हरियाणा Switch to English
हरियाणा के दो स्थल अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि की रामसर सूची में
चर्चा में क्यों?
14 अगस्त, 2021 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, रामसर कन्वेंशन के तहत हरियाणा में दो स्थलों भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य तथा सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान को अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता दी गई है।
प्रमुख बिंदु
- हरियाणा के इन दो स्थलों के साथ ही गुजरात के 2 स्थलों- थोल झील वन्यजीव अभयारण्य और वधवाना को भी आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता दी गई है, जिससे देश में ऐसे स्थलों की संख्या अब 46 हो गई है।
- ऐसा पहली बार है कि जब हरियाणा से दो स्थलों- गुरुग्राम के सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान और झज्जर से भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य को रामसर सूची में डाला गया है।
- भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य मानवनिर्मित मीठे पानी की आर्द्रभूमि है। यह हरियाणा में सबसे बड़ी आर्द्रभूमि है। वर्ष भर पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियाँ इस अभयारण्य का उपयोग विश्रामस्थल के रूप में करती हैं। यह स्थल मिस्र के गिद्ध, स्टेपी ईगल, पलास की फिश ईगल और ब्लैक-बेलिड टर्न सहित विश्व स्तर पर 10 से अधिक विलुप्तप्राय प्रजातियों के उपयुक्त है।
- सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान उसके मूल पक्षियों, शीतकालीन प्रवासियों और स्थानीय प्रवासी जलपक्षियों की 220 से अधिक प्रजातियों के लिये उनके जीवन चक्र के महत्त्वपूर्ण चरणों में अनुकूल है। इनमें से 10 से अधिक प्रजातियाँ वैश्विक स्तर पर विलुप्तप्राय श्रेणी में आती हैं।
- गौरतलब है कि रामसर संधि आर्द्रभूमि के संरक्षण और सतत् उपयोग के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है। इसका नाम कैस्पियन सागर पर स्थित ईरानी शहर रामसर के नाम पर रखा गया है, जहाँ 2 फरवरी, 1971 को संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- रामसर सूची का उद्देश्य ‘आर्द्रभूमि के एक अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क को विकसित करना और बनाए रखना है, जो वैश्विक जैविक विविधता के संरक्षण के लिये और उनके पारिस्थितिक तंत्र घटकों, प्रक्रियाओं और लाभों के रखरखाव के माध्यम से मानव जीवन को बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण है’।
Switch to English