हरियाणा Switch to English
हरियाणा ने अर्जुन पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने नई दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित राज्य के खिलाड़ियों और उनके कोच को सम्मानित किया।
मुख्य बिंदु:
- मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2023 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित पहलवान सुनील कुमार, अंतिम पंघाल और गोल्फर दीक्षा डागर को सम्मानित किया।
- खिलाड़ियों ने हरियाणा की खेल नीति की सराहना करते हुए कहा कि इससे खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ा है और इस ‘प्रो-प्लेयर’ नीति के कारण अब युवाओं का रुझान खेलों के प्रति बढ़ा है।
- मुख्यमंत्री के अनुसार, हरियाणा में गाँव-गाँव तक खेलों के लिये एक मूलभूत ढाँचा विकसित किया जाएगा ताकि युवाओं को बचपन से ही प्रशिक्षित किया जा सके।
- युवाओं को लोकप्रिय खेलों में प्रशिक्षित करने के लिये विशेष उच्च-शक्ति प्रदर्शन केंद्र स्थापित करने की योजना भी चल रही है। खेल सामग्री ग्राम पंचायत के माध्यम से उपलब्ध कराई जायेगी।
अर्जुन पुरस्कार
- यह वर्ष 1961 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय खेल आयोजनों में उत्कृष्ट उपलब्धि की पहचान करने के लिये स्थापित किया गया था।
- यह विगत चार वर्षों की अवधि में अच्छा प्रदर्शन और नेतृत्त्व करने, खेल कौशल तथा अनुशासन की भावना दर्शाने हेतु दिया जाता है।
- इस पुरस्कार के अंतर्गत 15 लाख रुपए का नकद पुरस्कार, अर्जुन की एक कांस्य प्रतिमा और एक सम्मान पत्र दिया जाता है।
- वर्ष 2023 में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा 26 एथलीटों को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
- इस सूची में ज़्यादातर एशियाई खेल 2023 के एथलीट शामिल हैं, जहाँ भारत ने आयोजन के एक ही संस्करण में 100 से अधिक पदक जीतकर इतिहास रचा था।
हरियाणा Switch to English
'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' का नारा लगाने पर राजद्रोह का आरोप
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर एक पुनर्विचार याचिका पर हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया, जिसमें याचिकाकर्त्ता के खिलाफ IPC की धारा 124 A (देशद्रोह) के तहत आरोप तय किये गए कि उसने भारत के खिलाफ 'गंदी भाषा' का इस्तेमाल किया और 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' का नारा लगाया।
मुख्य बिंदु:
- कथित घटना के वीडियो के बाद, पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153 A, 124 A, 504 के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की और "कई समूहों के बीच दुश्मनी" पैदा करने के आरोप में आरोपियों को गिरफ्तार किया।
- भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A राजद्रोह को उस अपराध के रूप में परिभाषित करती है, जब "कोई भी शख्स किसी तरह से, चाहे बोलकर या लिखकर या किसी संकेत से या फिर दूसरे तरीके से कानून के तहत बने सरकार के खिलाफ विद्रोह या असंतोष ज़ाहिर करता है या कोशिश करता है।”
- विद्रोह में वैमनस्य और शत्रुता की भावनाएँ शामिल होती हैं। हालाँकि इस धारा के तहत घृणा या अवमानना फैलाने की कोशिश किये बगैर की गई टिप्पणियों को अपराध की श्रेणी में शामिल नहीं किया जाता है।
- बलवंत सिंह बनाम पंजाब राज्य (1995) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने दोहराया कि भाषण को देशद्रोही करार देने से पहले उसके वास्तविक इरादे को ध्यान में रखा जाना चाहिये।
- राजद्रोह गैर-ज़मानती अपराध है। राजद्रोह के अपराध में तीन वर्ष से लेकर उम्रकैद तक की सज़ा हो सकती है और इसके साथ ज़ुर्माना भी लगाया जा सकता है।
- इस कानून के तहत आरोपित व्यक्ति को सरकारी नौकरी प्राप्त करने से रोका जा सकता है।
- आरोपित व्यक्ति को पासपोर्ट के बिना रहना होता है, साथ ही आवश्यकता पड़ने पर उसे न्यायालय में पेश होना ज़रूरी है।
भारतीय दंड संहिता (IPC)
- भारतीय दंड संहिता (IPC) भारत की आपराधिक संहिता है जिसे वर्ष 1833 के चार्टर अधिनियम के अंर्तगत वर्ष 1834 में स्थापित पहले कानून आयोग के अनुरूप वर्ष 1860 में तैयार किया गया था।
- दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) भारत में आपराधिक कानून के प्रशासन के लिये प्रक्रियाएँ प्रदान करती है। इसे वर्ष 1973 में अधिनियमित किया गया और 1 अप्रैल 1974 को प्रभावी हुआ।
Switch to English