उत्तर प्रदेश Switch to English
जस्टिस राजेश बिंदल
चर्चा में क्यों?
9 अक्टूबर, 2021 को भारत सरकार द्वारा जस्टिस राजेश बिंदल को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी की गई है।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि जस्टिस बिंदल इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरण से पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश थे।
- हाल ही में जस्टिस बिंदल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज़िला न्यायालयों के उपयोग हेतु आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक रजिस्टर तैयार करने के लिये गठित की गई समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
- उल्लेखनीय है कि भारत में उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा कॉलेजियम की सिफारिश पर की जाती है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
डेनमार्क की प्रधानमंत्री की भारत यात्रा
चर्चा में क्यों?
10 अक्टूबर, 2021 को डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने अपनी तीन दिवसीय भारत यात्रा के दौरान ताजमहल एवं आगरा किले का भ्रमण किया।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि डेनमार्क की प्रधानमंत्री जनवरी 2020 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के पश्चात् भारत आने वाली किसी देश की पहली शासनाध्यक्ष हैं।
- उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष ही भारत-डेनमार्क द्वारा ‘ग्रीन स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप’ की घोषणा की गई थी, जिसका उद्देश्य आर्थिक सहयोग के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से संबंधित वैश्विक मुद्दों पर आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है।
- मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा अपनी बेगम मुमताज महल (अर्जुमन बानो) की याद में बनवाया गया ताजमहल, मुगल वास्तुकला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। इसमें पित्रा-दूरा शैली का प्रयोग करते हुए अलंकरण किया गया है।
- गौरतलब है कि वर्ष 1983 में आगरा स्थित ताजमहल को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल सूची में शामिल किया गया था। साथ ही यह दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक है।
राजस्थान Switch to English
सांभर झील प्रबंधन एजेंसी के गठन को मिली मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राज्य सरकार ने सांभर झील के कुशल प्रबंधन के लिये समर्पित ‘सांभर झील प्रबंधन एजेंसी’ (Sambhar Lake Management Agency) के गठन को मंज़ूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- सांभर झील के प्रबंधन को सुदृढ़ और परिणामकेंद्रित करने के लिये पर्यावरण विभाग के प्रस्ताव पर सांभर झील प्रबंधन हेतु गठित स्टैंडिंग कमेटी के अनुमोदन उपरांत मुख्यमंत्री द्वारा सांभर झील की सुरक्षा, संरक्षण और सर्वांगीण विकास के लिये ‘सांभर झील प्रबंधन एजेंसी’ के गठन की अनुमति प्रदान की गई।
- उल्लेखनीय है कि जयपुर, अजमेर और नागौर ज़िलों में फैली सांभर झील अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त रामसर साइट है। यह झील भारत की दूसरी और राज्य की सबसे बड़ी खारे पानी की झील तथा एशिया का सबसे बड़ा अंतर-स्थलीय नमक उत्पादन केंद्र है।
- राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इस मैनजमेंट एजेंसी का गठन किया जाएगा। मैनेजमेंट एजेंसी सांभर झील क्षेत्र की सुरक्षा, संरक्षण और विकास के लिये कार्य करेगी।
- एजेंसी में खान, भू-जल एवं अभियांत्रिकी विभाग, वन एवं पर्यावरण, राजस्व, ऊर्जा विभाग, स्वायत्त शासन विभाग, मत्स्य एवं पशुपालन विभाग, उद्योग विभाग, वित्त विभाग, पंचायती राज विभाग, जल संसाधन विभाग, कृषि विभाग, पर्यटन विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग और नगरीय विकास विभाग के इंचार्ज सचिव होंगे।
- प्रधान मुख्य वन संरक्षक, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, आरएजेयूवीएएस के निदेशक, सॉल्ट कमिश्नर निदेशक, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, जयपुर अजमेर नागौर के ज़िला कलेक्टर सदस्य सचिव होंगे।
- इसी तरह राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल, राज्य जैवविविधता बोर्ड और सांभर साल्ट लिमिटेड के मुख्य प्रबंधक सदस्य होंगे।
- वर्तमान में राजस्थान में सांभर और भरतपुर के रूप में दो रामसर साइट्स चिह्नित हैं। राजस्थान के लिये यह इसलिये भी बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि चिल्का, ई.के.डब्ल्यू. और लोकटक के बाद यह देश में चौथी ऐसी झील प्रबंधन एजेंसी होगी।
मध्य प्रदेश Switch to English
भोपाल के वैज्ञानिक ने देश का पहला प्लास्टिक फ्री सैनिटरी नैपकिन बनाया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, भोपाल के वैज्ञानिक एवं पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. योगेंद्र कुमार सक्सेना ने देश का पहला सिंगल यूज़ प्लास्टिक फ्री सैनिटरी नैपकिन तैयार किया है।
प्रमुख बिंदु
- यह नैपकिन बायोडिग्रेडेबल स्टार्च शीट, नॉनवोवेव कपड़ा, वूड पल्प शीट, सेप शीट और बैक साइड रिलीज पेपर टेप की सहायता से तैयार किया गया है। राग इनोवेशन पैड फैक्ट्री मैनपुरा ज़िला भिंड के विराग बोहरे ने इस इनोवेशन में उनकी मदद की।
- इस सेनिटरी नैपकिन को उपयोग के बाद बायो मेडिकल वेस्ट की ही तरह इंसीनरेटर में नष्ट करना होगा। इसे खुले में फेंकने, दफन करने या जला देने पर यह पर्यावरण के लिये वैसा नुकसानदायक नहीं होगा, जैसा मौजूदा नैपकिन होते हैं। दूसरे कई सेनिटरी नैपकिन में 90% सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग होता है।
- उल्लेखनीय है कि देश में 70% शहरी और 48% ग्रामीण महिलाएँ सेनिटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं। इसमें से 24 प्रतिशत नैपकिन ही वैज्ञानिक रूप से निष्पादन के लिये इंसीनरेटर में जाते हैं, शेष 76 प्रतिशत में से 28 प्रतिशत सामान्य कचरे में पहुँच जाते हैं, 33 प्रतिशत ज़मीन में दफन कर दिये जाते हैं और 15% को खुले में जला दिया जाता है।
- एक नैपकिन को नष्ट होने में 500-800 साल लगते हैं। देश में कुछ लोगों ने बायोडिग्रेडेबल सेनिटरी नैपकिन बनाए हैं, लेकिन उनमें भी 20-25% प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है।
- उल्लेखनीय है कि डॉ. सक्सेना पहले भी गोकाष्ठ, गोबर के दीये और पीओपी की प्रतिमाओं को अमोनियम बाई कार्बोनेट में विसर्जन कर खाद बनाने जैसे नवाचार कर चुके हैं।
हरियाणा Switch to English
तोशाम पहाड़ी पर मिली मुंडरूपी उत्तर मध्यकालीन प्रतिमा
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा के भिवानी ज़िले में तोशाम स्थित पहाड़ी पर उत्तर मध्यकालीन युग की एक पत्थर की मुंडरूपी प्रतिमा मिली है, जो देखने में किसी पुरुष की प्रतीत होती है।
प्रमुख बिंदु
- इससे पूर्व भी तोशाम पहाड़ी पर भगवान वामन की पत्थर की प्रतिमा मिली थी।
- ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार इस पहाड़ी पर अज्ञातवास के समय पांडवों का वास रहा था तथा यहाँ पृथ्वीराज चौहान महलनुमा बने बारादरी के नाम से विख्यात महल में अपनी कचहरी चलाते थे।
- उल्लेखनीय है कि तोशाम पहाड़ी लगभग 800 फीट ऊँची है। इस पहाड़ी पर अशोक चक्र, पंचतीर्थी कुंड, ग्यारसीया कुंड सहित अनेक ऐतिहासिक साक्ष्य विद्यमान हैं।
छत्तीसगढ़ Switch to English
सांसद आदर्श ग्राम योजना में छत्तीसगढ़ चौथे स्थान पर
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सांसद आदर्श ग्राम योजना की वेबसाइट पर उपलब्ध आँकड़ों के मुताबिक इस योजना के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ देश में चौथे स्थान पर, जबकि तमिलनाडु पहले स्थान पर है।
प्रमुख बिंदु
- आँकड़ों के मुताबिक 9 अक्टूबर, 2021 तक योजना के तहत 2314 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है और ग्राम विकास की योजनाबद्ध 82,918 परियोजनाओं में से 53,352 परियोजनाएँ एवं गतिविधियाँ पूरी हुई हैं, जबकि 6,416 ग्राम विकास परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
- वहीं योजना के तहत ग्राम विकास की 23,110 परियोजनाओं एवं गतिविधियों पर काम शुरू नहीं हुआ है, जो कुल कार्यों का एक-चौथाई से कुछ अधिक (28 प्रतिशत) है। योजना के लिये चयनित 2,314 ग्राम पंचायतों में से 1,717 ग्राम पंचायतों ने पोर्टल पर ग्राम विकास परियोजना का ब्योरा अपलोड किया है।
- आँकड़ों के मुताबिक तमिलनाडु (94.3 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (89.8 प्रतिशत), गुजरात (84.2 प्रतिशत), छत्तीसगढ़ (79.67 प्रतिशत), कर्नाटक (76.68 प्रतिशत), उत्तराखंड (76.66 प्रतिशत), केरल (69.78 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (68.4 प्रतिशत), मणिपुर (67.57 प्रतिशत), मिज़ोरम (66.32 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (65.25 प्रतिशत) और हरियाणा (61.16 प्रतिशत) में आदर्श ग्राम योजना के कार्यों का क्रियान्वयन अच्छा है।
- वहीं इस योजना के तहत राजस्थान में 55.06 प्रतिशत, झारखंड में 52.63 प्रतिशत, तेलंगाना में 50.38 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 45.46 प्रतिशत, ओडिशा में 43.7 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 42.11 प्रतिशत, बिहार में 38.68 प्रतिशत, पंजाब में 36.97 प्रतिशत ग्राम विकास का कार्य पूरा हुआ है।
- गौरतलब है कि गाँवों के विकास के लिये सांसद आदर्श ग्राम योजना का उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में किया था। 11 अक्टूबर, 2014 को यह योजना शुरू की गई थी। इसके तहत सांसदों को अपने क्षेत्र में एक ‘आदर्श ग्राम’ का चयन करके उसका विकास करना था।
- योजना के तहत 2014 से 2019 के बीच चरणबद्ध तरीके से सांसदों को तीन गाँव और 2019 से 2024 के बीच पाँच गाँव गोद लेने थे।
- योजना के तहत मुख्यरूप से चार वर्गों- वैयक्तिक विकास, मानव विकास, आर्थिक विकास और सामाजिक विकास को बढ़ावा देकर ग्राम विकास करने की बात कही गई है। इसके तहत स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, कौशल विकास, बुनियादी सुविधाएँ, सामाजिक न्याय व सुशासन आदि कार्यों को शामिल किया गया है।
- ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के लिये अलग से कोई आवंटन नहीं किया जाता है और सांसदों को सांसद निधि (एमपीलैड) के कोष से ही इसका विकास करना होता है।
उत्तराखंड Switch to English
राष्ट्रीय प्रगति पुरस्कार
चर्चा में क्यों?
हाल ही में देहरादून निवासी आशु सात्विका गोयल को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रीय प्रगति पुरस्कार प्रदान किया गया।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि राष्ट्रीय प्रगति पुरस्कार ऑल इंडिया बिज़नेस डेवलपमेंट एसोसिएशन द्वारा आशु सात्विका गोयल को उनके सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं भारत के सांस्कृतिक राजदूत के रूप में किये गए कार्यों के लिये प्रदान किया गया है।
- आशु सात्विका गोयल एक सामाजिक कार्यकर्त्ता, कलात्मक प्रशिक्षिका एवं अभिनेत्री हैं। ये देहरादून में आयोजित रंग हिमालय उत्सव की सह-संस्थापक और नई सभ्यता बनाने के लिये ग्लोबल यूथ नेटवर्क की सदस्य भी हैं।
- आशु सात्विका ने वैश्विक मुद्दों पर कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और बैठकों में भाग लिया है तथा भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना के साथ-साथ एक चित्रकार भी हैं।
Switch to English