झारखंड Switch to English
झारखंड में नक्सल विरोधी अभियान का अंतिम चरण
चर्चा में क्यों?
झारखंड के मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य में वामपंथी उग्रवाद (LWE) के खिलाफ लड़ाई अब अपने अंतिम चरण में है, जो आतंकवाद विरोधी अभियानों में महत्त्वपूर्ण प्रगति का संकेत है।
- उनकी यह टिप्पणी पश्चिमी सिंहभूम में हुए एक इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) विस्फोट के बाद आई है, जिसमें झारखंड जगुआर के एक जवान की मौत हो गई थी।
- नोट: झारखंड जगुआर की स्थापना वर्ष 2008 में राज्य में वामपंथी उग्रवाद को खत्म करने के लिये की गई थी।
मुख्य बिंदु
नक्सलवाद को नियंत्रित करने के लिये सरकार की कुछ पहल:
- विशेष केंद्रीय सहायता (SCA):
- इस योजना को वर्ष 2017 में मंजूरी दी गई थी और इसे व्यापक योजना 'पुलिस बलों के आधुनिकीकरण' की उप-योजना के रूप में कार्यान्वित किया जा रहा है।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित अधिकांश ज़िलों में सार्वजनिक अवसंरचना और सेवाओं में महत्त्वपूर्ण अंतराल को भरना है।
- सुरक्षा संबंधी व्यय (SRE) योजना:
- केंद्र सरकार लातेहार और पश्चिमी सिंहभूम जैसे प्रभावित ज़िलों में सुरक्षा अभियान, प्रशिक्षण, अनुग्रह भुगतान और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास से संबंधित लागतों की प्रतिपूर्ति करती है।
- किलेबंद पुलिस स्टेशनों का निर्माण:
- स्थानीय कानून प्रवर्तन को मज़बूत करने के एक हिस्से के रूप में, विशेष अवसंरचना योजना के तहत झारखंड के संवेदनशील ज़िलों में कई किलेबंद पुलिस स्टेशनों का निर्माण किया गया है।
वामपंथी उग्रवाद द्वारा की गई हिंसा का राज्यवार विवरण (दर्ज मौतों की संख्या) (पिछले 3 वर्ष):
इंप्रोवाइज्ड विस्फोटक उपकरण
- इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) एक स्वदेशी बम है, जिसे लक्ष्यों को नष्ट करने या अक्षम करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जिसका उपयोग आमतौर पर अपराधियों, आतंकवादियों और विद्रोहियों द्वारा विभिन्न रूपों में किया जाता है।
- IED को कई तरीकों से पहुँचाया जा सकता है, जिसमें वाहनों द्वारा, व्यक्तियों द्वारा रखा जाना या सड़क के किनारे छिपाया जाना शामिल है तथा वर्ष 2003 में शुरू हुए इराक युद्ध के दौरान इसे प्रमुखता मिली।