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दो बच्चों की नीति
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार को हाल ही में उन दावों पर जाँच का सामना करना पड़ा, जिनमें कहा गया था कि उसने 7 जून, 2024 तक दो-बच्चों की नीति लागू कर दी है। हालाँकि, आधिकारिक बयानों के अनुसार ये रिपोर्टें झूठी हैं और ऐसी कोई नीति अभी तक लागू नहीं की गई है।
मुख्य बिंदु:
- हालाँकि इस तरह की नीति के लिये एक प्रारूप विधेयक राज्य सरकार को प्रस्तुत किया गया है, लेकिन इसे पारित नहीं किया गया है और विधि के रूप में तैयार नहीं किया गया है।
- उत्तर प्रदेश विधि आयोग ने वर्ष 2021 में जनसंख्या नियंत्रण पर प्रस्तावित विधेयक का प्रारूप राज्य सरकार के साथ साझा किया था।
- उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) विधेयक, 2021 नामक प्रारूप विधेयक के अनुसार, दो से अधिक बच्चों वाले दंपतियों को सरकारी नौकरियों, पदोन्नति या सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिये आवेदन करने की अनुमति नहीं होगी।
- असम में भी ऐसी ही नीति लागू है, जो असम लोक सेवा (सीधी भर्ती में छोटे परिवार के मानदंड का अनुप्रयोग) नियम, 2019 के तहत दो से अधिक बच्चों वाले दंपती को सरकारी नौकरियों से वंचित करती है।
दो बच्चों की नीति
- आवश्यकता:
- भारत की जनसंख्या पहले ही 125 करोड़ को पार कर चुकी है और उम्मीद है कि अगले कुछ दशकों में भारत विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश चीन से आगे निकल जाएगा।
- राष्ट्रीय जनसंख्या नियंत्रण नीति (2000) होने के बावजूद भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है।
- इस प्रकार, भारत के प्राकृतिक संसाधन अत्यधिक बोझ से दबे हुए हैं तथा उनका अत्यधिक दोहन हो रहा है।
- आलोचना:
- प्रतिबंधित बाल नीति के कारण शिक्षित युवाओं की कमी के कारण भारत की तकनीकी क्रांति में बाधा आएगी।
- चीन (एक-बच्चा नीति के परिणामस्वरूप) के सामने आने वाली लैंगिक असंतुलन, अनिर्दिष्ट बच्चे (बिना दस्तावेज़ वाले माता-पिता के बच्चे) आदि जैसी समस्याएँ भारत को भी झेलनी पड़ सकती हैं।
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महाकुंभ
चर्चा में क्यों?
एक आधिकारिक बैठक के बाद जारी एक बयान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2025 में प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ का राज्य की अर्थव्यवस्था पर "बड़ा प्रभाव" पड़ेगा क्योंकि इस आयोजन में करोड़ों लोग शामिल होंगे।
- घरेलू और वैश्विक दोनों पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये अनुसंधान किया जाना चाहिये तथा एक व्यावहारिक कार्य योजना बनाई जानी चाहिये।
मुख्य बिंदु:
- आधिकारिक बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य को एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के संकल्प को पूरा करने की दिशा में चल रहे प्रयासों, वर्तमान परिणामों और भविष्य की नीति पर चर्चा की।
- इस बात पर ज़ोर दिया गया कि सभी मंत्रीगण और वरिष्ठ अधिकारी जीवन को आसान बनाने तथा अधिकतम रोज़गार सृजन की दिशा में विशेष प्रयास करें।
- राज्य का कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वर्ष 2021-22 में 16.45 लाख करोड़ था, जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 25.48 लाख करोड़ से अधिक हो जाएगा।
- उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय आय में 9.2% का योगदान दे रहा है तथा देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में देश के विकास का इंजन बनकर उभर रहा है।
- राज्य की बेरोज़गारी दर जो वर्ष 2017-18 में 6.2% थी वर्ष 2024 में घटकर 2.4% हो गई है।
महाकुंभ
- कुंभ मेला संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची के अंतर्गत आता है।
- यह पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसके दौरान तीर्थयात्री पवित्र नदी में स्नान या डुबकी लगाते हैं।
- यह नासिक में गोदावरी नदी, उज्जैन में शिप्रा नदी, हरिद्वार में गंगा व प्रयागराज में गंगा, यमुना एवं पौराणिक नदी सरस्वती के संगम पर आयोजित होता है
- चूँकि यह भारत के चार अलग-अलग शहरों में आयोजित किया जाता है, इसमें विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं, जिससे यह सांस्कृतिक रूप से विविध त्योहार बन जाता है।
- एक महीने से अधिक समय तक चलने वाले इस मेले में एक विशाल तंबूनुमा बस्ती का निर्माण किया जाता है, जिसमें झोपड़ियाँ, मंच, नागरिक सुविधाएँ, प्रशासनिक और सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं।
- इसका आयोजन सरकार, स्थानीय प्राधिकारियों और पुलिस द्वारा अत्यंत कुशलतापूर्वक किया जाता है।
- यह मेला विशेष रूप से जंगलों, पहाड़ों और गुफाओं के सुदूर स्थानों से आये धार्मिक तपस्वियों की असाधारण उपस्थिति के लिये प्रसिद्ध है।
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