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राष्ट्रीय अमृता हाट का उद्घाटन
चर्चा में क्यों?
15 अक्तूबर, 2021 को महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ममता भूपेश ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा हस्तनिर्मित उत्पादों की बिक्री के लिये बाज़ार उपलब्ध कराने हेतु जयपुर में जवाहर कला केंद्र के शिल्पग्राम में ‘राष्ट्रीय अमृता हाट’ का उद्घाटन किया तथा संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की ओर से तैयार किये गए जागरूकता रथों को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
प्रमुख बिंदु
- महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि अमृता हाट से इन महिलाओं की मेहनत और हुनर को बढ़ावा मिलेगा तथा इन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी।
- उन्होंने कहा कि त्योहारी मौसम में यहाँ से घरेलू आवश्यकताओं के सामान एवं हस्तनिर्मित सज़ावटी और कलात्मक व गुणवत्तापूर्ण सामान की खरीदारी की जा सकती है।
- अमृता हाट में कशीदाकारी, लाख की चूड़ियाँ, पेपरमेशी आइटम, सलवार-सूट, टेराकोटा, कश्मीरी ऊनी शॉल, आर्टिफिशियल ज्वैलरी, चिकन एवं ज्वैलरी वर्क, काँच एवं पेच वर्क, सभी प्रकार के आचार, मुरब्बा, मसाले एवं अन्य हस्तनिर्मित आकर्षक उत्पाद ग्राहकों को वाज़िब दाम में उपलब्ध हैं।
- उल्लेखनीय है कि जयपुरवासियों के लिये एक ही जगह विभिन्न स्थानों के हस्तनिर्मित उत्पादों की प्रदर्शनी एवं बिक्री के उद्देश्य से शिल्पग्राम में राष्ट्रीय अमृता हाट का आयोजन 15 से 24 अक्तूबर, 2021 तक किया जा रहा है।
- इस हाट में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 140 स्टॉल लगाए गए हैं। मेले में आगंतुकों का प्रवेश नि:शुल्क है। मेला परिसर में आगंतुकों के लिये अनेक लजीज व्यंजन भी बिक्री हेतु उपलब्ध हैं।
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राजस्व दिवस
चर्चा में क्यों?
15 अक्तूबर, 2021 को राजस्थान राजस्व विभाग द्वारा राजस्व मंत्री हरीश चौधरी की अध्यक्षता में राजस्व दिवस मनाया गया।
प्रमुख बिंदु
- राजस्व दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य करने वाले राजस्व विभाग के जयपुर ज़िले के कार्मिकों- किशनगढ़ रेनवाल तहसीलदार सुमन चौधरी, सांगानेर नायब तहसीलदार नीरु सिंह, भू-अभिलेख निरीक्षक गोपाल सिंह और पटवारी राजेंद्र सिंह गुर्जर को सम्मानित किया गया।
- उल्लेखनीय है कि राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने राजस्थान विधानसभा में 28 फरवरी, 2020 को राजस्व विभाग की बजट अनुदान मांगों पर अपने भाषण के दौरान राज्य में 15 अक्तूबर को राजस्व दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
- गौरतलब है कि 15 अक्तूबर, 1955 को राजस्थान काश्तकारी अधिनियम लागू हुआ था, जिससे काश्तकारों को खातेदारी अधिकार संभव हुए थे।
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