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खाद्य सुरक्षा और संदूषण पर उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में खाद्य संदूषण और खाद्य उद्योग में असामाजिक गतिविधियों पर बढ़ती चिंताओं को दूर करने के लिये दो अध्यादेशों का प्रस्ताव किया है, जो मानव अपशिष्ट द्वारा संदूषण से संबंधित घटनाओं की एक शृंखला से प्रेरित हैं।
मुख्य बिंदु
- नये खाद्य अध्यादेश :
- छद्म और सद्भाव विरोधी गतिविधियों की रोकथाम और थूकना निषेध अध्यादेश 2024।
- उत्तर प्रदेश खाद्य संदूषण निवारण (उपभोक्ता को जानने का अधिकार) अध्यादेश 2024।
- ये अध्यादेश थूकने या मानव अपशिष्ट को खाद्य पदार्थ में मिलाने से होने वाले संदूषण को संज्ञेय एवं गैर-जमानती अपराध बनाने के लिये बनाए गए हैं।
- "असामाजिक तत्त्वों" और "अवैध नागरिकों" से निपटने के लिये अध्यादेश:
- अध्यादेशों में उन खाद्य प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के प्रावधान शामिल होंगे, जिनके "अवैध विदेशी नागरिक" होने की पुष्टि हो गई है।
- इस कदम का उद्देश्य ऐसे व्यक्तियों को बाहर निकालना है जो खाद्य पदार्थों को दूषित करने या अन्य असामाजिक गतिविधियों में संलग्न होने के लिये अपनी पहचान छिपाते हैं।
- खाद्य प्रतिष्ठानों पर नाम और पहचान प्रदर्शित करना अनिवार्य:
- पारदर्शिता को बढ़ावा देने हेतु सरकार ने सभी खाद्य प्रतिष्ठानों के लिये मालिकों और प्रबंधकों के नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया है।
- इसके अतिरिक्त, खाद्य प्रतिष्ठानों में कार्यरत सभी कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान पहचान-पत्र पहनना होगा।
- इस उपाय का उद्देश्य जवाबदेही सुनिश्चित करना और व्यक्तियों को अपनी पहचान छिपाने से रोकना है।
- CCTV कैमरे लगाना अनिवार्य :
- सभी भोजनालयों और खाद्य प्रतिष्ठानों को अपने रसोईघरों और भोजन क्षेत्रों में CCTV कैमरे लगाना अनिवार्य होगा।
- फुटेज़ को कम से कम एक महीने तक रखा जाना चाहिये तथा आवश्यकता पड़ने पर ज़िला प्राधिकारियों को उपलब्ध कराया जाना चाहिये।
- इससे संदूषण को रोकने के लिये भोजन की तैयारी और सेवा की निगरानी करने में सहायता मिलेगी।
- उपभोक्ताओं के लिये सूचना का अधिकार :
- प्रत्येक उपभोक्ता को अपने द्वारा उपभोग किये जाने वाले भोजन तथा उसे तैयार करने वाले प्रतिष्ठान के बारे में आवश्यक जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होगा।
- अध्यादेश यह सुनिश्चित करते हैं कि विक्रेता स्पष्ट साइनबोर्ड प्रदर्शित करें तथा गलत नाम या छद्मनाम का प्रयोग न करें तथा किसी भी उल्लंघन के लिये उन्हें उत्तरदायी ठहराया जाए।
- अध्यादेश के लिये कानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया:
- विधायी उपकरण के रूप में अध्यादेश:
- अध्यादेश एक अस्थायी कानून है जिसे कार्यपालिका ( राज्य स्तर पर राज्यपाल) द्वारा तब लागू किया जाता है जब विधायिका सत्र में नहीं होती है।
- यह राज्यों के लिये भारतीय संविधान के अनुच्छेद 213 के तहत जारी किया जाता है , जो राज्यपाल को आपातकालीन स्थितियों में अध्यादेश जारी करने का अधिकार देता है।
- विधायी उपकरण के रूप में अध्यादेश:
- अनुमोदन और निरंतरता:
- एक बार अध्यादेश जारी हो जाने के बाद, उसे राज्य विधानमंडल के पुनः अधिवेशन में प्रस्तुत किया जाना चाहिये।
- यदि अगले सत्र के प्रारंभ से छह सप्ताह के भीतर राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा इसे अनुमोदित नहीं किया जाता है तो अध्यादेश का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
- संवैधानिक सुरक्षा उपाय:
- अध्यादेश को अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत तर्कसंगतता और सार्वजनिक हित के सिद्धांतों का पालन करना होगा ।
- यदि किसी अध्यादेश को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला या कार्यपालिका के संवैधानिक अधिकारों के दायरे से बाहर पाया जाता है, तो न्यायिक समीक्षा की प्रक्रिया उपलब्ध है।
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