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बिहार स्टेट पी.सी.एस.

  • 13 Mar 2025
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बाल विवाह उन्मूलन हेतु टास्क फोर्स

चर्चा में क्यों?

बिहार सरकार ने राज्य में बाल विवाह को रोकने और उन्मूलन के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय 'टास्क फोर्स' गठित करने का निर्णय लिया है।

मुख्य बिंदु 

  • टास्क फोर्स का उद्देश्य एवं कार्य
    • बाल विवाह की रोकथाम हेतु पुलिस और अन्य एजेंसियों को प्रभावी रूप से निर्देशित करना।
    • बाल विवाह निषेध अधिनियम (PCMA) से जुड़े मामलों का कठोरता से निपटारा सुनिश्चित करना।
    • बाल विवाह निषेध अधिकारियों (CMPO) और विशेष किशोर पुलिस इकाई (SJPU) के बीच समन्वय बढ़ाना।
    • प्रत्येक जिले और उप-विभाग स्तर पर बाल विवाह संरक्षण अधिकारियों की नियुक्ति।
  • राज्य में बाल विवाह की स्थिति
    • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-5 के अनुसार, बिहार देश में बाल विवाह की दर के मामले में पश्चिम बंगाल के बाद दूसरे स्थान पर आता है।
    • रिपोर्ट के अनुसार  राज्य में 40.8 प्रतिशत महिलाओं की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो जाती है। 
  • बाल विवाह उन्मूलन हेतु अन्य प्रयास
    • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत स्कूलों में छात्राओं के साथ संवादात्मक बैठकें।
    • मुखबिर प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत सत्यापित सूचना देने पर ₹5000 तक का नकद इनाम।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता शिविर का आयोजन ताकि समुदाय को बाल विवाह के दुष्प्रभावों की जानकारी दी जा सके।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान

  • जनवरी 2015 में इसे लिंग आधारित गर्भपात और घटते बाल लिंग अनुपात को संबोधित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, जो 2011 में प्रत्येक 1,000 लड़कों पर 918 लड़कियों पर था।
  • यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक संयुक्त पहल है।
  • यह कार्यक्रम देश के 405 ज़िलों में लागू है।

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006

परिचय

  • बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (Prohibition of Child Marriage Act), 2006 भारत सरकार का एक अधिनियम है, जिसे समाज में बाल विवाह को रोकने हेतु लागू किया गया है।

अधिनियम के मुख्य प्रावधान

  • इस अधिनियम के अंतर्गत 21 वर्ष से कम आयु के पुरुष या 18 वर्ष से कम आयु की महिला के विवाह को बाल विवाह की श्रेणी में रखा जाएगा।
  • इस अधिनियम के अंतर्गत बाल विवाह को दंडनीय अपराध माना गया है।
  • साथ ही बाल विवाह करने वाले वयस्क पुरुष या बाल विवाह को संपन्न कराने वालों को इस अधिनियम के तहत दो वर्ष के कठोर कारावास या 1 लाख रूपए का जुर्माना या दोनों सज़ा से दंडित किया जा सकता है किंतु किसी महिला को कारावास से दंडित नहीं किया जाएगा।
  • इस अधिनियम के अंतर्गत किये गए अपराध संज्ञेय और गैर ज़मानती होंगे
  • इस अधिनियम के अंतर्गत अवयस्क बालक के विवाह को अमान्य करने का भी प्रावधान है।


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