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GeM प्लेटफॉर्म को पूर्णत: अपनाने वाला पहला राज्य- उत्तर प्रदेश
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) प्लेटफॉर्म को पूरी तरह से एकीकृत करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है, जिससे सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ेगी।
इस कदम से प्रतिवर्ष 2,000 करोड़ रुपए की बचत होने का अनुमान है, साथ ही निष्पक्ष व्यवहार को बढ़ावा मिलेगा और छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- उत्तर प्रदेश में पूर्ववर्ती निविदा प्रणाली में एकरूपता का अभाव था तथा उसका दुरुपयोग होने की संभावना थी।
- GeM मानकीकृत नियमों को लागू करके इन मुद्दों का समाधान करता है, जिससे उल्लंघन या खामियों की संभावना कम हो जाती है।
- राज्य सरकार का लक्ष्य सभी राज्य विभागों में GeM के उपयोग को बढ़ाना, अनुपालन सुनिश्चित करना और जवाबदेही बढ़ाना है।
- प्रदर्शित सफलता:
- उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ने 18 अटल आवासीय विद्यालयों के लिये सामग्री खरीदने हेतु GeM का उपयोग किया।
- कक्षा 6 से इंटरमीडिएट स्तर तक के छात्रों को शिक्षा प्रदान करने वाले ये स्कूल अब कोविड-19 महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों को सहायता प्रदान करने सहित अनुकरणीय शिक्षण वातावरण प्रदान करते हैं।
- उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ने 18 अटल आवासीय विद्यालयों के लिये सामग्री खरीदने हेतु GeM का उपयोग किया।
- नीति सुधार और अनुपालन:
- सख्त दिशा-निर्देश: नीतियाँ ऑफलाइन कॉन्ट्रैक्ट, प्राइस डिस्कवरी बिड, क्वांटिटी-बेस्ड बिड और बोली मूल्यांकन (Bid Evaluations) के दौरान नमूनों के लिये अनावश्यक अनुरोध जैसी प्रथाओं पर रोक लगाती हैं।
- सभी राज्य विभागों को अपनी वार्षिक वस्तुओं और सेवाओं का कम से कम 25% GeM के माध्यम से खरीदना होगा तथा ऐसा न करने पर ज़ुर्माना लगाया जाएगा।
- सख्त दिशा-निर्देश: नीतियाँ ऑफलाइन कॉन्ट्रैक्ट, प्राइस डिस्कवरी बिड, क्वांटिटी-बेस्ड बिड और बोली मूल्यांकन (Bid Evaluations) के दौरान नमूनों के लिये अनावश्यक अनुरोध जैसी प्रथाओं पर रोक लगाती हैं।
- लघु उद्यमों के लिये समर्थन: निविदा पात्रता मानदंडों में ढील (जैसे, टर्नओवर और पिछला प्रदर्शन) सूक्ष्म और लघु उद्यमों (MSME) के लिये अवसर उत्पन्न करते हैं।
- श्रमिक कल्याण प्रावधान: नीतियों में आउटसोर्स कर्मचारियों के लिये न्यूनतम मज़दूरी, कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और कर्मचारी राज्य बीमा (ESI) लाभ अनिवार्य किया गया है।
- सेवा प्रदाता नियुक्ति के बाद मनमाने ढंग से आउटसोर्स कर्मचारियों को नहीं बदल सकते, जिससे नौकरी में स्थिरता और निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके।
- मिलीभगत-रोधी उपाय: मिलीभगत या बोली (Bid) में हेराफेरी करने पर कठोर दंड लगाया जाता है, तथा मामले की सूचना GeM टीम को देने का प्रावधान है।
- शिकायत निवारण तंत्र: उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समितियाँ समर्पित ईमेल के माध्यम से प्रस्तुत अनुपालन संबंधी शिकायतों की समीक्षा करती हैं।
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राष्ट्रीय पहल के साथ संरेखण:
- GeM को अपनाने से शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाकर "डिजिटल इंडिया" के दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा।
- यह मंच स्थानीय आपूर्तिकर्त्ताओं को समर्थन प्रदान करता है तथा "मेक इन इंडिया" पहल के अनुरूप निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देता है।
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) प्लेटफॉर्म
- GeM विभिन्न सरकारी विभागों/संगठनों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा अपेक्षित सामान्य उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद की सुविधा प्रदान करता है।
- यह पहल वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अगस्त 2016 में शुरू की गई थी।
- GeM का वर्तमान संस्करण अर्थात GeM 3.0, 26 जनवरी, 2018 को लॉन्च किया गया था।
- यह सरकारी उपयोगकर्त्ताओं की सुविधा के लिये ई-बिडिंग, रिवर्स ई-नीलामी और मांग एकत्रीकरण के उपकरण प्रदान करता है, जिससे उनके पैसे का सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त होता है और सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता, दक्षता और गति को बढ़ाया जाता है।
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कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद
चर्चा में क्यों?
भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद पर सुनवाई करने वाली है।
- यह भारत के सबसे पुराने मंदिर-मस्जिद विवादों में से एक है, जिसमें हिंदू अपने पूजा स्थलों को पुनः प्राप्त करने की मांग कर रहे थे, उनका आरोप है कि मुस्लिम शासकों के आक्रमणों के दौरान उन्हें मस्जिदों में बदल दिया गया था।
मुख्य बिंदु
- विवाद की पृष्ठभूमि:
- भगवान कृष्ण की जन्मस्थली माने जाने वाले मथुरा में 1618 में एक मंदिर का निर्माण किया गया था।
- हिंदू पक्ष का आरोप है कि मुगल शासक औरंगज़ेब ने शाही ईदगाह मस्जिद बनाने के लिये 1670 में मंदिर को ध्वस्त कर दिया था।
- हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद में हिंदू धार्मिक प्रतीक और विशेषताएँ हैं, जिनमें कमल के आकार का स्तंभ और देवता शेषनाग की छवि शामिल है।
- यह भी कहा गया है कि मस्जिद श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की 13.37 एकड़ भूमि के एक हिस्से पर बनाई गई थी और मस्जिद को स्थानांतरित करने के लिये मुकदमा दायर किया गया है।
- शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी और UP सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का तर्क है कि मस्जिद विवादित भूमि पर नहीं है।
- प्रमुख घटनाक्रम:
- न्यायालय द्वारा निगरानी सर्वेक्षण:
- 14 दिसंबर, 2023 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शाही ईदगाह मस्जिद का न्यायालय की निगरानी में सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया।
- न्यायालय ने सर्वेक्षण की देखरेख के लिये एक आयुक्त की नियुक्ति की, जो इस दावे पर आधारित था कि मस्जिद परिसर में अतीत में हिंदू मंदिर होने के संकेत मौजूद हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप:
- ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह की प्रबंधन समिति ने सर्वेक्षण के लिये उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की।
- 16 जनवरी, 2024 को सर्वोच्च न्यायालय ने हिंदू पक्ष के आवेदन में अस्पष्टता का उल्लेख करते हुए उच्च न्यायालय के आदेश पर सर्वेक्षण के लिये रोक लगा दी।
- तर्क:
- हिंदू पक्ष की स्थिति:
- उन्होंने मांग की कि उच्च न्यायालय बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामले की तरह ही मूल सुनवाई की जाए।
- हिंदू पक्ष ने सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि वह उच्च न्यायालय को आयोग के सर्वेक्षण की रूपरेखा निर्धारित करने की अनुमति दी जाए।
- मस्जिद समिति की स्थिति:
- समिति का तर्क है कि सर्वेक्षण के लिये उच्च न्यायालय का आदेश अवैध है, क्योंकि यह मुकदमा उपासना स्थल अधिनियम, 1991 के तहत वर्जित है, जो 15 अगस्त, 1947 के धार्मिक स्थलों के स्वरूप में परिवर्तन को रोकता है।
- समिति ने उच्च न्यायालय के 26 मई, 2023 के आदेश को भी चुनौती दी है, जिसमें विवाद से संबंधित सभी मामलों को मथुरा अदालत से अपने पास स्थानांतरित कर दिया गया था।
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