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स्टेट पी.सी.एस.

  • 15 Sep 2021
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उत्तर प्रदेश Switch to English

कोरोना की स्वदेशी दवा ‘उमीफेनोविर’

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ द्वारा कोविड-19 की स्वदेशी दवा ‘उमीफेनोविर’ बनाने का दावा किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • दरअसल सीडीआरआई द्वारा किये गए उमीफेनोविर के तीसरे चरण का ट्रायल सफल रहने के बाद यह दावा किया जा रहा है कि यह दवा कोरोना के हल्के व लक्षणरहित रोगियों के इलाज में बहुत प्रभावी है। साथ ही, उच्च जोखिम वाले रोगियों के लिये रोगनिरोधी के रूप में उपयोगी है। यह पाँच दिन में वायरस लोड खत्म कर देती है।
  • उमीफेनोविर सार्स कोव-2 वायरस के सेल कल्चर को बेहद प्रभावी तरीके से नष्ट करती है एवं मानव कोशिकाओं में इस वायरस के प्रवेश को रोकती है।
  • उमीफेनोविर एक व्यापक स्पेक्ट्रम एंटीवायरस दवा है, जिसका रूस, चीन सहित अन्य देशों में कई वर्षों से एन्फ्लुएंजा और निमोनिया के लिये एक सुरक्षित दवा के रूप में उपयोग किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश Switch to English

अलीगढ़ में विश्वविद्यालय का शिलान्यास

चर्चा में क्यों?

14 सितंबर, 2021 को अलीगढ़ के मूसेपुर गाँव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया गया एवं डिफेंस इंडस्ट्रियल के अलीगढ़ नोड की प्रगति का अवलोकन किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • यह विश्वविद्यालय आधुनिक शिक्षा तथा डिफेंस मैन्युपैक्चरिंग से जुड़ी टेक्नोलॉजी व मैनपॉवर के विकास का बड़ा केंद्र बनेगा।
  • उल्लेखनीय है कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जिन्होंने वर्ष 1915 में काबुल में भारत की पहली अंतरिम सरकार का गठन किया था। इस सरकार में राष्ट्रपति स्वयं राजा महेंद्र प्रताप तथा प्रधानमंत्री बरकतुल्ला थे।
  • इसके अलावा 1000 एकड़ में खैर रोड पर अंडाला में डिफेंस कॉरिडोर विकसित किया जाएगा, जिसके विकास की ज़िम्मेदारी यूपीडा को दी गई है।
  • उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के अलीगढ़ नोड में छोटे हथियार, ड्रोन, एयरोस्पेस, मेटल कंपोनेंट, डिफेंस पैकेजिंग के लिये नए उद्योग लगाए जा रहे हैं, इससे अलीगढ़ और आसपास के क्षेत्र की नई पहचान स्थापित होगी।
  • उत्तर प्रदेश रक्षा गलियारा के तहत राज्य के 6 शहरों में रक्षा गलियारा विकसित करने की योजना है। ये छह शहर हैं- लखनऊ, कानपुर, आगरा, अलीगढ़, चित्रकूट एवं झाँसी

बिहार Switch to English

175 टन भार उठाने वाली क्रेन

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में बिहार के जमालपुर रेल कारखाना के इंजीनियर एवं तकनीशियन द्वारा 175 टन भार उठाने वाली क्रेन की डिजाइन एवं लागत संबंधी रिपोर्ट रेलवे बोर्ड एवं रेल मंत्रालय को सौंपी गई है।

प्रमुख बिंदु

  • जमालपुर रेल कारखाना, एशिया का पहला रेल कारखाना है। इसके द्वारा 140 टन भार उठाने वाली क्रेन का निर्माण किया जा रहा है, जिसकी विशेषता यह है कि ये 90º पर काम कर सकती है।
  • जमालपुर से पहले महाराष्ट्र के परेल कारखाने में भी ऐसी क्रेन बनाने की कोशिश की गई थी, किंतु उसमें सफलता प्राप्त नहीं हुई।
  • अभी तक सिर्फ चीन और जर्मनी में ही 175 टन भार उठाने वाली क्रेन का निर्माण किया जा रहा है।

राजस्थान Switch to English

इंटरनेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

चर्चा में क्यों?

14 सितंबर, 2021 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आयुर्वेद विश्वविद्यालय में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस लैब तथा विभिन्न विशेषज्ञ सेवाओं एवं सुविधाओं आदि के लिये 49.71 करोड़ रुपए से अधिक की राशि के प्रस्तावों को स्वीकृति दी।

प्रमुख बिंदु

  • राजस्थान में वेलनेस टूरिज़्म और आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिये जोधपुर स्थित डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय में सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।
  • प्रस्ताव के अनुसार, आयुर्वेद विश्वविद्यालय में 43.81 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से ‘इंटरनेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन पंचकर्म’ स्थापित किया जाएगा।
  • विश्वविद्यालय में एक ‘इंटरनेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन पंचकर्म’ और एक ‘ड्रग टेस्टिंग लैब’ की स्थापना के साथ-साथ रसायन शाला का विस्तार किया जाएगा।
  • उल्लेखनीय है कि राज्य के बजट वर्ष 2021-22 में विश्वविद्यालय में इनकी स्थापना और सुविधाओं के विस्तार के लिये घोषणा की गई थी।
  • वेलनेस पर्यटन को बढ़ावा देने के दृष्टिगत प्राकृतिक वातावरण में ठहरने के लिये इस सेंटर में 100 बेड की सुविधा उपलब्ध होगी। इस क्रम में 9 सुपर डीलक्स हट तथा 44 डीलक्स हट सहित कुल 53 हट्स और 47 कॉटेज के साथ-साथ पंचकर्म थैरेपी के लिये हट्स निर्मित की जाएंगी।
  • वेलनेस सेंटर में एक कृत्रिम झील और प्रशासनिक भवन का निर्माण कराया जाएगा। इस सेंटर का संचालन पंचकर्म चिकित्सा के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त विश्वस्तरीय कंपनियों और संस्थानों द्वारा पीपीपी मोड पर होगा। विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा इस सेंटर के लिये तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा।
  • आयुर्वेद विश्वविद्यालय में ड्रग टेस्टिंग लैब के लिये लगभग 1 करोड़ रुपए की लागत से निर्माण कार्य कराए जाएँगे तथा 60 लाख रुपए की लागत से आवश्यक फर्नीचर एवं फिक्सर स्थापित होंगे।
  • विभिन्न उपकरणों की खरीद पर 3.50 करोड़ रुपए के व्यय के साथ लैब की कुल निर्माण लागत लगभग 5.10 करोड़ रुपए है। इस लैब के लिये सेवा प्रदाता एजेंसी के माध्यम से संविदा के आधार पर विभिन्न कार्मिकों की सेवाएँ ली जाएँगी।

मध्य प्रदेश Switch to English

राष्ट्रीय कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर कीरतपुर

चर्चा में क्यों?

14 सितंबर, 2021 को अपर मुख्य सचिव जे.एन. कंसोटिया ने बताया कि उत्तर भारत के लिये मध्य प्रदेश के होशंगाबाद ज़िले के पशु प्रजनन प्रक्षेत्र, कीरतपुर (इटारसी) में नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर की स्थापना का कार्य पूर्ण हो गया है।

प्रमुख बिंदु

  • इस केंद्र का उद्देश्य भारतीय गो-भैंस वंशीय नस्लों का संरक्षण एवं संवर्धन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि, आनुवंशिक गुणवत्ता का उन्नयन, प्रमाणित जर्मप्लाज्म का प्रदाय और देशी नस्लों को विलुप्ति से बचाना है।
  • उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा देश में दो नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर (एनकेबीसी) की स्थापना की स्वीकृति दी गई है। उत्तर भारत में मध्य प्रदेश के कीरतपुर में और दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश के नेल्लोर ज़िले में एनकेबीसी की स्थापना की जा रही है।
  • प्रथम चरण में गायों की 13 नस्लें- साहीवाल, गिर, कांकरेज, रेड सिंधी, राठी, थारपारकर, मालवी, निमाड़ी, केनकथा, खिलारी, हरियाणवी, गंगातीरी एवं गावलाव और भैंस की चार नस्लें- नीली राबी, जाफराबादी, भदावरी तथा मुर्रा संधारित की जानी हैं। 
  • वर्तमान में कीरतपुर केंद्र पर गायों की गिर, साहीवाल, थारपरकर, निमाड़ी, मालवी, कांकरेज, रेड सिंधी, राठी एवं खिलारी नस्ल की 195 और भैंस की मुर्रा, नीली राबी, भदावरी और जाफराबादी नस्ल की 107 सहित हरियाणा, राठी, कांकरेज, निमाड़ी, मालवी, केनकथा और जाफराबादी नस्लों के 9 सांड उपलब्ध हैं।
  • राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के प्रबंध संचालक एच.बी.एस. भदौरिया ने बताया कि ब्रीडिंग सेंटर केंद्र सरकार की शत-प्रतिशत 25 करोड़ रुपए की सहायता से 270 एकड़ क्षेत्र में स्थापित किया जा रहा है।

हरियाणा Switch to English

ऑनलाइन तबादला नीति पार्ट-2

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हरियाणा सरकार ने आउटसोर्स़िग नीति पार्ट-2 के तहत लगे अनुबंध कर्मचारियों पर भी ऑनलाइन तबादला नीति लागू कर दी है।

प्रमुख बिंदु

  • हरियाणा सरकार की ओर से कर्मचारियों के तबादलों में पारदर्शिता और एकरूपता लाने के उद्देश्य से इस नीति के तहत लगे कर्मचारियों पर ऑनलाइन तबादला नीति लागू कर दी गई है।
  • सरकार का फैसला विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्ड, निगमों में एक ही कैडर पदों पर अनुबंध के तहत नियुक्त 80 या इससे अधिक कर्मचारियों पर प्रभावी होगा। 
  • मुख्य सचिव की तरफ से सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, बोर्ड-निगमों के प्रबंध निदेशकों, मुख्य प्रशासकों, सभी मंडलायुक्तों और डीसी को आदेश जारी कर दिया है।
  • ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी के अंतर्गत राज्य में एक कैडर के 80 या अधिक संख्या वाले कर्मचारियों को शामिल किया जाएगा, अर्थात्कुल मिलाकर लगभग 15 हज़ार कर्मचारी इसके दायरे में आएँगे।

झारखंड Switch to English

गिरिडीह ज़िले को सोलर सिटी बनाने का प्लान

चर्चा में क्यों?

14 सितंबर, 2021 को झारखंड कैबिनेट द्वारा 17 प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई, जिसमें गिरिडीह में सोलर सिटी बनाने के अतिरिक्त खनन इलाकों में सड़क पर चलने वाले वाहनों पर टोल टैक्स लगाने जैसे महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव स्वीकृत किये गए।

प्रमुख बिंदु

  • गिरिडीह ज़िला पारसनाथ पर्यटन स्थल होने के कारण झारखंड में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
  • झारखंड के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने गिरिडीह का सोलर सिटी के रूप में चयन करते हुए 80.75 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की है।
  • इस परियोजना में केंद्र व राज्यों का हिस्सा क्रमश: 40 व 60 प्रतिशत होगा।
  • राज्य के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय को 3.75 करोड़ रुपए अनुदान की स्वीकृति दी गई है।
  • इसके तहत 3 लाख रुपए तक वार्षिक आय वाले परिवारों को 100 प्रतिशत सब्सिडी देने का प्रावधान है।
  • रांची, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो एवं देवघर का चयन दूसरे चरण में सोलर सिटी के रूप में विकसित करने के लिये हुआ है।

झारखंड Switch to English

22 ज़िलों के पुलिस थानों में ई-एफआईआर को कैबिनेट की मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

14 सितंबर, 2021 को राज्य कैबिनेट समन्वय विभाग की सचिव वंदना दादेल ने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने 22 ज़िलों में ई-एफआईआर पुलिस स्टेशन स्थापित करने को मंज़ूरी दे दी है, इससे लोग थानों का दौरा किये बिना एफआईआर दर्ज करा सकते हैं।

प्रमुख बिंदु

  • महिला एवं बाल अपराध, चोरी, सेंधमारी एवं नाबालिगों की गुमशुदगी की शिकायतों से संबंधित विशेष प्रकृति के मामले बिना थाने गए दर्ज कराए जा सकते हैं।
  • ऐसे मामलों से संबंधित प्राथमिकी नागरिक पोर्टल या मोबाइल ऐप के माध्यम से दर्ज की जा सकेगी। इसके लिये रामगढ़ और खूंटी को छोड़कर सभी 22 ज़िलों में ई-एफआईआर थाने स्थापित किये जाएंगे।
  • सरकार के प्रस्ताव के अनुसार ई-एफआईआर पुलिस थाने प्रत्येक ज़िले में पहले से कार्यरत् कंपोजिट कंट्रोल रूम में कार्य करेंगे।
  • केवल डीएसपी या इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों को ही ई-एफआईआर थाने के प्रभारी की अतिरिक्त कमान दी जाएगी।

छत्तीसगढ़ Switch to English

स्थानीय निवासियों की परिभाषा में संशोधन

चर्चा में क्यों?

14 सितंबर, 2021 को राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा राज्य के ‘स्थानीय निवासियों’ की परिभाषा में परिवर्तन के संबंध में शासन के सभी विभागों को परिपत्र जारी कर दिया गया। परिपत्र में कहा गया है कि उपरोक्त नई शर्त के साथ संदर्भित परिपत्र की अन्य सभी शर्तें यथावत् लागू रहेंगी।

प्रमुख बिंदु

  • राज्य सरकार ने ‘स्थानीय निवासियों’ की परिभाषा निर्धारण के संबंध में सामान्य प्रशासन द्वारा पूर्व में जारी निर्देश में संशोधन करते हुए नई शर्त जोड़ी है, जिसके अनुसार “अब छत्तीसगढ़ के बाहर अन्य राज्यों के विद्यालय में शिक्षा प्राप्त कर रहे आवेदक या जिन्होंने राज्य के बाहर शिक्षा प्राप्त की हो, यदि उनके माता-पिता छत्तीसगढ़ राज्य का स्थानीय निवास प्रमाण-पत्र प्राप्त करने की पात्रता रखते हैं तो उन्हें भी छत्तीसगढ़ राज्य का स्थानीय निवास प्रमाण-पत्र प्राप्त करने की पात्रता होगी।” 
  • गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में 8 सितंबर को आयोजित कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया था। इसके परिपालन में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आज इस संबंध में शासन के सभी विभागों, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजस्व मंडल बिलासपुर, समस्त विभागाध्यक्षों, समस्त संभागायुक्तों, समस्त कलेक्टरों, ज़िला पंचायत के समस्त मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को परिपत्र जारी कर दिया गया है। 
  • उल्लेखनीय है कि इस संबंध में सामान्य प्रशासन द्वारा 17 जून, 2003 को जारी संदर्भित परिपत्र में जारी निर्देशों में संशोधन करते हुए नई शर्त जोड़ी गई है।

उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में एलएसडी वायरस का पहला केस

चर्चा में क्यों?

14 सितंबर, 2021 को भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान द्वारा दी गई रिपोर्ट में उत्तराखंड के काशीपुर ब्लॉक की चार गायें एलएसडी (लंपीस्किन डिजीज) वायरस से पॉजिटिव पाई गई हैं।

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि इससे पहले एलएसडी बीमारी के मामले वर्ष 2012 में पश्चिम बंगाल एवं महाराष्ट्र में देखने को मिले थे।
  • एलएसडी पशुओं की एक विषाणुजनित बीमारी है, जिसके संक्रमण से पशुओं के शरीर में जगह-जगह गाँठें बन जाती हैं। इसका वायरस पशुओं में मक्खी, मच्छर, पशु से पशु के संपर्क एवं पशु लार आदि से पैलता है। 
  • इस बीमारी में पशु मृत्यु दर कम होती है, किंतु पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता में गिरावट आ जाती है।
  • पशुपालन विभाग के अनुसार, लंपीस्किन वायरस 1929 में पहली बार जिम्बावे के दुधारु पशुओं में पाया गया था।

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