उज्ज्वला योजना 2.0 | उत्तर प्रदेश | 11 Aug 2021
चर्चा में क्यों?
10 अगस्त, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उत्तर प्रदेश के महोबा ज़िले में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के दूसरे चरण ‘उज्ज्वला योजना 2.0’ की शुरुआत की।
प्रमुख बिंदु
- प्रधानमंत्री ने प्रदेश के 1 हज़ार महिलाओं को नए एलपीजी कनेक्शन देकर उज्ज्वला 2.0 योजना की शुरुआत की। उज्ज्वला योजना 2.0 के तहत एक करोड़ गरीब परिवारों को एलपीजी कनेक्शन मुफ्त में दिया जाएगा।
- इस योजना के तहत लाभार्थियों को न केवल मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन मिलेगा, बल्कि साथ में पहला रिफिल और हॉटप्लेट भी मुफ्त मिलेगा।
- इस योजना के पहले चरण में छूटे हुए और योजना के दायरे में नहीं आने वाले गरीब परिवारों को इस दूसरे चरण में लाभ मिलेगा।
- गौरतलब है कि उज्ज्वला योजना की शुरुआत 1 मई, 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले से की गई थी। उस समय पाँच करोड़ बीपीएल परिवारों की महिला सदस्यों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया था।
- अप्रैल 2018 में इस योजना का दायरा बढ़ा दिया गया और इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, प्रधानमंत्री आवास योजना, अंत्योदय अन्न योजना के लाभार्थियों और अति पिछड़ा वर्ग समेत सात श्रेणियों की महिलाओं को भी शामिल किया गया। साथ ही एलपीजी कनेक्शन के लक्ष्य को आठ करोड़ तक बढ़ाया गया, जिसे निर्धारित तिथि से सात महीने पहले अगस्त 2019 में हासिल कर लिया गया।
‘काकोरी ट्रेन कांड’अब ‘काकोरी ट्रेन एक्शन’ | उत्तर प्रदेश | 11 Aug 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने भारत के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास के एक अहम् अध्याय ‘काकोरी कांड’ का नाम बदलकर ‘काकोरी ट्रेन एक्शन’ कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- इसका नाम इसलिये बदल दिया गया क्योंकि ‘कांड’ शब्द भारत के स्वतंत्रता संग्राम के तहत इस घटना के अपमान की भावना को दर्शाता है।
- काकोरी ट्रेन एक्शन एक ट्रेन डकैती थी, जो 9 अगस्त, 1925 को लखनऊ के पास काकोरी नामक गाँव में ब्रिटिश राज के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारियों द्वारा की गई थी।
- इस डकैती कार्यवाही को हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्लाह खान, राजेंद्र लाहिड़ी, केशव चक्रवर्ती, मुकुंदी लाल, बनवारी लाल सहित 10 क्रांतिकारियों ने अंजाम दिया था।
- गौरतलब है कि स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्लाह खान और रोशन सिंह को 19 दिसंबर, 1927 को काकोरी डकैती में शामिल होने के लिये फाँसी पर लटका दिया गया था।