उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड वन पंचायत संशोधन नियमावली को स्वीकृति दी
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में वन पंचायतों को मज़बूत और आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास में, उत्तराखंड सरकार ने एक कैबिनेट बैठक के दौरान वन पंचायत संशोधन नियमावली को स्वीकृति दे दी, जिसके तहत ब्रिटिश काल के 'वन पंचायत के अधिनियमों' में संशोधन किया गया है।
मुख्य बिंदु:
- नए नियमों के अनुसार नौ सदस्यीय वन पंचायत बनाई जाएगी, जिसे जड़ी-बूटी उत्पादन, वृक्षारोपण, जल संचयन, वनाग्नि रोकथाम, इको-पर्यटन में भाग लेने का अधिकार होगा।
- पहली बार वन पंचायत के वन प्रबंधन से त्रिस्तरीय स्थानीय निकायों को भी जोड़ा गया है।
- वन पंचायत की अवधारणा - कानूनी रूप से सीमांकित ग्राम वन, जिनका प्रबंधन और उनके प्राकृतिक संसाधनों को ग्राम समुदायों द्वारा साझा किया जाता है, वर्ष 1921 में शुरू की गई।
- उत्तराखंड भारत का एकमात्र राज्य है जहाँ वन पंचायत प्रणाली लागू है।
- यह एक ऐतिहासिक सामुदायिक वन प्रबंधन संगठन है जो वर्ष 1930 से संचालित हो रहा है।
- वर्तमान में राज्य में 11,217 वन पंचायतें हैं जिनमें 4.52 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र है।
- कैबिनेट ने शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने और पुरानी डीज़ल ईंधन वाली बसों और थ्री व्हीलर टेम्पो से होने वाले प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से 'उत्तराखंड क्लीन मोबिलिटी ट्रांसफॉर्मेशन पॉलिसी' को स्वीकृति दे दी।
- यह नीति सबसे पहले देहरादून में लागू की जाएगी और उसके बाद अन्य ज़िलों में विस्तारित की जाएगी।
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उत्तराखंड ने गोपेश्वर में विकास योजनाएँ शुरू कीं
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने 229.3 करोड़ रुपए की विभिन्न विकास योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।
मुख्य बिंदु:
- जनपद चमोली के पुलिस मैदान गोपेश्वर में आयोजित 'लाभार्थी सम्मान समारोह' में विकास योजनाओं का शुभारंभ किया गया।
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ज़िले के विकास के लिये कई घोषणाएँ भी कीं, जिनमें शामिल हैं:
- हापला-धोतीधार मोटर मार्ग का निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण करने हेतु
- बैतरनी-सिरखोमा-सेंटुना-बैरागना मोटर मार्ग के किलोमीटर एक से दशोली ब्लॉक में गोपेश्वर मंदिर मार्ग से सेतुना तक मोटर मार्ग निर्माण हेतु शासन एवं वित्तीय स्वीकृति,
- कर्णप्रयाग में लामबगड़ के अंतर्गत गंगानगर माई मंदिर से भैरव टोक तक रामगंगा नदी पर हैंगिंग ब्रिज का निर्माण,
- थराली विधानसभा में चार विकास खंडों में गौ-संरक्षण सेवा की स्थापना एवं जनहित में थराली कुलसारी में उत्कृष्टता केंद्र की स्वीकृति।
- मुख्यमंत्री ने अटल आवास योजना के तहत निर्मित आवासों के लाभार्थियों को चाबियाँ भी सौंपी।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत नीलम देवी को दूसरी किस्त के तहत 60 हज़ार का चेक दिया गया।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत संगीता देवी एवं गुड्डी देवी को आवास की चाबी दी गयी।
- मुख्यमंत्री स्वरोज़गार योजना के तहत राजेश्वरी देवी एवं नरेंद्र सिंह को 50-50 हज़ार रुपए की सहयोग राशि के चेक दिये गए।
- महिला सशक्तीकरण के तहत मंदोदरी देवी को महालक्ष्मी किट दी गई।
- उल्लेखनीय कार्य के लिये युवक मंगल दल बूरा को 75,000 रुपए तथा महिला मंगल दल अला जोखना को 37,500 रुपए की प्रोत्साहन राशि के चेक दिये गए।
- देवभूमि मत्स्य जीवी सहकारिता समिति को 20 लाख रुपए का चेक दिया गया।
मध्य प्रदेश Switch to English
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने PMJVK योजना के तहत परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMJVK) योजना के तहत देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV), इंदौर परिसर में जैन अध्ययन केंद्र की स्थापना के लिये 25 करोड़ रुपए की कुल अनुमानित लागत वाली परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है।
मुख्य बिंदु:
इन परियोजनाओं को जैन दर्शन के विकास से संबंधित ढाँचागत विकास को मज़बूत करने, अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने, अंतःविषय अनुसंधान को बढ़ावा देने, पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण के माध्यम से भाषा के संरक्षण, हब स्थापना के माध्यम से सामुदायिक आउटरीच को मंज़ूरी दी गई थी।
- विश्वविद्यालय द्वारा परियोजना जैन विरासत के संरक्षण, प्रचार, जैन धर्म तथा उसके सिद्धांतों एवं प्रथाओं की वैश्विक समझ को बढ़ाने और सामुदायिक जुड़ाव के लिये समर्थन विकसित करने हेतु शुरू की जाएगी।
प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMJVK योजना)
- केंद्र सरकार ने बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (MsDP) का नाम बदलकर प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMJVK) कर दिया है।
- कार्यक्रम का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के लिये स्कूल, कॉलेज, पॉलिटेक्निक, गर्ल्स हॉस्टल, ITI, कौशल विकास केंद्र आदि जैसी सामाजिक-आर्थिक और बुनियादी सुविधाएँ विकसित करना है।
जैन धर्म
- यह छठी शताब्दी ईसा पूर्व में प्रमुखता से उभरा, जब भगवान महावीर ने इस धर्म का प्रचार किया।
- 24 महान शिक्षक थे, जिनमें से अंतिम भगवान महावीर थे।
- इन चौबीस शिक्षकों को तीर्थंकर कहा जाता था। जिन्होंने जीवित रहते हुए सभी ज्ञान (मोक्ष) प्राप्त किया था और लोगों को इसका उपदेश दिया था।
- प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ थे।
जैन साहित्य
- जैन साहित्य को दो प्रमुख श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
- आगम साहित्य: भगवान महावीर के उपदेशों को उनके अनुयायियों द्वारा कई ग्रंथों में व्यवस्थित रूप से संकलित किया गया। इन ग्रंथों को सामूहिक रूप से जैन धर्म के पवित्र ग्रंथ आगम के रूप में जाना जाता है। आगम साहित्य भी दो समूहों में विभाजित है: अंग-आगम और अंग-बह्य-आगम।
- गैर-आगम साहित्य: इसमें आगम साहित्य और स्वतंत्र कार्यों की व्याख्या शामिल है, जो बड़े भिक्षुओं, ननों तथा विद्वानों द्वारा संकलित है।
- वे प्राकृत, संस्कृत, पुरानी मराठी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, तमिल, जर्मन और अंग्रेज़ी आदि कई भाषाओं में लिखी गई हैं।
राजस्थान Switch to English
केंद्र ने राजस्थान में सड़क विकास के लिये 972 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राजस्थान में सड़कों को चौड़ा करने के लिये 972.80 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी।
मुख्य बिंदु:
- यह राशि 31 प्रमुख ज़िला सड़कों और राज्य राजमार्गों के चौड़ीकरण तथा सुदृढ़ीकरण कार्य के लिये स्वीकृत की गई है।
- केंद्रीय सड़क और बुनियादी ढाँचा कोष (CRIF) सेतु बंधन योजना के तहत विभिन्न ज़िलों में 7 रोड ओवर ब्रिज/रोड अंडर ब्रिज/फ्लाईओवर के निर्माण कार्य के लिये 384.56 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गये हैं।
सेतु बंधन योजना
- "सेतु बंधन योजना" सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया एक कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य राज्य की सड़कों पर रेल ओवर ब्रिज (ROBs), रेल अंडर ब्रिज (RUBs) तथा अन्य पुलों के निर्माण कार्य को सुविधाजनक बनाना है।
- यह कार्यक्रम मौजूदा क्राॅसिंग/समपारों के स्थान पर पुलों का निर्माण कर सड़क सुरक्षा में वृद्धि करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जिससे अंततः इन स्थानों पर दुर्घटनाओं में कमी आएगी।
केंद्रीय सड़क और बुनियादी ढाँचा कोष (CRIF)
- केंद्रीय सड़क और बुनियादी ढाँचा कोष (जिसे पहले सेंट्रल रोड फंड के नाम से जाना जाता था) की स्थापना वर्ष 2000 में केंद्रीय सड़क कोष अधिनियम, 2000 के तहत की गई थी।
- इस फंड में पेट्रोल और डीज़ल पर उत्पाद शुल्क के साथ लगाया गया उपकर शामिल है।
- CRIF वित्त मंत्रालय के नियंत्रण के अधीन है।
- पहले यह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधीन था।
बिहार Switch to English
बिहार में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया गया
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (NBPDCL) मुज़फ्फरपुर और मोतिहारी सर्कल में सबसे तेज़ 10 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर (SPM) की स्थापना एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
- मुख्य बिंदु:
- मुज़फ्फरपुर और मोतिहारी दोनों सर्किलों में 10 लाख SPM 14 महीनों में स्थापित किये गए।
- NBPDCL ने मुज़फ्फरपुर शहरी-2 डिवीज़न के पहले ग्रामीण डिवीज़न को संतृप्त करने की उपलब्धि भी हासिल की।
- इसका अर्थ है कि मुज़फ्फरपुर शहरी-2 डिवीज़न के 100% घर SPM द्वारा शामिल किये गए हैं।
प्रीपेड स्मार्ट मीटर
- ये आधुनिक ऊर्जा मीटर हैं जिनका उपयोग वास्तविक समय में विद्युत की खपत को रिकॉर्ड करने के लिये किया जाता है।
- चूँकि वे इंटरनेट से जुड़े हैं, उपयोगकर्त्ता और उपयोगिताएँ आसानी से विद्युत के उपयोग को ट्रैक और मॉनिटर कर सकते हैं तथा सटीक बिल प्राप्त कर सकते हैं।
- उनकी दूरस्थ मीटर रीडिंग क्षमताएँ मैन्युअल निरीक्षण की आवश्यकता को पूरी तरह से खत्म कर देती हैं, जिससे वे अत्यधिक कुशल और सुविधाजनक बन जाते हैं।
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