एक अधिक व्यवस्थित प्रणाली तथा आर्थिक ढाँचे का निर्माण करना एवं उसे आगे बढ़ना है।


झारखंड Switch to English

साइबर अपराधियों से संबंधित खातें फ्रीज़

चर्चा में क्यों?

हाल ही में झारखंड में कथित तौर पर साइबर अपराधियों से संबंधित 8,674 बैंक खातों को इस संदेह में फ्रीज़ कर दिया गया है कि इनका इस्तेमाल फिशिंग गतिविधियों के लिये किया जा रहा था।

  • देवघर ज़िले में सबसे ज़्यादा 2002 खाते फ्रीज़ किये गए, इसके बाद धनबाद में 1,183 और रांची में 959 खाते फ्रीज़ किये गए।

मुख्य बिंदु:

  • फ्रीज़ किये हुए खातों का विवरण भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र से प्राप्त किया गया और ऐसी सूचनाओं की ज़िला तथा बैंकवार सूची तैयार की गई।
  • खातों के सत्यापन के लिये डेटा सभी ज़िलों और बैंकों के पुलिस अधीक्षकों के साथ साझा किया जाएगा।
  • अपराध जाँच विभाग (CID) झारखंड में साइबर अपराधियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चला रहा है।
  • पिछले तीन महीनों में कथित तौर पर साइबर अपराधों में शामिल होने के आरोप में 495 लोगों को गिरफ्तार किया गया और साइबर धोखाधड़ी के लिये 107 लोगों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की गई है।
  • साइबर अपराधों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान 1,164 मोबाइल फोन और 1,725 सिम कार्ड भी ज़ब्त किये गए हैं।
  • देवघर, गिरिडीह, बोकारो, जामताड़ा और रांची समेत विभिन्न ज़िलों में साइबर अपराधियों के खिलाफ लगातार छापेमारी की जा रही है।

साइबर अपराध

  • साइबर अपराध को ऐसे अपराध के रूप में परिभाषित किया जाता है जहाँ कंप्यूटर अपराध का माध्यम होता है या अपराध करने के लिये एक उपकरण के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • इसमें अवैध या अनधिकृत गतिविधियाँ शामिल हैं जो विभिन्न प्रकार के अपराध करने के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाती हैं।
  • प्रकार:
    • डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल-ऑफ-सर्विस (DDoS) अटैक: इसका प्रयोग किसी ऑनलाइन सेवा को अनुपलब्ध बनाने और विभिन्न स्रोतों से वेबसाइट पर अत्यधिक ट्रैफिक के माध्यम से नेटवर्क को बाधित करने के लिये किया जाता है।
    • बॉटनेट: यह कंप्यूटर का एक ऐसा नेटवर्क है जिसे दूर बैठे हैकर्स द्वारा बाह्य रूप से नियंत्रित किया जाता है। रिमोट हैकर्स या तो स्पैम भेजते हैं या इन बॉटनेट के माध्यम से अन्य कंप्यूटरों पर हमला करते हैं।
    • पहचान की चोरी (Identity Theft): यह साइबर अपराध तब होता है जब कोई अपराधी किसी उपयोगकर्त्ता की व्यक्तिगत या गोपनीय जानकारी तक पहुँच प्राप्त कर लेता है, जिसके परिणामस्वरूप वह प्रतिष्ठा धूमिल करने या फिरौती मांगने की कोशिश करता है।
    • साइबर स्टॉकिंग: इस प्रकार के साइबर अपराध में ऑनलाइन उत्पीड़न शामिल होता है जहाँ उपयोगकर्त्ता को ढेर सारे ऑनलाइन संदेशों और ईमेल का सामना करना पड़ता है। सामान्यतः साइबर स्टॉक किसी उपयोगकर्ता को डराने के लिये सोशल मीडिया, वेबसाइट और सर्च इंजन का उपयोग करते हैं।
    • फिशिंग: यह एक प्रकार का सोशल इंजीनियरिंग हमला है जिसका उपयोग अक्सर उपयोगकर्त्ता का डेटा चुराने के लिये किया जाता है, जिसमें लॉगिन क्रेडेंशियल और क्रेडिट कार्ड नंबर शामिल हैं। ऐसा तब होता है जब एक हमलावर एक विश्वसनीय संस्था के रूप में किसी पीड़ित को ईमेल, त्वरित संदेश या टेक्स्ट संदेश के माध्यम से धोखा देता है।

आपराध जाँच विभाग (CID)

  • ब्रिटिश सरकार द्वारा वर्ष 1902 में स्थापित, CID राज्य पुलिस का एक जाँच और खुफिया विभाग है। दूसरी ओर, CBI केंद्र सरकार की एक एजेंसी है।
  • CID संबंधित उच्च न्यायालयों के निर्देशानुसार हत्या, हमले, दंगा या किसी भी मामले की जाँच कर रही है।


हरियाणा Switch to English

पंचकुला में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पंचकुला में एक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की आधारशिला रखी।

मुख्य बिंदु:

  • हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) द्वारा पंचकुला के सेक्टर 32 में 30 एकड़ भूमि पर बनाई जाने वाली इस परियोजना पर 800 करोड़ रुपए से अधिक की लागत आने की उम्मीद है।
  • प्रारंभिक चरण में 500 करोड़ रुपए का व्यय होगा, जिसमें 300 करोड़ रुपए का अतिरिक्त व्यय होने का अनुमान है। पूरी परियोजना 30 महीने के भीतर पूरी होने की उम्मीद है।
  • भविष्य में राज्य में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़कर 29 हो जाएगी और MBBS सीटें 3,500 हो जाएंगी।
    • विशिष्ट डॉक्टरों की आवश्यकता को पूरा करते हुए राज्य में स्नातकोत्तर मेडिकल सीटों की संख्या 851 से बढ़कर 1,200 हो जाएगी।
    • इन मेडिकल कॉलेजों के भीतर पैरा-मेडिकल कॉलेज और फिजियोथेरेपी कॉलेज भी स्थापित किये जाएंगे।
    • राज्य भर में मेडिकल कॉलेज स्थापित किये जा रहे हैं, जैसे- कुरुक्षेत्र में श्री कृष्ण आयुर्वेद विश्वविद्यालय, प्राकृतिक उपचार के लिये पंचकुला में एक आयुष एम्स और कुटैल में कल्पना चावला स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय।

हरियाणा Switch to English

प्रोजेक्ट ई-अधिगम और आईड्रीम एजुकेशन

चर्चा में क्यों?

वर्ष 2022 में, हरियाणा सरकार द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग ने हरियाणा में 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के प्रत्येक सरकारी स्कूल के छात्र को सैमसंग टैबलेट देने वाले प्रोजेक्ट ई-अधिगम को लॉन्च किया गया है।

  • यह उपचारात्मक और पूरक शिक्षण सहायता के लिये एक एकीकृत वैयक्तिकृत अनुकूली शिक्षण (PAL) समाधान प्रदान करता है।

मुख्य बिंदु:

  • इन टैबलेटों पर वैयक्तिकृत अनुकूली शिक्षण मंच के लिये विभाग ने तीन PAL समाधान प्रदाताओं को कार्य सौंपा है।
    • iPrep PAL को छात्रों के लिये वन-स्टॉप, सर्व-समावेशी पूरक शिक्षण मंच बनने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जिसमें एनिमेटेड वीडियो पाठ, दीक्षा (Digital Infrastructure for Knowledge Sharing- DIKSHA) सामग्री, अभ्यास प्रश्न, डिजिटल किताबें और संदर्भ सामग्री, सिमुलेशन के साथ व्यावहारिक तक अनुकूली तथा गतिशील पहुँच शामिल है।
  • ई-अधिगम (अनुकूली मॉड्यूल के साथ सरकार की उन्नत डिजिटल हरियाणा पहल) देश में टैबलेट पर अपनी तरह की पहली नियोजित PAL परियोजना बन गई।
    • शिक्षक के मार्गदर्शन और निगरानी के तहत सभी छात्रों को स्कूल में तथा घर पर सीखने के लिये पहले से स्थापित वैयक्तिकृत अनुकूली शिक्षण अनुप्रयोगों के साथ डिजिटल उपकरण प्रदान किये गए हैं।
    • शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में प्रत्येक छात्र को टैबलेट दिये जाते हैं, वे इसका उपयोग पूरे वर्ष कक्षाओं में सीखने और घर पर रिवीज़न के लिये करते हैं।
    • शैक्षणिक वर्ष के अंत में, टैबलेट को अगली कक्षा में वितरित करने से पहले स्कूल में वापस कर दिया जाता है।
  • प्रत्येक छात्र को टैबलेट का उपयोग करने और उससे सीखने के परिणामों के डेटा को केंद्रीय रिपोर्टिंग डैशबोर्ड के माध्यम से ट्रैक किया जाता है तथा छात्र स्तर के उपयोग एवं सीखने के सुधारों के विस्तृत विश्लेषण के माध्यम से निगरानी की जाती है।
  • टैबलेट पर PAL सरकारी स्कूल के छात्रों को व्यक्तिगत, आनंददायक और गैर-निर्णयात्मक सीखने के माहौल में अपने पिछले वर्ष के सीखने के अंतराल को कवर करने तथा अपने ग्रेड-स्तरीय सीखने के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये सशक्त बनाने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है।

नोट:

  • आईड्रीम एजुकेशन सीखने और विकास तक सार्वभौमिक पहुँच को सुविधाजनक बनाने की दृष्टि से कार्य करता है। ये समाधान सीखने में बाधाओं को कम करने और छात्रों को असीमित रूप से सीखने हेतु सशक्त बनाने के लिये डिज़ाइन किये गए हैं।
  • इसे हासिल करने के लिये, यह स्मार्ट क्लासरूम, ICT लैब्स, टैबलेट, नोटबुक और मोबाइल डिवाइसेस के माध्यम से अपने डिजिटल कंटेंट तथा लर्निंग प्लेटफॉर्म को वितरित करने के लिये स्कूलों एवं छात्रों के साथ कार्य करने वाले सिस्टम इंटीग्रेटर्स, सरकार, CSR, NGO व अन्य पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारों के साथ साझेदारी करता है।

हरियाणा Switch to English

आवारा पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में सहायता पर निर्णय लेने के लिये हरियाणा पैनल

चर्चा में क्यों?

हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल के अनुसार, राज्य सरकार आवारा पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं/घटनाओं से निपटने के लिये महत्त्वपूर्ण कदम उठा रही है।

मुख्य बिंदु:

  • ऐसे मामलों में मुआवज़ा निर्धारित करने के लिये सभी ज़िलों में डिप्टी कमिश्नर की अध्यक्षता में एक समिति की स्थापना की गई है, जिसका निर्णय दावा प्रस्तुत करने के चार माह के भीतर होने की उम्मीद है।
  • समिति में पुलिस अधीक्षक या पुलिस उपाधीक्षक (यातायात), उप-विभागीय मजिस्ट्रेट और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के एक प्रतिनिधि जैसे सदस्य शामिल हैं।
    • यह समिति ऐसे मामलों में मुआवज़ें पर निर्णय लेते समय मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के दिशानिर्देशों और मानकों का पालन करेगी।
    • निर्णय संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव या NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के परियोजना निदेशक को भेजा जाएगा, जिन्हें छह सप्ताह के भीतर दावेदार को मुआवज़ा देना होगा।
  • मुआवज़े के उद्देश्य से आवारा पशुओं में गाय, बैल, कुत्ते, गधे, नीलगाय और भैंस जैसे पशु शामिल होते हैं।
  • चंडीगढ़ उच्च न्यायालय ने मुआवज़ें की राशि निर्दिष्ट की है, जैसे कुत्ते के काटने पर 10,000 रुपए और कुत्ते के काटने से घायल होने पर न्यूनतम 20,000 रुपए।
  • ऐसी दुर्घटनाओं के लिये मुआवज़ा प्रदान करने हेतु 'दीन दयाल अंत्योदय परिवार सुरक्षा योजना' पहले से ही चल रही थी।

दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय परिवार सुरक्षा योजना

  • हरियाणा सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में 'दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय परिवार सुरक्षा योजना' शुरू करने की घोषणा की।
  • इस योजना के तहत परिवार सूचना डेटा रिपॉजिटरी (FIDR) में सत्यापित डेटा के आधार पर, परिवार के 6 वर्ष से अधिक आयु के सदस्य की मृत्यु या स्थायी दिव्यांगता पर साथ ही जिनकी वार्षिक आय 1.80 लाख रुपए से कम हो उन्हें 60 वर्ष की आयु तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
  • यह योजना मृत्यु या स्थायी दिव्यांगता के समय व्यक्ति की उम्र के आधार पर सहायता प्रदान करेगी।

मध्य प्रदेश Switch to English

कुनो राष्ट्रीय उद्यान में चीते की मृत्यु

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में एक और नामीबियाई चीते की मौत हो गई।

  • वर्ष 2022 में दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया से लाए गए चीतों में से यह दसवाँ है जिसकी मृत्यु हुई है।

मुख्य बिंदु:

  • भारत में चीते लगभग 70 वर्षों से विलुप्त हैं। प्रोजेक्ट चीता देश में इस प्रजाति को फिर से लाने की एक पहल है।
  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अनुसार, यह जंगली, बड़ी मांसाहारी प्रजाति का पहला अंतरमहाद्वीपीय पुन प्रवेश है।
  • नामीबिया में एक गैर-लाभकारी संगठन, चीता कंज़रवेशन फंड (CCF) को भारत सरकार द्वारा भारत में चीतों को फिर से लाने के लिये एक कार्यक्रम में भाग लेने हेतु आमंत्रित किया गया था।
  • तत्कालीन पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने सितंबर 2010 में प्रोजेक्ट चीता का पहला अवलोकन साझा किया।
    • इसमें टास्क फोर्स के बारे में जानकारी के साथ-साथ विश्व में चीतों की वर्तमान स्थिति, भारत में चीतों को फिर से लाने के लाभ और जटिलताओं एवं उन क्षेत्रों को रेखांकित किया गया, जहाँ उन्हें फिर से लाया जा सकता है।
    • जनवरी 2020 में, सर्वोच्च न्यायालय ने देश में चीतों को फिर से लाने के पायलट कार्यक्रम को स्वीकृति दे दी।
    • जुलाई 2020 में, भारत और नामीबिया गणराज्य ने एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किये, जहाँ नामीबियाई सरकार कार्यक्रम के लिये आठ चीता को दान करने पर सहमत हुई।
  • चार से छह वर्ष की उम्र के बीच की पाँच मादा और तीन नर दक्षिणपूर्व अफ्रीकी चीतों को भारत लाया गया तथा मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क (KNP) में संगरोध में रखा गया।
  • फरवरी 2023 में, परियोजना का विस्तार करने के लिये दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए। MoEFCC ने आगे "अगले आठ से 10 वर्षों के लिये प्रत्येक वर्ष 12 और चीतों को स्थानांतरित करने" की योजना बनाई है।

चीता कंज़रवेशन फण्ड(CCF)

  • CCF नामीबिया में एक अनुसंधान और लॉबी संस्थान है जो विश्व में सबसे बड़ी एवं स्वस्थ चीता आबादी के अध्ययन तथा भरण-पोषण से संबंधित है।
  • इसका अनुसंधान और शिक्षा केंद्र, ओटजीवारोंगो के पूर्व में स्थित है।
  • CCF की स्थापना वर्ष 1990 में संरक्षण जीवविज्ञानी लॉरी मार्कर द्वारा की गई थी, जिन्होंने नामीबिया में अपने प्रयासों के लिये 2010 टायलर पुरस्कार जीता था।

कुनो राष्ट्रीय उद्यान

  • कुनो राष्ट्रीय उद्यान जो मध्य प्रदेश के श्योपुर ज़िले में स्थित है, नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से स्थानांतरित कई चीतों का आवास स्थान है।
  • भारत में प्रोजेक्ट चीता औपचारिक रूप से 17 सितंबर, 2022 को चीतों की आबादी को बहाल करने के लिये शुरू हुआ, जिन्हें वर्ष 1952 में देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।


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