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ट्रैश स्कीमर मशीन
चर्चा में क्यों ?
प्रयागराज में स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने तथा त्रिवेणी संगम को स्वच्छ एवं निर्मल बनाए रखने के लिये ट्रैश स्कीमर मशीनें लगाई गई हैं, जो गंगा और यमुना नदियों से प्रतिदिन 10 से 15 टन कचरा निकाल रही हैं।
मुख्य बिंदु
- त्रिवेणी संगम को स्वच्छ और शुद्ध बनाए रखने के लिये महाकुंभ से पहले वर्ष 2021 में ट्रैश स्कीमर मशीनें लगाई गई हैं।
- ट्रैश स्कीमर मशीन:
- यह एक ऐसी मशीन है, जो पानी की सतह से तैरते मलबे को इकट्ठा करती है।
- यह मशीन नदी से फूल, पत्ते, तैरता हुआ कचरा, प्लास्टिक, बोतलें आदि सभी वस्तुओं को विभिन्न तरीकों से उठाकर किनारे पर लाती है, जिनका बाद में उचित तरीकों से निपटान किया जाता है।
- इस मशीन का उपयोग नदियों, बंदरगाहों और समुद्रों को साफ करने के लिये किया जाता है।
- यह जलीय खरपतवार (जलकुंभी) को हटाने में भी मदद करती है।
जलकुंभी
- जलकुंभी, जिसे वैज्ञानिक रूप से इचोर्निया क्रैसिप्स मार्ट (पोंटेडेरियासी) के नाम से जाना जाता है, एक जलीय खरपतवार है, जो भारत सहित पूरे दक्षिण एशिया में जल निकायों में आम है।
- यह कोई देशी प्रजाति नहीं है, लेकिन ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान दक्षिण अमेरिका से एक सजावटी जलीय पौधे के रूप में भारत में लाई गई थी।
- यह पौधा सुंदर बैंगनी फूल पैदा करता है जिसका सौंदर्य मूल्य बहुत अधिक होता है।
स्वच्छ भारत मिशन (SBM)
- यह एक वृहत जन आंदोलन है जिसका लक्ष्य वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत का निर्माण करना था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सदैव स्वच्छता पर ज़ोर देते थे क्योंकि स्वच्छता से स्वस्थ और समृद्ध जीवन की राह खुलती है।
- इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 2 अक्टूबर 2014 (गांधी जयंती) के अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन की नींव रखी। यह मिशन सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को दायरे में लेता है।
- इस मिशन के शहरी घटक का क्रियान्वयन आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा और ग्रामीण घटक का क्रियान्वयन जल शक्ति मंत्रालय द्वारा किया जाता है।


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भारतीय कला इतिहास कॉन्ग्रेस का 32वाँ सम्मेलन
चर्चा में क्यों?
भारतीय कला इतिहास कॉन्ग्रेस का 32वाँ सम्मलेन 8 से 10 फरवरी 2025 तक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेरिटेज नोएडा में आयोजित किया गया।
मुख्य बिंदु
- सम्मेलन के बारे में:-
- सम्मेलन का विषय था “कला और संस्कृति में भारतीय महाकाव्यों का प्रतिपादन”।
- इसका उद्देश्य महाकाव्यों पर आधारित कलात्मक अभिव्यक्तियों के विविध रूपों को उजागर करना था।
- महाभारत और रामायण ने कर्तव्य, धर्म और न्याय की शिक्षाओं के साथ कई लोगों के जीवन का मार्ग प्रशस्त किया है।
- उनके आदर्श भारत और उसके बाहर की संस्कृतियों में गूँजते हैं।
- इसका आयोजन संस्कृति मंत्रालय के तहत भारतीय विरासत संस्थान, नोएडा द्वारा किया गया था।
- महत्त्व:
- सम्मेलन ने मौखिक, पाठ्य और दृश्य मीडिया के माध्यम से महाकाव्यों पर आधारित कलात्मक अभिव्यक्तियों के विविध रूपों पर प्रकाश डाला।
- प्राचीन से समकालीन समय तक महाकाव्यों और उनके विभिन्न कलात्मक रूपों के प्रभाव पर चर्चा।
- भारतीय कला में रुचि को बढ़ावा देना और इसके संरक्षण और सुरक्षा के लिये काम करना।
- मूर्त और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिये प्रयास करना।
भारतीय कला इतिहास कॉन्ग्रेस (IAHC)
- यह भारतीय कला विरासत का अध्ययन करने वाली अखिल भारतीय संस्था है।
- इसका उद्देश्य भारतीय कला इतिहास और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर गहन शोध और विमर्श को प्रोत्साहित करना है।
- यह संगठन भारतीय सांस्कृतिक धरोहर, मूर्त और अमूर्त कला रूपों के संरक्षण के लिये काम करता है।
- यह अनुभवी और युवा विद्वानों को एक मंच प्रदान करता है, ताकि वे अपनी कला संबंधित शोधों और विचारों का आदान-प्रदान कर सकें।
- इसका मुख्यालय गुवाहाटी में स्थित है।

