उत्तर प्रदेश Switch to English
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवक अभियान
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘स्वास्थ्य योद्धा पोर्टल’ लॉन्च करते हुए ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवक अभियान’ की शुरुआत की, जिसके तहत स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं को प्रशिक्षित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवक अभियान के तहत राज्य में दो लाख स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा देश के दो लाख राजस्व गाँवों में चार लाख स्वास्थ्य स्वयंसेवकों को इस अभियान से जोड़ा जा रहा है।
- गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के दौरान 12 सदस्यीय समिति को मिलाकर 72,000 निगरानी समितियों का गठन किया गया था। इस समिति के सदस्यों द्वारा घर-घर जाकर लोगों को कोरोना वायरस के प्रति जागरूक किया गया।
बिहार Switch to English
रोहतास के पंडुका में सोन नदी पर पुल निर्माण
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में रोहतास के पंडुका में सोन नदी पर दो किलोमीटर लंबे पुल के निर्माण को स्वीकृति दी गई।
प्रमुख बिंदु
- केंद्रीय सड़क एवं अवसंरचना निधि में बिहार की हिस्सेदारी से इस पुल का निर्माण बिहार राज्य पुल निगम करेगा, जिसकी प्रशासनिक स्वीकृति राज्य सरकार ने दी है।
- झारखंड में गढ़वा ज़िले के श्रीनगर और बिहार में रोहतास ज़िले में नौहट्टा के पंडुका के बीच यह पुल बनेगा। पुल के साथ लगभग 68 किमी. नई सड़क भी बनेगी।
- 210 करोड़ 13 लाख रुपए की लागत से मार्च 2024 तक यह पुल तैयार होगा। इसके बन जाने से रोहतास ज़िले का पलामू से संपर्कता के साथ ही इससे बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश भी जुड़ जाएँगे।
- गढ़वा के श्रीनगर और रोहतास के पंडुका के बीच करीब दो किमी. लंबे पुल के बन जाने से गढ़वा ज़िले के मझिआंव, कांडी, विशुनपुरा, बरडीहा, भवनाथपुर आदि प्रखंड के लोगों को वाराणसी जाने के लिये 80 किलोमीटर की दूरी कम तय करनी होगी।
- इसी के साथ पलामू, लातेहार, लोहरदगा, गुमला आदि ज़िलों के अलावा छत्तीसगढ़ की ओर से आने वाले यात्रियों को जीटी रोड पकड़ने या वाराणसी जाने के लिये तीसरा विकल्प उपलब्ध हो जाएगा।
राजस्थान Switch to English
महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एंड सोशल साइंसेज
चर्चा में क्यों?
11 अगस्त, 2021 को राजस्थान के मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने सचिवालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जयपुर में सेंट्रल पार्क स्थित कनक भवन में आगामी 2 अक्टूबर से महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एंड सोशल साइंसेज संस्थान की स्थापना करने एवं यहाँ विभिन्न पाठ्यक्रमों का अध्ययन शुरू कराने के निर्देश दिये।
प्रमुख बिंदु
- यह संस्थान मुख्यमंत्री की बजट घोषणा की अनुपालना में 100 करोड़ रुपए की लागत से टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज और महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी स्कूल ऑफ गवर्नेंस की तर्ज़ पर शुरू किया जा रहा है।
- इस संस्थान को बदलते सामाजिक एवं आर्थिक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए शिक्षण, अनुसंधान और नवाचार के उत्कृष्ट केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रयास किया गया है।
- यह इंस्टीट्यूट युवाओं को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शिक्षा को आत्मसात करते हुए सामाजिक कार्यों में भूमिका निभाने के लिये तैयार करने में महत्त्वपूर्ण साबित होगा।
- इस संस्थान का उद्देश्य महात्मा गांधी के जीवन तथा सामाजिक मूल्यों के दर्शन को शिक्षा एवं अनुसंधान के माध्यम से समाज के हर तबके तक पहुँचाना है।
राजस्थान Switch to English
भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान की समीक्षा बैठक
चर्चा में क्यों?
11 अगस्त, 2021 को राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक ओ.पी. बुनकर की अध्यक्षता में अंबेडकर भवन स्थित सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता निदेशालय के सभागार में जयपुर शहर को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने हेतु चलाए जा रहे अभियान की समीक्षा बैठक हुई।
प्रमुख बिंदु
- बैठक में अतिरिक्त निदेशक-सामाजिक सुरक्षा सुवालाल पहाड़िया ने अभियान के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि 18 वर्ष से कम आयु वाले, 18 से 55 वर्ष तक की आयु के महिला व पुरुष तथा 55 वर्ष से अधिक आयु के वृद्ध एवं अशक्त और दिव्यांग लोगों के हिसाब से श्रेणीवार भिक्षावृत्ति में लिप्त व्यक्तियों का चिह्नीकरण किया गया है।
- इसके लिये शहर में 25 पॉइंट चिह्नित किये गए हैं, जहाँ भिक्षावृत्ति में लिप्त व्यक्ति मिलते हैं। स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्त्ताओं द्वारा ऐसे चिह्नित स्थानों पर भिक्षावृत्ति में लिप्त व्यक्तियों का विवरण एक प्रारूप में दर्ज किया जाएगा, उसके पश्चात् उनकी काउंसलिंग कर उन्हें निराश्रित बाल गृह, महिला सदन, वृद्धाश्रम तथा आवश्यकतानुसार विकलांग पुनर्वास गृहों में प्रवेश दिया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि अभियान में 18 से 55 वर्ष तक की आयु के युवा वर्ग को लक्ष्य वर्ग के रूप में लिया गया है। जो भी युवा भिक्षावृत्ति में लिप्त हो तथा वह कोई कार्य करना चाहता हो अथवा वह किसी प्रकार का कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहे, उसे उसकी रुचि के अनुसार प्रशिक्षण दिलाकर पुनर्वासित किया जाना इस अभियान का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
मध्य प्रदेश Switch to English
इंदौर: देश का पहला वाटर प्लस शहर
चर्चा में क्यों?
11 अगस्त, 2021 को भारत सरकार द्वारा जारी स्वच्छ सर्वेक्षण, 2021 के परिणामों में देश में चार बार स्वच्छता में नंबर एक रहे इंदौर को देश का प्रथम ‘वाटर प्लस शहर’ घोषित किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- स्वच्छ भारत अभियान में माइक्रो लेवल पर जाने के लिये मंत्रालय ने सफाई के साथ वाटर प्लस को शामिल किया है। इसका मुख्य उद्देश्य शहरों में जलाशयों, नदियों और तालाबों को साफ करना है, ताकि नदी-नालों में केवल साफ और बरसाती पानी ही बहे और सीवरेज के पानी का दोबारा उपयोग होता रहे।
- वाटर प्लस की चयन प्रक्रिया में देश के 84 शहरों ने आवेदन किये थे, जिनमें से सिर्फ 33 शहरों को ज़मीनी सत्यापन के लिये उचित पाया गया था।
- स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के अंतर्गत देश के शहरों का विभिन्न स्वच्छता मानकों के आधार पर परीक्षण किया जाता है। इसमें ODF+, ODF++ और Water+ की श्रेणियाँ हैं।
- वाटर प्लस का प्रमाण-पत्र उन शहरों को दिया जाता है, जिन्होंने ओडीएफ डबल प्लस के सभी मानकों को पूर्ण किया हो। साथ ही, आवासीय और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से निकलने वाले अवशिष्ठ मल-जल को उपचार के बाद ही पर्यावरण में छोड़ा जाता हो। ट्रीटेड वेस्ट-वाटर का पुन: उपयोग भी सुनिश्चित किया जाता हो।
- स्वच्छ सर्वेक्षण के वाटर प्लस प्रोटोकॉल के दिशानिर्देशों के अनुसार, इंदौर नगर निगम द्वारा 25 छोटे और बड़े नालों में, 1746 सार्वजनिक और 5624 घरेलू सीवरों का दोहन किया गया और शहर की कान्ह एवं सरस्वती नदियों को सीवर लाइन से मुक्त कराया गया।
- गौरतलब है कि स्वच्छ सर्वेक्षण ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के हिस्से के रूप में देश भर के शहरों और कस्बों में साफ-सफाई एवं स्वच्छता का एक वार्षिक सर्वेक्षण है।
झारखंड Switch to English
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड सरकार द्वारा बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित ग्यारह उच्च उपज, जल्दी परिपक्व और रोग-कीट प्रतिरोधी फसल किस्में जारी की गईं।
प्रमुख बिंदु
- इन किस्मों को कृषि सचिव, अबुबकर सिद्दीकी की अध्यक्षता में राज्य किस्म विमोचन समिति द्वारा गहन चर्चा और प्रश्नों के अनुपालन के बाद जारी किया गया था।
- इन किस्मों में एक-एक काला चना, अरहर, सोयाबीन, सरसों, बेबी कॉर्न, रागी, दो बैंगन और तीन अलसी शामिल हैं। मौजूदा पारंपरिक किस्मों की तुलना में इन किस्मों की उपज लाभ 15 से 20 प्रतिशत है।
- बीएयू के कुलपति, डॉ. ओंकार नाथ सिंह और निदेशक अनुसंधान, डॉ. ए. वदूद ने बताया कि इन किस्मों से दालों, तिलहनों और सब्जियों के क्षेत्रफल, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि होगी, क्योंकि गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादकता बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
- बीएयू फसल प्रजनक, बीज और फार्म निदेशालय, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, कृषि विज्ञान केंद्र और राज्य के बीज गाँव किसानों को इसकी उपलब्धता बढ़ाने के लिये इन फसलों के बीज उत्पादन हेतु आपस में सहयोग करेंगे।
झारखंड Switch to English
राज्य के नेत्र रोग विशेषज्ञों का ‘कोविड वारियर्स’के रूप में सम्मान
चर्चा में क्यों?
11 अगस्त, 2021 को झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने राज्य के 45 नेत्र रोग विशेषज्ञों को महामारी के दौरान कोविड रोगियों और उनके परिवारों की मदद करने के उनके अथक् प्रयासों के लिये ‘कोविड वारियर्स’के रूप में सम्मानित किया।
प्रमुख बिंदु
- राँची में झारखंड नेत्र रोग सोसायटी द्वारा आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए, स्वास्थ्य मंत्री ने नेत्र रोग विशेषज्ञों को यह सम्मान प्रदान किया।
- इन नेत्र रोग विशेषज्ञों ने अपने आराम क्षेत्र को छोड़कर, पेशेवर सीमाओं को पार करते हुए अपने जान की परवाह न करते हुए लोगों को कोविड-19 की दूसरी लहर से लड़ने के लिये सभी आवश्यक सहायता सुनिश्चित की थी।
- सम्मान समारोह में डॉ. विभूति कश्यप को ‘डॉ. वी.एस. गुप्ता बेस्ट फ्री पेपर’ और डॉ. राहुल प्रसाद को ‘मंजुल पंत बेस्ट वीडियो सेशन’ के लिये गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। डॉ. ललित जैन को उनके एक्स्ट्राम्यूरल ओरेशन के लिये सम्मानित किया गया।
- स्वास्थ्य मंत्री ने महामारी में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए डॉक्टरों के परिजनों को शॉल और स्मृति चिह्न भी भेंट किये। कोरोना महामारी के शिकार हुए राज्य के प्रख्यात चिकित्सक डॉ. कृष्ण मुरारी साहू, डॉ. सुजीत कुमार पॉल और डॉ. चंद्रिका किशोर ठाकुर के परिवारों का अभिनंदन भी किया गया।
उत्तराखंड Switch to English
परिवहन विभाग द्वारा संभावित लाभार्थियों के लिये पंजीकरण शुरू
चर्चा में क्यों?
11 अगस्त, 2021 को उत्तराखंड परिवहन विभाग द्वारा कोविड-19 की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुए प्रत्येक पात्र लाभार्थी को 2,000 रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिये उनका पंजीकरण शुरू किया गया।
प्रमुख बिंदु
- इसमें जिन सार्वजनिक परिवहन ऑपरेटरों, कंडक्टरों और सफाईकर्मियों की आजीविका लॉकडाउन की वजह से प्रभावित हुई थी, उनका पंजीकरण शुरू किया गया है।
- क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) संदीप सैनी के अनुसार पात्र सार्वजनिक परिवहन परिचालक, परिचालक एवं सफाईकर्मी http://uk.gov.in पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं।
- इसके लिये आवेदकों को बैंक खाते के विवरण के अलावा, जिस वाहन पर वे काम करते हैं, उसके ड्राइविंग लाइसेंस नंबर का उल्लेख करना होगा।
- सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करने के बाद, आवेदक को पंजीकृत मोबाइल नंबर पर आवेदन की स्वीकृति या अस्वीकृति के बारे में एक संदेश प्राप्त होगा। आवेदन को अस्वीकार करने का कारण संदेश में उल्लेखित किया जाएगा। आवेदक सही जानकारी के साथ फिर से आवेदन कर सकते हैं।
- विभाग द्वारा अगले छह महीनों के लिये लाभार्थियों को धन के आसान हस्तांतरण हेतु आवेदकों को यह सुनिश्चित करना पड़ेगा कि उनके बैंक खातों और आवेदन में उल्लिखित नाम एकसमान है।
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