प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 29 जुलाई से शुरू
  संपर्क करें
ध्यान दें:

स्टेट पी.सी.एस.

  • 12 Jul 2024
  • 0 min read
  • Switch Date:  
बिहार Switch to English

बिहार में विश्व का सबसे बड़ा रामायण मंदिर

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले में “विश्व के सबसे बड़े रामायण मंदिर” के निर्माण का दूसरा चरण शुरू हुआ। 3.76 लाख वर्ग फीट क्षेत्र में फैले तीन मंजिला मंदिर का निर्माण जून 2023 में शुरू हुआ और 2025 में पूरा होने की आशा है।

मुख्य बिंदु:

  • विराट रामायण मंदिर अयोध्या के राम मंदिर से तीन गुना बड़ा होगा।
    • 500 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित इस मंदिर के गर्भगृह में 33 फुट ऊँचा शिवलिंग स्थापित किया जाएगा।
    • मंदिर परिसर में विभिन्न देवताओं के लिये 22 गर्भगृह होंगे।
  • दूसरे चरण में प्लिंथ स्तर तक निर्माण कार्य शामिल होगा, जो ज़मीनी स्तर से लगभग 26 फीट की ऊँचाई तक जाएगा।
  • तीसरे चरण में शिखरों का निर्माण तथा संपूर्ण मंदिर का अंतिम परिष्करण कार्य पूर्ण किया जाएगा।
    • मंदिर में कुल 12 शिखर होंगे, जिनमें मुख्य शिखर 270 फीट ऊँचा होगा।
  • मंदिर की वास्तुकला कंबोडिया के अंकोर वाट, तमिलनाडु के रामेश्वरम के रामनाथस्वामी मंदिर और मदुरै के मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर से प्रेरित है।

अंकोर वाट मंदिर 

  • अंकोर वाट कंबोडिया में स्थित एक मंदिर परिसर है तथा यह विश्व के सबसे बड़े धार्मिक स्मारकों में से एक है।
  • इसकी स्थापना मूल रूप से खमेर साम्राज्य के लिये भगवान विष्णु को समर्पित एक हिंदू मंदिर के रूप में की गई थी, लेकिन धीरे-धीरे 12वीं शताब्दी के अंत तक इसे एक बौद्ध मंदिर में बदल दिया गया था।
  • 12वीं शताब्दी की शुरुआत में खमेर राजा सूर्यवर्मन द्वितीय द्वारा खमेर साम्राज्य की राजधानी यशोधरपुर (वर्तमान में अंकोर), में इसका निर्माण उनके राज्य मंदिर और संभावित मकबरे के रूप में करवाया गया था।

मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर

  • यह तमिलनाडु के मदुरै में वैगई नदी के दक्षिणी तट पर स्थित एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर है।
  • यह मंदिर देवी मीनाक्षी, जो शक्ति/पार्वती का एक रूप है तथा उनके पति शिव, जो सुंदरेश्वर के रूप में हैं, को समर्पित है।
  • इसका निर्माण पांड्य सम्राट सदायवर्मन कुलशेखरन प्रथम (1190 ई.-1205 ई.) ने करवाया था।

रामनाथस्वामी मंदिर

  • यह तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम द्वीप पर स्थित भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है।
  • यह बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है।
  • इसका निर्माण राजा मुथुरामलिंगा सेतुपति ने करवाया था।
  • मंदिर का विस्तार 12वीं शताब्दी के दौरान पांड्या राजवंश द्वारा किया गया था और इसके मुख्य मंदिर के गर्भगृह का जीर्णोद्धार जयवीर सिंकैरियान तथा उनके उत्तराधिकारी गुणवीर सिंकैरियान, जो ज़ाफना साम्राज्य के सम्राट थे, द्वारा किया गया था।


छत्तीसगढ़ Switch to English

वित्त आयोग से छत्तीसगढ़ के लिये विशेष अनुदान

चर्चा में क्यों?

हाल ही में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राज्य की बड़ी जनजातीय आबादी, चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों और कुछ क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए विशेष केंद्रीय अनुदान का अनुरोध किया था।

मुख्य बिंदु:

  • मुख्यमंत्री ने आयोग को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तेज़ी से किये जा रहे विकास कार्यों और माओवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिये उठाए जा रहे प्रभावी कदमों की जानकारी दी।
    • 'नियद नेल्लानार योजना' के तहत इन क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, विद्युत् और जल जैसी बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं।
    • हालाँकि इन क्षेत्रों में चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों के कारण बुनियादी ढाँचे के विकास पर अतिरिक्त व्यय होता है।
  • खनिज समृद्ध राज्य में खनन गतिविधियों के कारण होने वाली पर्यावरणीय क्षति और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों से संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिये अतिरिक्त व्यय किया गया।
    • उपभोग आधारित गंतव्य कर प्रणाली के रूप में GST (वस्तु एवं सेवा कर) के कारण, खनन गतिविधियों का वास्तविक लाभ छत्तीसगढ़ के बजाय उन राज्यों को मिल रहा है जहाँ खनिज मूल्य संवर्द्धन और खपत होती है।

नियद नेल्लानार योजना

  • नियद नेल्लानार, जिसका अर्थ है "आपका अच्छा गाँव" अथवा "योर गुड विलेज" स्थानीय दंडामी बोली (दक्षिण बस्तर में बोली जाने वाली) है।
  • इस योजना के तहत बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा शिविरों के 5 किलोमीटर के दायरे में स्थित गाँवों में सुविधाएँ और लाभ प्रदान किये जाएंगे।
    • बस्तर में 14 नये सुरक्षा कैंप स्थापित किये गए हैं। ये शिविर नई योजना के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने में भी सहायता करेंगे। नियद नेल्लानार के तहत ऐसे गाँवों में लगभग 25 बुनियादी सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी।

वित्त आयोग

  • भारत में वित्त आयोग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत स्थापित एक संवैधानिक निकाय है।
    • इसका प्राथमिक कार्य केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय संसाधनों के वितरण की सिफारिश करना है।
  • 15वें वित्त आयोग का गठन 27 नवंबर, 2017 को किया गया था। इसने अपनी अंतरिम और अंतिम रिपोर्टों के माध्यम से 1 अप्रैल, 2020 से शुरू होने वाली छह वर्षों की अवधि को कवर करने वाली सिफारिशें कीं।
    • 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें वित्तीय वर्ष 2025-26 तक मान्य हैं।


उत्तर प्रदेश Switch to English

अल्ट्रा हाई-परफॉरमेंस कंक्रीट- UHPC

चर्चा में क्यों?

सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग (Public Works Department- PWD) अनुसंधान और विकास के बाद अल्ट्रा हाई-परफॉर्मेंस कंक्रीट (UHPC) विकसित करने के लिये IIT-कानपुर के साथ समझौता करेगा।

मुख्य बिंदु:

  • वर्तमान में राज्य में अधिकांश सिविल कार्यों हेतु M60 सीमेंट ग्रेड का उपयोग किया जाता है।
  • UHPC, जिसकी शेल्फ लाइफ लंबी होती है और जो M60 ग्रेड की तुलना में 4-6 गुना अधिक मज़बूत हो सकती है तथा विभाग के कार्बन फुटप्रिंट को महत्त्वपूर्ण रूप से कम कर सकती है।
    • इस कमी को प्राप्त करने के लिये, फ्लाईओवर, एलिवेटेड रोडवेज, रेलवे ओवरब्रिज, पुल तथा अन्य कंक्रीट-गहन बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के विकास में पतले खंडों एवं कम डेक ऊँचाइयों का उपयोग किया जाएगा।
    • नैनो प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विकसित इस उत्पाद के तीन वर्षों में तैयार होने का अनुमान है।

कार्बन फुटप्रिंट

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) के अनुसार, कार्बन फुटप्रिंट लोगों की गतिविधियों के कारण जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की मात्रा पर पड़ने वाले प्रभाव का एक माप है और इसे टन में उत्पादित CO2 उत्सर्जन के भार के रूप में व्यक्त किया जाता है।
  • इसे आमतौर पर प्रतिवर्ष उत्सर्जित CO2 के टन के रूप में मापा जाता है, यह एक ऐसी संख्या है जिसे मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों सहित CO2-समतुल्य गैसों के टन से पूरा किया जा सकता है।
  • यह एक व्यापक उपाय हो सकता है या इसे किसी व्यक्ति, परिवार, घटना, संगठन अथवा यहाँ तक ​​कि पूरे राष्ट्र के कार्यों पर लागू किया जा सकता है।


उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में बारिश और गर्मी के रिकॉर्ड टूटे

चर्चा में क्यों?

क्लाइमेट ट्रेंड्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड में पिछले दो महीनों से चरम मौसम की घटनाएँ देखी जा रही हैं, जिनमें रिकॉर्ड तोड़ तापमान से लेकर अत्यधिक भारी वर्षा के कारण अचानक बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएँ शामिल हैं।

मुख्य बिंदु:

  • वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि ने वायुमंडलीय नमी को बढ़ा दिया है, जिससे घने बादल बन रहे हैं और भारी बारिश हो रही है।
    • जैसे-जैसे तापमान बढ़ता जा रहा है, ये तीव्र बारिश की घटनाएँ और भी सामान्य होती जा रही हैं।   
  • उत्तराखंड में बढ़ते तापमान के कारण वनाग्नि की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
  • मानव-जनित जलवायु परिवर्तन ऊँचाई वाले स्थानों में मौसम और जलवायु संबंधी चरम सीमाओं को प्रभावित कर रहा है। कई हालिया अध्ययनों में तेज़ी से प्रचलित एलिवेशन डिपेंडेंट वार्मिंग (EDW) पर रिपोर्ट की गई है।
    • EDW हिमालयी नदियों और ग्लेशियरों (ग्लेशियल द्रव्यमान संतुलन, नदी निर्वहन, बर्फबारी में परिवर्तन) को प्रभावित करता है, जो पहाड़ी क्षेत्र की आजीविका के लिये एकमात्र जल स्रोत है।

फ्लैश फ्लड (Flash Floods) या अचानक आई बाढ़

  • यह घटना बारिश के दौरान या उसके बाद जल स्तर में हुई अचानक वृद्धि को संदर्भित करती है।
  • ये आकस्मिक रूप से घटित होने वाली स्थानीयकृत घटनाएँ हैं, जिनमें बहुत अधिक आवेग होता है और सामान्यतः बारिश के साथ-साथ छह घंटे से भी कम समय में ही भीषण बाढ़ जैसी आपदा की स्थिति उत्पन्न होती है।
  • जल निकासी लाइनों के अवरुद्ध होने या अतिक्रमण के कारण जल के प्राकृतिक प्रवाह में बाधा उत्पन्न होने पर बाढ़ की स्थिति और भी खराब हो जाती है।

भूस्खलन

  • भूस्खलन को चट्टान, मलबे या मृदा के द्रव्यमान के ढलान से नीचे की ओर खिसकने के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • वे एक प्रकार का सामूहिक अपव्यय है, जो गुरुत्वाकर्षण के प्रत्यक्ष प्रभाव में मृदा और चट्टान के किसी भी नीचे की ओर खिसकने को दर्शाता है।
  • भूस्खलन शब्द में ढलान की गति के पाँच तरीके शामिल हैं: प्रपात/फॉल्स, अग्रपात/टॉपल्स, स्खलन/स्लाइड, फैलाव/स्प्रेड और प्रवाह/फ्लो।


मध्य प्रदेश Switch to English

आक्रामक जलीय खरपतवारों का उन्मूलन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में साइरटोबैगस साल्विनिया नामक एक बाह्य प्रजाति के बीटल ने मध्य प्रदेश के बैतूल ज़िले में तवा नदी पर बने सारणी जलाशय (सतपुड़ा बाँध) से एक आक्रामक खरपतवार प्रजाति, साल्विनिया मोलेस्टा को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया है।

मुख्य बिंदु:

  • जबलपुर स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-खरपतवार अनुसंधान निदेशालय (ICAR-DWR) के वैज्ञानिकों ने खुलासा किया कि साइरटोबैगस साल्विनिया, एक ब्राज़ीलियाई जैव कारक जो विशेष रूप से साल्विनिया मोलेस्टा को लक्षित करता है, को गहन शोध और आवश्यक सरकारी अनुमोदन के बाद भारत में आयात किया गया था।

साल्विनिया मोलेस्टा (Salvinia molesta) 

  • यह एक जलीय फर्न है जो दक्षिण-पूर्वी ब्राज़ील में पाया जाता है। इसे विशाल साल्विनिया या करिबा खरपतवार के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसने ज़िम्बाब्वे और ज़ाम्बिया के बीच करिबा झील के एक बड़े क्षेत्र को दूषित कर दिया था।
  • साल्विनिया की विशेषताओं में छोटे, शाखाओं वाले, तैरते हुए तने शामिल हैं, जिनमें पत्ती की सतह पर रोम होते हैं, लेकिन कोई मूल जड़ नहीं होती है। 
  • पत्तियाँ त्रिगुणित चक्रों में व्यवस्थित होती हैं, जिसमें एक पत्ती बारीक विभाजित, जड़ जैसी और लटकती हुई होती है, जबकि शेष अन्य दो हरी, अवृंत या छोटी-पेटियोलेट एवं सपाट होती हैं। 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR)

  • यह कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (DARE), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन है।
  • इसकी स्थापना 16 जुलाई, 1929 को हुई थी और इसे पहले इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के नाम से जाना जाता था। 
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
  • यह पूरे देश में बागवानी, मत्स्य पालन और पशु विज्ञान सहित कृषि में अनुसंधान तथा शिक्षा के समन्वय, मार्गदर्शन एवं प्रबंधन के लिये सर्वोच्च निकाय है।

 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2