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हरियाणा में सबसे कम लिंगानुपात दर्ज
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार के अनुसार, कन्या भ्रूण हत्या के लिये बदनाम हरियाणा का जन्म के समय लिंगानुपात (SRB) आठ वर्षों में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया है।
मुख्य बिंदु
- हरियाणा में लिंगानुपात में गिरावट:
- हरियाणा में 2024 के पहले 10 महीनों के लिये लिंगानुपात 905 दर्ज किया गया, जो वर्ष 2022 से 11 अंकों की गिरावट है।
- यह 2016 के बाद से सबसे कम आँकड़ों में से एक है, जो राज्य के लिये लगातार चुनौती का संकेत देता है।
- सबसे कम लिंगानुपात वाले ज़िले:
- गुरुग्राम: 859
- रेवाड़ी: 868
- चरखी दादरी: 873
- रोहतक: 880
- पानीपत: 890
- महेंद्रगढ़: 896
- हरियाणा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित आदर्श लिंगानुपात 950 से नीचे बना हुआ है।
- गुरुग्राम के खराब प्रदर्शन के लिये आंशिक रूप से जून से अगस्त 2024 के दौरान राज्य पोर्टल पर तकनीकी समस्याओं को जिम्मेदार ठहराया गया, जिसके परिणामस्वरूप जन्म पंजीकरण कम हुए।
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का प्रभाव :
- हालाँकि, वर्ष 2020 में फिर से गिरावट शुरू हुई और यह प्रवृत्ति आज भी जारी है।
- वर्ष 2015 में शुरू किये गए “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान ने वर्ष 2019 तक लिंगानुपात को बढ़ाकर 923 कर दिया ।
- सामाजिक एवं सांस्कृतिक चुनौतियाँ:
- हरियाणा में सामाजिक-आर्थिक कारकों और सांस्कृतिक मानदंडों के कारण बेटों को प्राथमिकता दी जाती है ।
- परिवारों को बेटियों के भाग जाने से संभावित अपमान का डर रहता है, दहेज का बोझ लगता है तथा लड़कियों से सीमित आर्थिक लाभ की आशंका रहती है।
- लिंग वरीयता का अंतर-राज्य प्रभाव:
- दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान जैसे पड़ोसी राज्य कथित तौर पर कम कड़े नियमों के कारण हरियाणा के निवासियों को अवैध लिंग आधारित गर्भपात के लिये आकर्षित करते हैं।
- इन राज्यों में अल्ट्रासाउंड ऑपरेटर कभी-कभी वित्तीय लाभ के लिये भ्रूण के लिंग की गलत जानकारी देते हैं।
- लिंग परीक्षण का प्रवर्तन और चुनौतियाँ:
- वर्ष 2005 से अब तक हरियाणा में अवैध लिंग निर्धारण पर अंकुश लगाने के लिये लगभग 1,200 छापे मारे गए हैं, लेकिन सफलता दर में गिरावट आ रही है, क्योंकि जाँचकर्त्ता अधिक सतर्क हो गए हैं।
- लिंग असंतुलन के सामाजिक परिणाम:
- विषम लिंगानुपात के कारण हरियाणा में कई पुरुषों को विवाह योग्य साथी ढूँढने में कठिनाई होती है तथा कुछ गाँवों में तो सैकड़ों अविवाहित पुरुष पाए गए हैं।
- कुछ परिवारों में उपेक्षा और कुपोषण लड़कियों को असमान रूप से प्रभावित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ या असमय मृत्यु हो जाती है।
कन्या भ्रूण हत्या एवं शिशु हत्या:
- भारत में कन्या भ्रूण हत्या की दर विश्व में सबसे अधिक है।
- कन्या भ्रूण हत्या का कारण पुत्र प्राप्ति की प्रबल चाह, दहेज प्रथा तथा उत्तराधिकारी की पितृवंशीय आवश्यकता है।
- 2011 की जनगणना में 0-6 वर्ष आयु वर्ग में अब तक का सबसे कम लिंगानुपात 914 दर्ज किया गया है, जिसमें 30 लाख लड़कियाँ लापता हैं; वर्ष 2001 में यह 78.8 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2011 में 75.8 मिलियन हो गया।
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